KKN गुरुग्राम डेस्क | महाकुंभ 2025 की आध्यात्मिक आभा से आकर्षित होकर पाकिस्तान के सिंध प्रांत से 68 हिंदू श्रद्धालु गुरुवार को प्रयागराज पहुंचे। उन्होंने गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदी के संगम में पवित्र स्नान किया और अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए विशेष पूजा-अर्चना की।
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उत्तर प्रदेश सूचना विभाग के अनुसार, श्रद्धालुओं ने महाकुंभ के पवित्र संगम तट पर धार्मिक अनुष्ठान किए और अपने पूर्वजों के मोक्ष की कामना की। यह यात्रा न केवल आध्यात्मिक बल्कि उनके लिए भावनात्मक रूप से भी बेहद महत्वपूर्ण रही।
महाकुंभ से पहले हरिद्वार में किया गया अस्थि विसर्जन
श्रद्धालुओं के समूह के साथ आए महंत रामनाथ ने बताया कि प्रयागराज आने से पहले सभी श्रद्धालु हरिद्वार गए, जहां उन्होंने लगभग 480 पूर्वजों की अस्थियों का गंगा में विसर्जन किया और पवित्र अनुष्ठान संपन्न किए।
हरिद्वार और प्रयागराज का धार्मिक महत्व इन श्रद्धालुओं के लिए बहुत बड़ा है। महाकुंभ हिंदू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, जो हर 12 साल में एक बार आयोजित किया जाता है। पाकिस्तान से आए हिंदू श्रद्धालुओं के लिए यह यात्रा आस्था, परंपरा और अपने धर्म से जुड़ने का एक विशेष अवसर रही।
सिंध से आए श्रद्धालुओं ने साझा किए अनुभव
सिंध के निवासी गोबिंद राम मखेजा ने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा:
“जब हमने दो-तीन महीने पहले महाकुंभ के बारे में सुना, तभी से यहां आने की तीव्र इच्छा थी। हमने खुद को रोक नहीं पाया।”
मखेजा ने बताया कि पिछले साल अप्रैल में 250 पाकिस्तानी हिंदू प्रयागराज आए थे और गंगा में पवित्र स्नान किया था। इस बार सिंध के छह जिलों से 68 श्रद्धालु भारत आए हैं, जिनमें से 50 लोग पहली बार भारत आ रहे हैं।
वे सभी निम्नलिखित जिलों से आए हैं:
- घोटकी
- सुक्कुर
- खैरपुर
- शिकारपुर
- कारकोट
- जटाबल
मखेजा ने महाकुंभ में आने को आध्यात्मिक और गर्व का क्षण बताया। उन्होंने कहा:
*”यह एक अद्भुत और अविस्मरणीय अनुभव है। मेरे पास इसे व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं हैं। कल हम एक और बार पवित्र स्नान करेंगे। यहां आकर हमें अपने *सनातन धर्म की विरासत पर गर्व महसूस हो रहा है।”
पहली बार भारत आने वाले श्रद्धालुओं की खुशी
इस यात्रा में कई श्रद्धालु ऐसे थे, जो पहली बार भारत आए और महाकुंभ के भव्य आयोजन को देखकर रोमांचित थे।
घोटकी की 11वीं कक्षा की छात्रा सुरभि ने कहा:
“पहली बार मुझे अपने धर्म को इतनी नजदीकी से देखने और समझने का अवसर मिल रहा है। यह एक अद्भुत अनुभव है।”
सिंध की गृहिणी प्रियंका ने अपनी भावनाएं साझा करते हुए कहा:
“हम सिंध में मुस्लिम समुदाय के बीच पले-बढ़े हैं। मीडिया में हिंदुओं के प्रति भेदभाव की कई कहानियां दिखाई जाती हैं, लेकिन हमारे अनुभव अलग रहे हैं। फिर भी, भारत में अपनी संस्कृति और परंपरा को इतने भव्य रूप में देखना एक दिव्य अहसास है।”
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर श्रद्धालुओं के विचार
भारत के नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर भी श्रद्धालुओं ने अपने विचार साझा किए।
सुक्कुर के निरंजन चावला ने कहा:
“सिंध में हालात ऐसे नहीं हैं कि हिंदू भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करें। हालांकि, पाकिस्तान के राजस्थान क्षेत्र में हिंदुओं को कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।”
चावला, जो निर्माण क्षेत्र में काम करते हैं, ने भारतीय सरकार से वीज़ा प्रक्रिया को सरल बनाने की अपील की।
“वर्तमान में वीज़ा प्राप्त करने में लगभग छह महीने लगते हैं। हालांकि, इस बार हमें वीज़ा आसानी से मिल गया, जिसके लिए हम भारतीय सरकार के आभारी हैं।”
महाकुंभ के बाद रायपुर और हरिद्वार जाएंगे श्रद्धालु
यह समूह 7 फरवरी की रात को महाकुंभ शिविर में पहुंचा और 8 फरवरी को रायपुर और फिर हरिद्वार की यात्रा करेगा।
कुछ श्रद्धालुओं ने अपने पूर्वजों की अस्थियों के साथ छह कलश लाए हैं, जिन्हें वे हरिद्वार में गंगा में प्रवाहित करेंगे।
निरंजन चावला ने कहा:
“आज शाम हम अखाड़ों के संतों से मिलेंगे और महाकुंभ मेले की भव्यता का आनंद लेंगे।”
पाकिस्तानी हिंदुओं के लिए महाकुंभ का महत्व
भारत में धार्मिक स्थलों की यात्रा पाकिस्तानी हिंदुओं के लिए एक दुर्लभ अवसर होती है। वीज़ा और यात्रा की कठिनाइयों के बावजूद, कई हिंदू अपने धार्मिक स्थलों से जुड़ने की गहरी इच्छा रखते हैं।
महाकुंभ, जो हजारों वर्षों से सनातन धर्म का प्रतीक है, पाकिस्तानी हिंदुओं के लिए एक आध्यात्मिक संगम की तरह है। यहां आकर गंगा स्नान, धार्मिक अनुष्ठान और संतों के दर्शन करना उनके लिए एक विशेष सौभाग्य है।
महाकुंभ 2025 में पाकिस्तान से आए 68 हिंदू श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया और अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।
यह यात्रा न केवल धार्मिक अनुष्ठानों के लिए थी, बल्कि इन श्रद्धालुओं को भारत में अपनी सनातन परंपराओं से जुड़ने का अनूठा अवसर भी प्रदान करती है।
भविष्य में, अगर भारत और पाकिस्तान के बीच वीज़ा प्रक्रियाओं को आसान बनाया जाए, तो और अधिक पाकिस्तानी हिंदू भारत के पवित्र तीर्थ स्थलों की यात्रा कर सकेंगे।
जैसे-जैसे श्रद्धालु गंगा के पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं, उनकी प्रार्थनाएं धर्म, परंपरा और आध्यात्मिकता के अटूट संबंध का प्रतीक बन जाती हैं।
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