KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार में 10 अप्रैल 2025 को आंधी-बारिश और बिजली गिरने के कारण भारी तबाही मची। इस प्राकृतिक आपदा ने 59 लोगों की जान ले ली, जबकि कई अन्य लोग घायल हो गए। नालंदा, सिवान, भोजपुर, गोपालगंज, और बेगूसराय सहित कई जिलों में पेड़ गिरने, दीवारों के ढहने और करकट गिरने से जान-माल का भारी नुकसान हुआ। इसके अलावा, किसानों की फसलें भी बर्बाद हो गईं। इस लेख में हम इस आपदा के प्रभाव और उसके बाद की स्थिति पर चर्चा करेंगे।
आंधी-बारिश और बिजली से हुई तबाही:
बिहार के विभिन्न जिलों में अचानक आए आंधी-बारिश और बिजली गिरने के कारण 59 लोगों की जान चली गई। नालंदा में सबसे अधिक 13 लोग मारे गए। यहां की सबसे भयावह घटना नालंदा जिले के बिहार शरीफ प्रखंड के नगवां गांव में घटी, जहां देवी स्थान की दीवार पर एक विशाल पीपल का पेड़ गिर पड़ा, जिससे एक ही स्थान पर छह लोग दबकर मारे गए। इसके अलावा, इस्लामपुर के बालमत बिगहा गांव में एक पुलिया गिरने से दादी, उनके पोते और पोती की भी मौत हो गई।
विद्युत और बुनियादी ढांचे का नुकसान:
कई जिलों में बिजली की आपूर्ति भी प्रभावित हुई। पटना, सिवान, गोपालगंज, बेगूसराय, और भोजपुर जैसे क्षेत्रों में कई स्थानों पर बिजली कटौती की खबरें आई। सिवान में वज्रपात से चार लोगों की मौत हुई, जबकि गोपालगंज में एक महिला की मौत पेड़ गिरने से हुई। इस दौरान रेलवे भी प्रभावित हुआ, जब दिल्ली-हावड़ा मेन लाइन पर आरा से बक्सर के बीच बिजली कटौती के कारण कई ट्रेनें रुक गईं।
कृषि क्षेत्र पर असर:
इस प्राकृतिक आपदा ने कृषि क्षेत्र को भी भारी नुकसान पहुँचाया। गेहूं, आम और लीची की फसलें बर्बाद हो गईं। जिन किसानों की फसलें खेतों में पड़ी थीं, उन्हें ज्यादा नुकसान हुआ। उत्तर बिहार के क्षेत्रों में ठनका और पेड़ गिरने से तीन लोगों की मौत हुई, जबकि कई अन्य घायल हो गए। साथ ही, कई जगहों पर फसलों को गंभीर नुकसान पहुंचा है, जिससे किसानों की स्थिति और कठिन हो गई है।
नुकसान की वृद्धि:
आंधी के कारण कई स्थानों पर पेड़ गिर गए और कच्चे घरों को नुकसान हुआ। जैसे कि मुजफ्फरपुर के पारू थाना क्षेत्र में एक पीपल का पेड़ गिरने से एक व्यक्ति की मौत हो गई, वहीं दरभंगा और समस्तीपुर में बारिश से गेहूं की फसल को नुकसान हुआ। इसी तरह, सीमांचल के विभिन्न क्षेत्रों में भी बेमौसम बारिश और वज्रपात ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया:
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस भीषण आपदा पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है। उन्होंने पीड़ित परिवारों को ₹4 लाख की सहायता राशि देने का ऐलान किया है। मुख्यमंत्री ने यह भी अपील की है कि लोग खराब मौसम में सावधानी बरतें और आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों का पालन करें।
भविष्य के लिए तैयारियाँ:
बिहार की यह प्राकृतिक आपदा हमें यह याद दिलाती है कि ऐसे खतरनाक मौसम से निपटने के लिए तैयारी और सुरक्षा उपायों की आवश्यकता है। राज्य सरकार ने आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य तेज कर दिए हैं। इसके अलावा, भविष्य में ऐसी आपदाओं से बचाव के लिए जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को लेकर जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है।
बिहार में आंधी-बारिश और बिजली गिरने से हुई भारी तबाही ने 59 लोगों की जान ले ली और कई अन्य को प्रभावित किया। इस घटना ने यह सिद्ध कर दिया कि प्राकृतिक आपदाओं के प्रति तैयार रहना कितना महत्वपूर्ण है। राज्य सरकार द्वारा किए गए राहत प्रयासों और मदद की घोषणाओं से प्रभावित परिवारों को कुछ राहत मिली है, लेकिन राज्य में इस प्रकार की आपदाओं से निपटने के लिए और अधिक ठोस उपायों की आवश्यकता है। इस आपदा से किसानों और सामान्य लोगों की स्थिति में सुधार लाने के लिए राज्य सरकार को दीर्घकालिक समाधान पर विचार करना चाहिए।
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