KKN गुरुग्राम डेस्क | भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए संघर्षविराम के बाद अब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक अहम बयान दिया है। ट्रंप ने जहां दोनों देशों की बहादुरी की तारीफ की, वहीं उन्होंने यह भी कहा कि वह कश्मीर मुद्दे का स्थायी समाधान निकालने के लिए दोनों देशों के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं।
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ट्रंप का यह बयान उस समय आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच बीते कुछ हफ्तों से तनाव चरम पर था और दोनों देश युद्ध के मुहाने पर खड़े थे। ऐसे समय में संघर्षविराम की पहल और अब कश्मीर पर अमेरिकी हस्तक्षेप का संकेत देना वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम माना जा रहा है।
संघर्षविराम के तुरंत बाद ट्रंप की प्रतिक्रिया
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “ट्रुथ सोशल” पर लिखा:
“मुझे भारत और पाकिस्तान के मजबूत और अडिग नेतृत्व पर गर्व है, क्योंकि उन्होंने यह समझदारी दिखाई कि अब आक्रमण को रोकने का समय आ गया है। यदि यह युद्ध आगे बढ़ता तो यह लाखों निर्दोष लोगों की मौत और विनाश का कारण बन सकता था। आज उनके साहसिक फैसले से उनकी विरासत और भी महान बन गई है।”
यह बयान भारत द्वारा किए गए ऑपरेशन सिंदूर और उसके बाद पाकिस्तान पर ड्रोन और मिसाइल हमलों के जवाब में दिया गया था, जिसमें दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया था।
कश्मीर पर ट्रंप का बयान: नया संकेत या पुरानी कूटनीति?
संघर्षविराम की सराहना करते हुए ट्रंप ने कहा:
“मुझे गर्व है कि अमेरिका ने इस ऐतिहासिक और वीरतापूर्ण निर्णय तक पहुंचने में मदद की। हालांकि अभी चर्चा शुरू नहीं हुई है, लेकिन मैं भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ मिलकर काम करूंगा ताकि देखा जा सके कि क्या ‘हजार सालों’ बाद कश्मीर मुद्दे का कोई समाधान निकाला जा सकता है।”
ट्रंप की यह टिप्पणी अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक नई बहस को जन्म दे रही है। अमेरिका अब तक कश्मीर मुद्दे को एक “द्विपक्षीय विषय” मानता रहा है, लेकिन ट्रंप की यह पहल इस नीति में बदलाव का संकेत दे सकती है।
भारत-पाकिस्तान संबंध और हालिया घटनाक्रम
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22 अप्रैल 2025: कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 श्रद्धालुओं की मौत।
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5 से 9 मई 2025: भारत द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर हमले।
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10 मई 2025: ट्रंप द्वारा संघर्षविराम की घोषणा।
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10 मई की शाम: श्रीनगर में ड्रोन हमले और जम्मू क्षेत्र में विस्फोट की घटनाएं।
इन घटनाओं की श्रृंखला में अमेरिका की भूमिका महत्वपूर्ण रही। ट्रंप का यह दावा कि संघर्षविराम में अमेरिका ने निर्णायक भूमिका निभाई, अब कूटनीतिक चर्चा का विषय बन चुका है।
कश्मीर मुद्दा: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच सबसे बड़ा विवादित मुद्दा रहा है। 1947 से लेकर अब तक:
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तीन युद्ध (1947, 1965, 1999)
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लगातार आतंकी घटनाएं
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संयुक्त राष्ट्र के कई प्रस्ताव
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भारत द्वारा अनुच्छेद 370 का निष्प्रभावीकरण (2019)
भारत का हमेशा से यह रुख रहा है कि कश्मीर एक आंतरिक मामला है और इस पर किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं की जाएगी। वहीं पाकिस्तान इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाता रहा है और अब ट्रंप की टिप्पणी को वह एक कूटनीतिक जीत के रूप में देख सकता है।
भारत और पाकिस्तान की प्रारंभिक प्रतिक्रियाएं
भारत ने अभी तक ट्रंप के कश्मीर संबंधी बयान पर औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन सूत्रों के अनुसार विदेश मंत्रालय ने कहा:
“भारत की कश्मीर नीति स्पष्ट है — यह हमारा आंतरिक विषय है और इस पर कोई तीसरी पार्टी चर्चा नहीं कर सकती।”
वहीं पाकिस्तान ने ट्रंप के बयान का स्वागत किया है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इसे “उम्मीद की किरण” बताया है और कहा कि अमेरिका की भूमिका से क्षेत्र में स्थायित्व आ सकता है।
विदेशी विश्लेषकों और विशेषज्ञों की राय
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भारतीय रणनीतिक विश्लेषक ब्रह्मा चेलानी ने ट्रंप की टिप्पणी पर सतर्कता बरतने की सलाह दी। उन्होंने कहा,
“यह समय भारत के लिए रणनीतिक रूप से सोचने का है, न कि प्रतीकों से प्रभावित होने का।”
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वैश्विक विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका इस क्षेत्र में चीन के प्रभाव को संतुलित करने के प्रयास में भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता का रास्ता अपनाना चाहता है।
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यूरोपीय यूनियन और संयुक्त राष्ट्र ने अब तक केवल तनाव कम करने की अपील की है, लेकिन कश्मीर मुद्दे पर चुप्पी बनाए रखी है।
क्या कश्मीर समाधान संभव है?
ट्रंप की आशा के बावजूद, कश्मीर विवाद का समाधान अभी भी बेहद जटिल है। इसमें शामिल हैं:
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धार्मिक और राजनीतिक मतभेद
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सीमा विवाद और नियंत्रण रेखा की स्थिति
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स्थानीय लोगों की भावनाएं
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चीन की रणनीतिक भूमिका (विशेषकर गिलगित-बाल्टिस्तान और CPEC परियोजना)
इस संदर्भ में, ट्रंप की मंशा चाहे जितनी भी सकारात्मक हो, वास्तविक समाधान के लिए लंबी और गंभीर कूटनीति की आवश्यकता होगी।
डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान भारत-पाकिस्तान संघर्षविराम के बाद एक नए कूटनीतिक मोड़ की ओर इशारा करता है। हालांकि भारत ने बार-बार कश्मीर को अपने आंतरिक मामले के रूप में प्रस्तुत किया है, लेकिन अमेरिका की इस पहल से यह स्पष्ट है कि कश्मीर मुद्दा एक बार फिर वैश्विक विमर्श में केंद्र में आ गया है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में भारत और पाकिस्तान इस मसले को लेकर क्या रुख अपनाते हैं और क्या वाकई कोई समाधान निकलता है।
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