KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार शिक्षा विभाग ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जिसके तहत अब राज्य के सरकारी स्कूलों में छात्रों को भोजपुरी भाषा में पढ़ाया जाएगा। यह पहल शिक्षा प्रणाली को और भी अधिक समावेशी बनाने के लिए की गई है, ताकि बच्चों को अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त हो और वे बेहतर तरीके से सीख सकें। इसके साथ ही, स्कूलों में छात्रों को जीवन में काम आने वाले कई महत्वपूर्ण स्किल्स सिखाए जाएंगे। बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने इस योजना के बारे में जानकारी दी और बताया कि यह कदम छात्रों के लिए शिक्षा को अधिक सुलभ और प्रभावी बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
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बिहार के सरकारी स्कूलों में भोजपुरी भाषा का उपयोग
डॉ. एस सिद्धार्थ ने “शिक्षा की बात” कार्यक्रम के दौरान यह घोषणा की कि बिहार के सरकारी स्कूलों में कक्षा तीन तक के छात्रों को भोजपुरी भाषा में पढ़ाया जाएगा। यह पहल भोजपुरी बोलने वाले छात्रों को एक सहज और प्रभावी शिक्षा प्रदान करने के लिए की गई है। भोजपुरी बिहार और उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में बोली जाती है, और इसे छात्रों के लिए एक स्थानीय भाषा के रूप में समझना और सीखना अधिक आसान होगा।
भोजपुरी को शिक्षा का माध्यम बनाने से छात्रों को अपनी क्षेत्रीय संस्कृति और भाषा से जुड़ने का अवसर मिलेगा। इसके अलावा, यह कदम बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों को शिक्षा के प्रति अधिक आकर्षित करने का एक तरीका है, क्योंकि यह भाषा उनके रोजमर्रा की ज़िंदगी से संबंधित है। इससे शिक्षा की पहुंच उन छात्रों तक बढ़ाई जाएगी जो हिंदी या अंग्रेजी से पूरी तरह परिचित नहीं हैं।
समय प्रबंधन और स्किल डेवलपमेंट पर ध्यान
भोजपुरी को शिक्षा का माध्यम बनाने के अलावा, बिहार के स्कूलों में छात्रों को जीवन में काम आने वाले महत्वपूर्ण स्किल्स भी सिखाए जाएंगे। इसमें मुख्य रूप से समय प्रबंधन पर जोर दिया जाएगा, ताकि छात्र और शिक्षक मिलकर अपनी पढ़ाई और अन्य गतिविधियों को समय पर पूरा कर सकें। यह कदम बच्चों को समय की क़ीमत समझने और अपने कार्यों को प्राथमिकता देने में मदद करेगा।
इसके साथ ही, स्कूलों में छात्रों को व्यक्तिगत विकास से संबंधित कई अन्य स्किल्स भी सिखाई जाएंगी। जैसे, प्रभावी संवाद कौशल, टीमवर्क, और समस्या सुलझाने की क्षमता, जो जीवन के हर क्षेत्र में बच्चों के लिए उपयोगी साबित होंगी। यह शिक्षा प्रणाली को बच्चों के समग्र विकास पर केंद्रित करती है, जिससे वे न केवल अच्छे छात्र बनें, बल्कि अच्छे इंसान भी बनें।
स्कूलों में सांस्कृतिक कार्यक्रम और लाउडस्पीकर का उपयोग
बिहार के स्कूलों में एक और अहम बदलाव किया गया है, जिसके तहत स्कूलों में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों और प्रार्थनाओं को अब तेज आवाज में किया जाएगा। इसके लिए स्कूलों में लाउडस्पीकर लगाए जाएंगे ताकि स्कूल की गतिविधियों की आवाज़ आसपास के गांवों तक पहुंचे। डॉ. सिद्धार्थ ने बताया कि इससे ग्रामीण समुदाय को यह जानकारी मिलेगी कि स्कूलों में क्या हो रहा है और कौन सी गतिविधियाँ चल रही हैं।
लाउडस्पीकर का उपयोग बच्चों के अभिभावकों तक भी जानकारी पहुंचाने के लिए किया जाएगा। जब छात्र स्कूल में उपस्थित नहीं होंगे, तो अभिभावक लाउडस्पीकर के जरिए यह जान सकेंगे कि स्कूल में क्या पढ़ाई हो रही है। इससे अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित होंगे और शिक्षा में अधिक भागीदारी करेंगे। यह कदम बच्चों के स्कूल में नियमित रूप से जाने को प्रोत्साहित करेगा, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा।
स्कूलों में नामांकन बढ़ाने के लिए नई पहल
बिहार सरकार ने स्कूलों में छात्रों के नामांकन को बढ़ाने के लिए एक नई योजना भी शुरू की है। इसके तहत, मुखिया, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, और जीविका दीदी जैसे स्थानीय नेतृत्व से लोगों को जोड़कर उन्हें बच्चों का नामांकन स्कूलों में कराने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इस अभियान के तहत, इन स्थानीय समुदायों के नेताओं को लोगों को समझाने का कार्य सौंपा जाएगा कि वे अपने बच्चों को स्कूल में नामांकित करें।
डॉ. सिद्धार्थ ने बताया कि इस पहल के माध्यम से बिहार सरकार का उद्देश्य है कि अधिक से अधिक बच्चे स्कूल में दाखिला लें और शिक्षा की मुख्यधारा से जुड़ें। यह अभियान विशेष रूप से उन क्षेत्रों में काम करेगा, जहां बच्चों का नामांकन कम है या शिक्षा तक उनकी पहुंच नहीं हो पाई है।
राष्ट्रीय भावना, योग और साफ-सफाई पर जोर
इसके अलावा, बिहार के स्कूलों में छात्रों को राष्ट्रीय भावना को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न गतिविधियाँ सिखाई जाएंगी। इसमें राष्ट्रगीत, राष्ट्रगान, और योग के अभ्यास की शिक्षा दी जाएगी। यह गतिविधियाँ छात्रों में देशभक्ति की भावना पैदा करने के लिए आयोजित की जाएंगी, ताकि वे अपने देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझें।
साफ-सफाई के बारे में छात्रों को जागरूक करने के लिए भी विशेष सत्र आयोजित किए जाएंगे। बच्चों को यह सिखाया जाएगा कि व्यक्तिगत स्वच्छता और समाजिक सफाई क्यों महत्वपूर्ण है। यह कदम न केवल स्कूलों में बल्कि पूरे समुदाय में स्वच्छता और साफ-सफाई के महत्व को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है।
ऑनलाइन अटेंडेंस सिस्टम की शुरुआत
बिहार सरकार ने यह भी ऐलान किया है कि राज्य के 6 जिलों में स्थित 30 स्कूलों में एक मई से ऑनलाइन अटेंडेंस सिस्टम लागू किया जाएगा। इस डिजिटल प्रणाली के जरिए छात्र-छात्राओं की उपस्थिति को ऑनलाइन ट्रैक किया जाएगा। इससे स्कूल प्रशासन को बच्चों की उपस्थिति की सही जानकारी मिलेगी, और अभिभावक भी अपने बच्चों की उपस्थिति को आसानी से देख सकेंगे।
ऑनलाइन अटेंडेंस सिस्टम से स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति पर कड़ी निगरानी रखी जा सकेगी, और यह शैक्षिक गुणवत्ता को सुधारने में मदद करेगा। यह कदम बच्चों के स्कूल जाने की आदत को मजबूत करने के लिए भी महत्वपूर्ण होगा, जिससे अधिक छात्र नियमित रूप से स्कूल आएंगे।
बिहार सरकार द्वारा किए गए ये बदलाव शिक्षा व्यवस्था में एक नया मोड़ लाने के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे। भोजपुरी को शिक्षा का माध्यम बनाना और छात्रों को जीवन के आवश्यक स्किल्स सिखाना राज्य की शिक्षा प्रणाली में सुधार की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। इसके साथ ही, स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर छात्रों के नामांकन को बढ़ावा देना, सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन और स्वच्छता पर जोर देना छात्रों के समग्र विकास के लिए फायदेमंद होगा।
बिहार में हो रहे ये सुधार देशभर में शिक्षा के क्षेत्र में अन्य राज्यों के लिए एक आदर्श बन सकते हैं। इन बदलावों से राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा और बच्चों को एक समग्र और समर्पित शिक्षा मिलेगी, जो उनके भविष्य को उज्जवल बनाएगी।
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