संतोष कुमार गुप्ता
मीनापुर। 1551 कन्याओ के कलश यात्रा के साथ ही बनघारा पोखर पर 11 दिवसिय महाविष्णु यज्ञ प्रारम्भ हो गया। गाजे बाजे व आकर्षक झाकी के साथ कलश यात्रियो का जत्था रघई घाट पर पहुंचा। जेठ की तपती धूप का परवाह किये बगैर कन्याओ पर आस्था का उल्लास भारी था। कन्याओ ने रघई के पावन बूढी गंडक नदी से गागर मे सागर भरा। ज्योतिष सम्राट आचार्य शिवशंकर शास्त्री के वैदिक मंत्रोच्चारण से कन्याओ ने संकल्प लिया। मंत्रोच्चारण से गंडक का तट गुंजयमान रहा। कन्याओ ने यज्ञ मंडप मे कलश स्थापना के बाद परिक्रमा किया। कन्या भोज का भी आयोजन किया गया। जगह जगह पर कलश यात्रियो का भव्य स्वागत किया गया। मुख्य यजमान देवकीलाल सहनी , कोषाध्यक्ष दिलीप कुमार व सरपंच रामजीवन पंडित ने बताया की मेले मे आसमानी झूला व मौत का कुंआ आकर्षण का केंद्र होगा। साथ ही प्रवचन व भक्ति आधारित सांस्कृतिक कार्यकर्मो का भी आयोजन होगा।
This post was published on मई 26, 2017 10:33
या आप जानते हैं कि गिद्ध क्यों विलुप्त हो गए? और इसका मानव जीवन पर… Read More
भारत और पाकिस्तान के 1947 के बंटवारे में केवल जमीन ही नहीं, बल्कि घोड़ागाड़ी, बैंड-बाजा,… Read More
7 दिसंबर 1941 का पर्ल हार्बर हमला केवल इतिहास का एक हिस्सा नहीं है, यह… Read More
सफेद बर्फ की चादर ओढ़े लद्दाख न केवल अपनी नैसर्गिक सुंदरता बल्कि इतिहास और संस्कृति… Read More
आजादी के बाद भारत ने लोकतंत्र को अपनाया और चीन ने साम्यवाद का पथ चुना।… Read More
मौर्य साम्राज्य के पतन की कहानी, सम्राट अशोक के धम्म नीति से शुरू होकर सम्राट… Read More