मुजफ्फरपुर जिले के चितरौली गांव के 26 वर्षीय धीरेंद्र कुमार ने एक शानदार मोड़ लेते हुए युवा मामलों और खेल मंत्रालय, भारत सरकार में जिला युवा अधिकारी के पद पर नियुक्ति प्राप्त की है। उनकी नियुक्ति UPSC के प्रतिभा पोर्टल के माध्यम से हुई है, जो उन उम्मीदवारों के लिए एक पहल है जो UPSC परीक्षा के इंटरव्यू चरण को पास तो कर लेते हैं, लेकिन अंतिम मेरिट सूची में स्थान नहीं बना पाते।
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प्रारंभिक जीवन और शैक्षिक यात्रा
धीरेंद्र, जिन्हें उनके करीबी लोग धीरज के नाम से भी जानते हैं, एक किसान परिवार में पैदा हुए थे। उनके पिता, स्व. ब्रजकिशोर राय, और मां, कृष्णा देवी, ने सीमित संसाधनों के बावजूद उनकी शिक्षा का पूरा समर्थन किया। अपने बच्चे की शिक्षा के लिए परिवार ने अपनी ज़मीन का एक हिस्सा भी बेचा, एक बलिदान जिसे धीरेंद्र आज भी अपनी प्रेरणा मानते हैं। उनका कहना है, “जब मेरे परिवार ने मेरी शिक्षा के लिए सब कुछ दांव पर लगा दिया, तो मुझे पता था कि मुझे कुछ बड़ा हासिल करना होगा।”
धीरेंद्र ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा चितरौली के सरकारी मध्य विद्यालय से की और फिर मणियारी, मुजफ्फरपुर के हाई स्कूल से अपनी माध्यमिक शिक्षा पूरी की। यहां पर वे हमेशा जिला परीक्षा में शीर्ष पांच छात्रों में शामिल रहे। उनकी शैक्षिक सफलता ने उन्हें जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), दिल्ली में प्रवेश दिलवाया, जहां उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में बीटेक और एमएस की डिग्री हासिल की। फिलहाल, वे JNU के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज से अंतरराष्ट्रीय संबंधों में पीएचडी कर रहे हैं।
UPSC की आकांक्षाएं और इंटरव्यू में असफलता
धीरेंद्र ने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई के साथ UPSC सिविल सर्विसेज परीक्षा की तैयारी भी शुरू की थी, और उनका सपना हमेशा से IAS अधिकारी बनने का था। UPSC इंटरव्यू तक पहुंचना अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है, लेकिन लाखों उम्मीदवारों की तरह, वे अंतिम चयन से चूक गए। इस असफलता को अंत के रूप में न देखकर, धीरेंद्र ने प्रतिभा पोर्टल के माध्यम से नए अवसरों की तलाश की।
प्रतिभा पोर्टल के माध्यम से चयन
UPSC ने 2023 में प्रतिभा सेतु योजना की शुरुआत की, जिसके तहत उन उम्मीदवारों के प्रोफाइल साझा किए जाते हैं जो इंटरव्यू तो पास कर लेते हैं, लेकिन चयन नहीं हो पाता। इस टैलेंट पूल से पंजीकृत सरकारी और निजी संगठन उम्मीदवारों को नियुक्त कर सकते हैं। धीरेंद्र के पास JNU की डिग्रियां, पीएचडी अनुसंधान और UPSC इंटरव्यू में सफलता जैसी शानदार योग्यताएं थीं, जिनकी वजह से युवा मामलों और खेल मंत्रालय ने उन्हें जिला युवा अधिकारी के रूप में नियुक्त किया।
व्यक्तिगत प्रेरणा और पारिवारिक समर्थन
धीरेंद्र ने अपने स्व. पिता की प्रेरणा और अपनी मां के उत्साहवर्धन को अपने संघर्षों से उबरने की मुख्य वजह माना। वे याद करते हुए कहते हैं, “जब जून में मेरे पिता का निधन हुआ, तब मैं अपनी पीएचडी की परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था। यह एक बेहद कठिन समय था, लेकिन मेरी मां का समर्थन मुझे शक्ति देता था।” वे अपनी सफलता को अपने माता-पिता और पांच भाई-बहनों को समर्पित करते हुए कहते हैं, “चाहे हालात जैसे भी हों, ईमानदारी से की गई मेहनत और स्पष्ट लक्ष्य हमेशा फल देते हैं।”
भविष्य की आकांक्षाएं
हालांकि अब धीरेंद्र एक जिला युवा अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं, लेकिन उनका IAS बनने का सपना अभी भी जीवित है। वे अपनी सरकारी जिम्मेदारियों और पीएचडी अनुसंधान के साथ UPSC की तैयारी जारी रखे हुए हैं। वे बताते हैं, “यह भूमिका मुझे मेरी सामुदायिक सेवा शुरू करने का अवसर देती है, जबकि मैं अपने दीर्घकालिक लक्ष्य यानी सिविल सेवा की ओर काम कर रहा हूं।”
धीरेंद्र कुमार ने UPSC इंटरव्यू की असफलता को सार्वजनिक सेवा में एक रास्ते में बदल कर, प्रतिभा पोर्टल के सकारात्मक प्रभाव को उजागर किया है, जो प्रतिभाशाली युवाओं को सार्थक करियर की ओर मार्गदर्शन करता है। उनका यह सफर हमें यह सिखाता है कि परिश्रम, आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प से हम किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं और अपने सपनों को साकार कर सकते हैं।



