KKN गुरुग्राम डेस्क | पाकिस्तान से बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार की रिहाई भारत की बढ़ती सैन्य और कूटनीतिक ताकत को प्रदर्शित करती है। यह घटना यह साबित करती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार अपने नागरिकों और सैनिकों की सुरक्षा को लेकर एक सख्त और सक्रिय रुख अपनाती है। मोदी सरकार की विदेश नीति में यह बदलाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जिसमें भारत अब पहले से अधिक मजबूत और निर्णायक भूमिका निभा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में भारत ने कई महत्वपूर्ण कूटनीतिक सफलता हासिल की है, जिसमें पायलट अभिनंदन की पाकिस्तान से सुरक्षित वापसी और कतर में मौत की सजा पाए भारतीय नौसेना अधिकारियों की रिहाई जैसी घटनाएं शामिल हैं।
पूर्णम कुमार की रिहाई: भारत की बढ़ती कूटनीतिक ताकत
पूर्णम कुमार की पाकिस्तान से रिहाई केवल एक व्यक्तिगत घटना नहीं, बल्कि यह नए भारत की छवि का प्रतीक है। पिछले कुछ वर्षों में भारत ने अपनी कूटनीतिक और सैन्य ताकत को इस तरह से पेश किया है, जिससे न सिर्फ पाकिस्तान, बल्कि पूरी दुनिया में भारत का दबदबा बढ़ा है। पूर्णम कुमार की रिहाई की कहानी इस बात का प्रमाण है कि भारत अब अपने नागरिकों और सैनिकों की सुरक्षा के लिए सक्रिय कदम उठा रहा है और पाकिस्तान जैसे देशों से मुकाबला करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
यह घटना एक ऐसे भारत की ओर इशारा करती है, जो अब केवल एक आर्थिक महाशक्ति नहीं, बल्कि सैन्य और कूटनीतिक दृष्टि से भी अपनी शक्ति को मजबूत कर चुका है। भारत ने अपनी ताकत का प्रदर्शन सर्जिकल स्ट्राइक के समय और पायलट अभिनंदन की रिहाई के दौरान किया था। अब बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार की रिहाई इस बात का और मजबूत प्रमाण है कि भारत अपनी सुरक्षा को लेकर गंभीर है।
54 भारतीय सैनिकों का मुद्दा और पूर्णम कुमार की रिहाई
भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान 1971 में 54 भारतीय सैनिक लापता हो गए थे। इन्हें पाकिस्तान की जेलों में बंद माना जाता है। हालांकि इन सैनिकों के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं मिल सकी, लेकिन इनकी रिहाई का मुद्दा लंबे समय से परिवारों के लिए चिंता का कारण बना हुआ है। पूर्णम कुमार की रिहाई ने इन सैनिकों के परिवारों को एक नई उम्मीद दी है।
भारत सरकार ने 2019 में इन लापता सैनिकों की सूची जारी की थी, और उनके परिवारों को उम्मीद थी कि अब मोदी सरकार इस दिशा में कुछ ठोस कदम उठाएगी। पूर्णम कुमार की रिहाई ने इस मुद्दे को एक बार फिर से प्रमुखता दिलाई है और यह उम्मीद भी बढ़ी है कि भविष्य में सरकार इन सैनिकों की रिहाई के लिए और प्रयास करेगी।
भारत की कूटनीतिक सफलता: 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों की रिहाई
1971 में युद्ध के बाद पाकिस्तान के 93,000 सैनिकों को रिहा किया गया था। इस समझौते के बाद भारतीय सैनिकों की रिहाई का सवाल हवा में था, लेकिन यह मुद्दा कभी सुलझा नहीं सका। भारतीय युद्धबंदियों की रिहाई के प्रयासों में भारतीय सरकार का ध्यान पूरी तरह से पाकिस्तानी सैनिकों की रिहाई पर था। तब से अब तक कई बार इस मुद्दे को उठाया गया, लेकिन भारत के 54 लापता सैनिकों की रिहाई का मामला अभी तक हल नहीं हो सका।
इस मुद्दे पर विशेष रूप से भारतीय कूटनीति में कमियों की आलोचना की गई है। भारतीय सैनिकों के परिजनों ने आरोप लगाया कि उनकी सरकार ने इन सैनिकों की रिहाई के लिए गंभीर प्रयास नहीं किए। हालांकि, वर्तमान समय में भारत ने कई कूटनीतिक सफलता हासिल की है, जो इस बात का प्रमाण है कि अब भारत अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और नागरिकों की सुरक्षा को लेकर और अधिक सक्रिय है।
भारत की सैन्य शक्ति और कूटनीति: अभिनंदन और जाधव मामले में सफलता
भारत की सैन्य शक्ति और कूटनीति में पिछले कुछ वर्षों में एक महत्वपूर्ण बदलाव देखा गया है। 2019 में पुलवामा हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने बालाकोट में एयर स्ट्राइक की थी, जिसके बाद पाकिस्तान के साथ तनाव बढ़ गया था। इसी बीच, पाकिस्तान ने भारतीय पायलट अभिनंदन को पकड़ा, लेकिन भारत ने कूटनीतिक दबाव बनाने के साथ-साथ सैन्य दबाव भी बढ़ाया। इसके परिणामस्वरूप, पाकिस्तान को अभिनंदन को रिहा करना पड़ा।
इसी तरह, कुलभूषण जाधव का मामला भी भारत के लिए एक कूटनीतिक जीत था। जाधव को पाकिस्तान ने 2016 में गिरफ्तार किया था और उन पर जासूसी के आरोप लगाए थे। भारत ने इस मामले को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में उठाया, और ICJ ने पाकिस्तान को जाधव की सजा की समीक्षा करने और उसे काउंसलर एक्सेस देने का आदेश दिया। यह भारत की कूटनीतिक सफलता का उदाहरण है और यह दिखाता है कि भारत अब अपनी नागरिकों और सैनिकों की रक्षा के लिए गंभीर है।
भारत का मजबूत रुख: कूटनीति और सैन्य ताकत का संतुलन
भारत का यह मजबूत रुख, जो कि सैन्य और कूटनीति का संतुलन है, अब दुनिया भर में पहचाना जा रहा है। बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार की पाकिस्तान से रिहाई इस बात का स्पष्ट उदाहरण है कि भारत अपनी सुरक्षा को लेकर पूरी तरह से गंभीर है और किसी भी परिस्थिति में अपने सैनिकों की सुरक्षा को नजरअंदाज नहीं करेगा।
भारत ने यह भी साबित किया है कि वह कूटनीतिक प्रयासों के साथ-साथ सैन्य कार्रवाई करने में भी सक्षम है। मोदी सरकार के नेतृत्व में भारत ने अपनी सैन्य क्षमता को बढ़ाया है और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी ताकत का प्रदर्शन किया है। यह भारत के लिए एक नई दिशा का संकेत है, जहां सुरक्षा और कूटनीतिक प्रयासों का संतुलन महत्वपूर्ण हो गया है।पूर्णम कुमार की रिहाई और हालिया कूटनीतिक सफलता से यह स्पष्ट हो गया है कि भारत अब एक नया, मजबूत और आक्रामक रुख अपनाने में सक्षम है। यह घटना भारत की बढ़ती ताकत और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है। चाहे वह 54 लापता सैनिकों का मुद्दा हो या कुलभूषण जाधव की कूटनीतिक लड़ाई, भारत ने हर मोर्चे पर अपनी ताकत और रणनीति का प्रदर्शन किया है। मोदी सरकार के नेतृत्व में भारत ने यह साबित किया है कि वह अपनी रक्षा के लिए सख्त कदम उठाने को तैयार है और पाकिस्तान जैसी ताकतों के साथ कड़े कदम उठाने के लिए सक्षम है। यह नए भारत की पहचान बन चुकी है।
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