KKN न्यूज ब्यूरो। मुजफ्फरपुर जिला के मीनापुर प्रखंड मुख्यालय पर अनशन कर रहे घोसौत के दो समाजिक कार्यकर्ता का तीसरे रोज शुक्रवार को प्रशासन ने पुलिस की मदद से अनशन समाप्त करा दिया है। एसडीओ पूवी के द्वारा जारी पत्र के हवाले से बीडीओ अमरेन्द्र कुमार ने बताया कि कोविड- 19 के खतरो के बीच धरना और प्रदर्शन पर रोक है। बीडीओ ने यह भी बताया कि आरोप की जांच पूरी हो गई है और रिपोर्ट उच्चाधिकारी को भेज दिया गया है। गौरकरने वाली बात ये है कि एसडीओ पूवी ने 5 सितम्बर को ही अनशन पर रोक का आदेश जारी कर दिया था। किंतु, यह पत्र 11 सितम्बर को मीनापुर पहुंचा। इस बीच 9 सितम्बर से ही दोनो अनशन पर बैठ चुकें थे।
गौरकरने वाली बात ये है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट नलजल योजना में गड़बरी का मामला अब तुल पकड़ने लगा है। घटिया पाइप लाइन बिछा कर राशि के बंदरबाट का मामला हो या पेयजल की अनियमित आपूर्ति का मामला। मीनापुर में पिछले तीन रोज से जांच की मांग को लेकर दो युवा समाजिक कार्यकर्ता अनशन पर बैठे थे। मीनापुर अस्पताल के प्रभारी डॉ. राकेश कुमार के मुताबिक अनशकारी डिहाड्रेशन के शिकार होने लगे है। नतीजा, शुक्रवार की सुबह दोनो को स्लाइन दिया गया। अनशनकारियों को स्थानीय प्रशासन की नीयत पर भरोसा नहीं है।
9 सितम्बर से अनशन पर बैठे घोसौत गांव के समाजिक कार्यकर्ता राकेश कुमार सहनी और मो. शमसुल डीएम से आश्वासन मिलने के बाद अनशन समाप्त करना चाहते थे। किंतु, प्रखंड प्रशासन कोविड का हवाला देकर अनशन समाप्त कराने के लिए पुलिस की मदद ले रहे थे। बतातें चलें कि गांव के दो दर्जन से अधिक लोग अनशकारियों के समर्थक में धरना पर है। सीपीआई भी अनशनकारियों के समर्थन में खड़ी हो गई थीं।
राकेश कुमार ने बताया कि घोसौत पंचायत के नलजल योजना के तहत वार्ड संख्या 1, 2, 5, 6, 9, 10, 11 व 12 में व्यापक गड़बरी हुई है और ग्रामीण लम्बे समय से जांच की मांग कर रहे है। गांव के लोगो ने स्थानीय अधिकारी से लेकर उच्चाधिकारी तक इसकी शिकायत की। मुख्यमंत्री को भी लिखित आवेदन देकर जांच की मांग की गई। पर, किसी ने नहीं सुना। इसके बाद लोगो का असंतोष भड़क गया।
धरना पर बैठे लोग वार्ड क्रियान्वयन प्रबंध समिति पर पैसा की निकासी करके प्राक्कलन के अनुसार कार्य नही करने का आरोप लगा रहें हैं। भाकपा के प्रो. लक्ष्मीकांत व रामचन्द्र झा ने बताया कि पूरे प्रखंड में कमोवेश यही हाल है। निष्पक्ष जांच हो जाए तो कई बड़े अधिकारी और जनप्रतिनिधियो की गर्दन फंस जायेगी।
This post was published on सितम्बर 11, 2020 11:38
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