बिहार के 8.28 लाख हेक्टेयर में होती है सब्जी की खेती / 3.22 हेक्टेयर में होती है आलू की खेती / 60.13 हजार हेक्टेयर में फूलगोभी की खेती / 50.47 हजार हेक्टेयर में प्याज की खेती / 46.46 हजार हेक्टेयर में टमाटर की खेती
बिहार। बिहार को सब्जी उत्पादन का हब बनाने के लिए राज्य सरकार ने कमर कस लिया है। राज्य सरकार ने सब्जी उत्पादकों को बाजार उपलब्ध कराने के लिए प्राथमिक सब्जी उत्पादक सहकारी समिति बनाने का फैसला किया है। प्रखंड स्तर पर गठित होने वाली ये समितियां उत्पादकों से सब्जी संग्रह करेंगी। समिति भंडारण और ग्रेडिंग करने के बाद मार्केटिंग के लिए सब्जी सहकारी संघ को देगी। इन समितियों में सदस्य वही किसान होंगे जो खुद की जमीन या किराए की जमीन पर खुद सब्जी का उत्पादन करते हों।
इतना ही नही बल्कि, राज्य में सब्जी उत्पादक संघ मार्केटिंग की भी व्यवस्था संभालेगा। सब्जी के संकलन के लिए अलग समिति होगी तो ग्रेडिंग और स्टोरेज के लिए क्षेत्रीय स्तर पर अलग से संघ बनाया जाएगा। इसके अलावा मार्केटिंग के लिए किसानों का अपना फेडरेशन होगा। किसानों से संकलन और प्रसंस्करण के साथ मार्केटिंग की जिम्मेदारी भी इन्हीं संस्थाओं की दी जानी है। साथ ही बाजार तक कोल्ड चेन की व्यवस्था भी संघ के द्वारा किया जायेगा।
क्षेत्रीय स्तर पर सब्जी प्रसंस्करण और मार्केटिंग के लिए सहकारी संघ बनेगा। यह संघ कई जिलों के किसानों को मिलाकर बनेगा। इसका मुख्य काम समिति द्वारा उपजायी गई सब्जी का संकलन कर उसकी प्रोसेसिंग करना होगा। इसके लिए इसके पास मल्टी चैम्बर कोल्ड स्टोरेज, पर्यावरण से सुरक्षा करने वाले चैम्बर और छंटाई करने वाली मशीन भी उपल्बध होगी। इसके अलावा सब्जी के मूल्यवर्द्धन के लिए दूसरी जरूरी मशीनें भी संघ के पास उपलब्ध कराने की योजना है। सब्जी के मार्केटिंग का काम सहकारी फेडरेशन करेगा। फेडरेशन के जिम्मे संघों के बीच समन्वय स्थापित करने का काम भी होगा। सभी संघों को एक साथ जोड़कर राज्य के भीतर और राज्य के बाहर सब्जी की मार्केटिंग की व्यवस्था फेडरेशन करेगा
जैविक प्रमाण पत्र
राज्य सरकार ने सब्जी उत्पादन में राज्य को देश में पहले स्थान पर लाने का फैसला किया है। अभी राज्य तीसरे पायदान पर है। इसके लिए जैविक कॉरिडोर बनाया गया है। इस कॉरिडोर में उत्पादित होने वाली सब्जी को जैविक होने का प्रमाणपत्र दिया जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार ने केरल के साथ एमओयू साइन कर लिया है।