KKN गुरुग्राम डेस्क | भारत में गर्मी 2025, हीटवेव 2025, जलवायु परिवर्तन, अप्रैल की गर्मी, मौसम का पूर्वानुमान, भारत में मौसम, मई-जून में तापमान, IMD की भविष्यवाणी
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भारत में इस साल गर्मी का आगमन जल्दी हुआ है। अप्रैल के पहले हफ्ते में ही तपती गर्मी ने लोगों का हाल बेहाल कर दिया है। इस बार मौसम विभाग का अनुमान है कि मई और जून में तापमान 45 से 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है, खासकर उत्तर भारत में। अगर यही स्थिति रही, तो गर्मी का असर और भी अधिक बढ़ सकता है। आइए जानते हैं इस मौसम के बारे में और कैसे हम इस अत्यधिक गर्मी से बच सकते हैं।
अप्रैल की शुरुआत में ही गर्मी का बढ़ना
भारत में जब भी गर्मी का मौसम शुरू होता है, तो अप्रैल से जून तक के महीनों में तापमान अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच जाता है। इस बार अप्रैल के पहले हफ्ते में ही तापमान में तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिली है। मौसम विभाग ने पहले ही चेतावनी दी थी कि इस बार अप्रैल से लेकर जून तक देशभर में सामान्य से अधिक गर्मी पड़ने की संभावना है। इससे यह सवाल उठता है कि क्या यह जलवायु परिवर्तन का प्रभाव है, या फिर कुछ और कारण हैं।
मई-जून में क्या होगा? 10-12 दिन तक हीटवेव
भारत के उत्तरी इलाकों में इस समय गर्मी का असर खास दिखाई दे रहा है। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और बिहार जैसे राज्यों में तापमान 38 से 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। मौसम विभाग के अनुसार, उत्तर-पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों और मध्य भारत में मई और जून में 10 से 12 दिन तक हीटवेव चलने की संभावना है, जिसमें तापमान 44 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जा सकता है। दिल्ली में तो लोग पहले से ही सूरज की गर्मी से बचने के लिए छाते और पानी की बोतलें साथ रखने को मजबूर हैं।
इस बार गर्मी के जल्दी आ जाने से लोगों को अधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में मई-जून के महीने में स्थिति और भी विकट हो सकती है, खासकर उन लोगों के लिए जो खुले में काम करते हैं या जिनके पास एयर कंडीशनर की सुविधा नहीं है।
दक्षिण भारत में मौसम की स्थिति
दक्षिण भारत में इस समय मौसम का मिजाज थोड़ा मिला-जुला है। कर्नाटका, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में गर्मी ने असर दिखाया है, जहां तापमान 35 से 38 डिग्री सेल्सियस के बीच बना हुआ है। हालांकि, केरल और दक्षिणी कर्नाटका में 2 से 3 अप्रैल को हल्की से मध्यम बारिश हुई, जिससे कुछ राहत मिली। हालांकि, मौसम विभाग का कहना है कि इन क्षेत्रों में तेज हवाओं और ओलावृष्टि की भी संभावना है, लेकिन फिर भी गर्मी का असर कम नहीं होगा।
क्या यह जलवायु परिवर्तन है?
विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले कुछ दशकों में मानवीय गतिविधियों ने जलवायु पर काफी प्रभाव डाला है। जंगलों की अन्धाधुंध कटाई और ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन से वातावरण में अत्यधिक गर्मी जमा हो रही है, जो वैश्विक तापमान में वृद्धि का कारण बन रही है। कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन जैसी गैसें वातावरण में गर्मी को कैद कर रही हैं, जिससे भारत जैसे गर्म जलवायु वाले देशों में गर्मी का असर और भी ज्यादा बढ़ रहा है।
गर्मी पहले क्यों पड़ी?
इस बार भारत में गर्मी का पहले आना भी जलवायु परिवर्तन का ही परिणाम है। विशेषज्ञों के अनुसार, मौसम के पैटर्न में बदलाव के कारण गर्म हवाओं का प्रवाह पहले ही शुरू हो गया है। एल नीनो प्रभाव और समुद्र की सतह के तापमान में वृद्धि ने भी इस साल गर्मी को और बढ़ा दिया है। इसके अतिरिक्त, शहरीकरण और कंक्रीट के जंगलों के कारण स्थानीय तापमान में वृद्धि हुई है, जिससे अप्रैल के महीने में ही गर्मी अपने चरम पर पहुंच गई है।
मई-जून में क्या होगा?
अगर अप्रैल में ही गर्मी इतनी अधिक है, तो मई और जून में तापमान के और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। मौसम विभाग का कहना है कि इस बार तापमान 45 से 48 डिग्री तक पहुंच सकता है। खासकर उत्तर भारत में स्थिति और बिगड़ सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि हीटवेव के दिनों की संख्या बढ़ने से लोगों को स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में गर्मी से बचने के लिए पहले से सावधानी बरतना जरूरी है।
हीटवेव से बचने के उपाय
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हाइड्रेटेड रहें: पानी ज्यादा पीने की आदत डालें। गर्मी में शरीर को हाइड्रेटेड रखना बहुत जरूरी है।
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सूर्य की किरणों से बचें: दिन के तीव्र धूप के समय (12 बजे से 4 बजे तक) बाहर जाने से बचें। यदि बाहर जाना जरूरी हो, तो छाता और सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें।
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हल्के कपड़े पहनें: हल्के रंग और ढीले कपड़े पहनें ताकि गर्मी से बचा जा सके।
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एयर कंडीशनिंग और पंखे का इस्तेमाल करें: घर में एयर कंडीशनर या पंखे का उपयोग करें।
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ब्रेक लें: बाहर काम करते समय नियमित रूप से आराम करें।
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जोखिम में रहने वालों पर ध्यान दें: बच्चों, बुजुर्गों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे लोगों पर खास ध्यान रखें क्योंकि वे हीट स्ट्रोक से ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं।
जलवायु परिवर्तन और भारत का भविष्य
भारत में गर्मी का बढ़ना और उसके साथ होने वाली हीटवेव जलवायु परिवर्तन का ही परिणाम है। जैसे-जैसे पृथ्वी का तापमान बढ़ेगा, वैसे-वैसे भारत में और भी गर्मी का सामना करना पड़ेगा। इसके चलते केवल गर्मी ही नहीं, बल्कि मानसून के मौसम में भी बदलाव देखे जा सकते हैं। इसलिए, हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कदम उठाने होंगे। शहरीकरण के प्रभावों को कम करने के लिए हमें हरियाली बढ़ाने की आवश्यकता है और ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन घटाने के लिए बेहतर प्रयास करने होंगे।
इस साल गर्मी का जल्दी आना और मौसम में बदलाव निश्चित रूप से चिंता का विषय है। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन इस समस्या का प्रमुख कारण है। मई और जून में देशभर में तेज गर्मी और हीटवेव का असर और बढ़ सकता है। ऐसे में, नागरिकों को पहले से सावधानी बरतनी होगी ताकि वे इस मौसम से सुरक्षित रह सकें। सरकार और नागरिक दोनों को मिलकर इस समस्या से निपटने के उपायों पर विचार करना होगा, ताकि भविष्य में इस तरह की स्थिति से निपटने में आसानी
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