भारत में इन दिनो एक राष्ट्र एक चुनाव की मांग जोर पकड़ने लगी है। केन्द्र की सरकार लोकसभा चुनाव के साथ ही देश की सभी विधानसभओं का चुनाव एक साथ कराना चाहती है। किंतु, इसके लिए निर्वाचन आयोग के पास प्रयाप्त संसाधन नहीं हैं। विधि आयोग ने इसका खुलाशा करते हुए कहा है कि लोकसभा और राज्य के विधानसभाओं का चुनाव एक साथ कराये जाने के लिए नए ईवीएम और पेपर ट्रेल मशीनों की खरद करनी पड़ेगी। आयोग ने स्प्ष्ट किया है कि अतिरिक्त ईवीएम मशीन की खरीद के लिए आयोग को 4,500 करोड़ रुपये से अधिक की दरकार होगी। एक साथ चुनाव कराये जाने पर पिछले सप्ताह जारी अपनी प्रारूप रिपोर्ट में विधि आयोग ने चुनाव आयोग के हवाले से यह जानकारी केन्द्र सरकार के गृह मंत्रालय को सौप दी है।
निर्वाचन आयोग के हवाले से विधि आयोग ने केन्द्रीय गृह मंत्रालय को जो रिपोर्ट सौपी है उसमें कहा गया है कि यदि एक साथ पूरे देश में चुनाव कराये जाते हैं, तो लगभग 12.9 लाख मतपत्र इकाई, 9.4 लाख नियंत्रण इकाई और लगभग 12.3 लाख वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल यानी वीवीपैट की अतिरिक्त आवश्यकता पड़ेगी। इसी प्रकार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम और नियंत्रण इकाई यानी सीयू, मतपत्र इकाई यानी बीयू और वीवीपैट की खरीद करनी पड़ेगी। आयोग ने इसके लिए लगभग 33,200 रुपये की आवश्यकता जताई है।
विधि आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि एक साथ चुनाव कराये जाने से ईवीएम की खरीद पर लगभग 4,555 करोड़ रुपये का खर्च आयेगा और यह मशीन अगले 15 साल तक काम करती रहेगी। लिहाजा, पहले से कार्यरत मशीन को भी 2024 के चुनाव में बदलने की दरकार होगी और इसके लिए 1751.17 करोड़ रुपये और 2029 के चुनाव के वक्त ईवीएम मशीनों की खरीद पर 2017.93 करोड़ रुपये की जरूरत होगी। इसमें कहा गया है कि 2034 में प्रस्तावित एक साथ चुनाव के लिए नए ईवीएम की खरीद के लिए 13,981.58 करोड़ रुपये की जरूरत होगी।
This post was published on सितम्बर 4, 2018 01:20
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