KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार में इस साल मानसून समय से पहले आने की संभावना जताई जा रही है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून 27 मई को केरल में दस्तक दे सकता है। आमतौर पर मानसून 1 जून को केरल पहुंचता है, लेकिन इस साल इसके चार दिन पहले पहुंचने की संभावना है। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि बिहार में मानसून 13 से 15 जून के बीच प्रवेश कर सकता है।
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पिछले साल राज्य में मानसून पांच दिन की देरी से 20 जून को आया था और 20% कम वर्षा दर्ज की गई थी। जबकि 2023 में मानसून 12 जून को समय से एक दिन पहले आया था, फिर भी 23% कम बारिश हुई थी।
केरल में जल्द मानसून, बिहार में समय से पहले बारिश की उम्मीद
आईएमडी के मुताबिक, केरल में मानसून इस साल 27 मई को पहुंच सकता है, जो सामान्य तिथि 1 जून से चार दिन पहले है। यदि यह पूर्वानुमान सही साबित होता है, तो यह 2009 के बाद सबसे पहला मानसून आगमन होगा। तब मानसून ने 23 मई को केरल में दस्तक दी थी।
इसका असर बिहार पर भी देखने को मिल सकता है। यदि मानसून केरल में जल्दी पहुंचता है, तो पूर्वी भारत, विशेष रूप से बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में भी समय से पहले वर्षा की उम्मीद की जा सकती है।
बिहार में मानसून आगमन का इतिहास (पिछले 5 वर्षों में)
वर्ष | आगमन तिथि | वर्षा की स्थिति |
---|---|---|
2020 | 13 जून | सामान्य वर्षा |
2021 | 13 जून | सामान्य से कम |
2022 | 13 जून | -20% वर्षा |
2023 | 12 जून | -23% वर्षा |
2024 | 20 जून | -20% वर्षा |
बिहार में औसतन 1272.5 मिमी वर्षा को सामान्य माना जाता है, लेकिन 2021 के बाद से राज्य में कभी भी सामान्य से अधिक वर्षा दर्ज नहीं हुई। इस वर्ष यदि मानसून समय से पहले आता है और मौसमी परिस्थितियां अनुकूल रहीं, तो अच्छी बारिश की उम्मीद की जा सकती है।
मौसम विभाग की चेतावनी और पूर्वानुमान
बिहार के मौसम विज्ञान विभाग ने बताया कि 15 मई को भारतीय मौसम विभाग द्वारा मानसून की पूर्वानुमान रिपोर्ट जारी की जाएगी, जिसमें मानसून की गति, तीव्रता और क्षेत्रवार विवरण स्पष्ट होगा।
फिलहाल अनुमान यह है कि बिहार में मानसून 13 से 15 जून के बीच दस्तक देगा। हालाँकि, मौसम विभाग का यह भी कहना है कि केवल केरल में जल्दी मानसून आने का मतलब यह नहीं कि देश के सभी हिस्सों में वर्षा जल्दी शुरू हो जाएगी। यह वैश्विक और क्षेत्रीय जलवायु स्थितियों पर निर्भर करता है।
क्या पहले मानसून का मतलब है अच्छी बारिश?
IMD के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार:
“केरल में मानसून जल्दी पहुंचने का अर्थ यह नहीं है कि पूरे देश में भी मानसून जल्दी या अच्छी वर्षा करेगा। एल-नीनो, ला-नीना, इंडियन ओशन डाइपोल जैसी जलवायु घटनाएं वर्षा की मात्रा और वितरण को प्रभावित करती हैं।”
इसलिए यह मान लेना जल्दबाजी होगी कि समय से पहले मानसून आने का मतलब है सामान्य से अधिक वर्षा। इसका सटीक आकलन मानसून के वास्तविक आगमन और पहले महीने की बारिश के आधार पर किया जा सकेगा।
बिहार के किसानों के लिए क्या है इसका महत्व?
बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है और यहाँ के लाखों किसान मानसून पर निर्भर रहते हैं। खरीफ फसलों की बुआई, विशेषकर धान की खेती, मानसून पर पूरी तरह आधारित होती है। समय से बारिश नहीं होने पर:
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बुआई में देरी होती है
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पैदावार घटती है
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किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है
यदि इस वर्ष मानसून समय से पहले और सामान्य आता है, तो कृषि उत्पादन बढ़ सकता है और किसानों को राहत मिल सकती है।
सरकारी तैयारी और सावधानी
राज्य सरकार ने बताया है कि मानसून के विभिन्न परिदृश्यों को ध्यान में रखते हुए योजना तैयार की जा रही है। संभावित:
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बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की सूची तैयार की गई है
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जल-जमाव निवारण योजना सक्रिय की गई है
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कृषि विभाग द्वारा फसल सलाह केंद्र भी किसानों को मार्गदर्शन देंगे
IMD भी प्री-मानसून चेतावनी और मौसम बुलेटिन नियमित रूप से जारी करेगा, जिससे आमजन समय रहते तैयार हो सकें।
विशेषज्ञों की राय
जलवायु विशेषज्ञ डॉ. राकेश मिश्रा का कहना है:
“मानसून का समय से आना उत्साहजनक है, लेकिन असली चुनौती यह है कि वर्षा का वितरण संतुलित हो। कुछ इलाकों में अत्यधिक बारिश और कहीं सूखा, यह किसानों और प्रशासन दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।”
उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को जल संचयन योजनाएं और सूखा/बाढ़ राहत नीति पहले से ही तैयार रखनी चाहिए।
बिहार में इस साल मानसून समय से पहले आने की संभावना मौसम और कृषि के लिए एक सकारात्मक संकेत हो सकता है। लेकिन अंतिम निष्कर्ष तभी निकाला जा सकेगा जब मानसून सच में दस्तक देगा और मौसमीय चक्रों की दिशा स्पष्ट होगी। 15 मई को आने वाली आईएमडी की रिपोर्ट इस संबंध में अधिक स्पष्टता प्रदान करेगी।
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