अमिताभ बच्चन ने 1965 भारत-पाक युद्ध को किया याद, शेयर की पिता हरिवंश राय बच्चन की वीरता पर लिखी कविता

Amitabh Bachchan Recalls 1965 India-Pakistan War

KKN गुरुग्राम डेस्क | बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन ने हाल ही में पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद पहली बार सार्वजनिक रूप से प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने भारतीय सेना द्वारा चलाए जा रहे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सराहना की और साथ ही 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की भी याद ताजा की।

अपने पिता, प्रसिद्ध कवि हरिवंश राय बच्चन की एक ऐतिहासिक कविता को साझा करते हुए अमिताभ ने बताया कि यह कविता 1965 के युद्ध के दौरान लिखी गई थी, जो आज भी उतनी ही प्रासंगिक है।

 “सूर समर करनी करहिं…” कविता से वीरता की परिभाषा

अमिताभ बच्चन ने ट्विटर पर तुलसीदास कृत रामचरितमानस के लक्ष्मण और परशुराम संवाद से प्रेरित एक पंक्ति साझा की:

“सूर समर करनी करहिं, कहि न जनावहिं आप”

इसका भावार्थ उन्होंने इस प्रकार लिखा:
“शूरवीर अपनी वीरता युद्ध में करके दिखाते हैं, वे अपने मुंह से उसकी प्रशंसा नहीं करते। कायर लोग ही युद्ध में दुश्मन को देखकर बहादुरी के नारे लगाते हैं।”

इस कविता की गहराई यह दर्शाती है कि सच्चा पराक्रम शब्दों से नहीं, कर्मों से दिखाया जाता है

1965 युद्ध और कविता का महत्व

हरिवंश राय बच्चन की यह कविता 1965 में भारत-पाक युद्ध के समय लिखी गई थी, और उस समय राष्ट्र में देशभक्ति की भावना को प्रज्वलित करने में इसका महत्वपूर्ण योगदान रहा। इस रचना के लिए उन्हें 1968 में प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

अमिताभ ने ट्वीट में लिखा:

“60 साल पहले लिखी गई कविता आज भी उतनी ही सटीक बैठती है। बाबूजी की दृष्टि आज के समय में भी उतनी ही महान और प्रेरणादायी है।”

 ऑपरेशन सिंदूर से जोड़ते हुए कविता की व्याख्या

हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद, भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को और तेज़ किया है। यह एक रणनीतिक सैन्य अभियान है, जिसका उद्देश्य आतंकियों के नेटवर्क को खत्म करना और सीमा पर शांति स्थापित करना है।

अमिताभ बच्चन ने अपने ट्वीट में इस बात को रेखांकित किया कि:

“आज की परिस्थिति में हमारी सेना और सरकार का जो पराक्रम है, वह इस कविता की भावना के साथ पूरी तरह मेल खाता है।”

 हरिवंश राय बच्चन: कवि, विचारक और प्रेरणा

हरिवंश राय बच्चन को आमतौर पर ‘मधुशाला’ के रचयिता के रूप में जाना जाता है, लेकिन उनका योगदान राष्ट्रभक्ति पर आधारित साहित्य में भी अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है।

  • पुरस्कार: साहित्य अकादमी (1968)

  • मुख्य विषय: साहस, राष्ट्रधर्म, मानवीय मूल्य

  • उपलब्धि: भारतीय साहित्य में युद्धकालीन कविताओं का प्रमुख स्थान

उनकी रचनाएं आज भी विद्यार्थियों, सैनिकों और साहित्यप्रेमियों को कर्मशीलता और देशप्रेम की प्रेरणा देती हैं।

 सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया और ट्रेंड्स

अमिताभ बच्चन के ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर जोरदार प्रतिक्रिया देखने को मिली। ट्विटर और इंस्टाग्राम पर ट्रेंड करने लगे हैशटैग्स जैसे:

  • #SoorSamar

  • #HarivanshRaiBachchan

  • #OperationSindoor

  • #AmitabhOnPatriotism

देशभर के नागरिकों और युवाओं ने इस कविता को देशभक्ति का प्रतीक बताते हुए शेयर किया।

 राजनीतिक और सैन्य प्रतिक्रिया

  • रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने अमिताभ की सराहना करते हुए कहा कि “सेना को साहित्यिक समर्थन का यह रूप, मनोबल बढ़ाता है।”

  • राजनीतिक विश्लेषकों ने इस ट्वीट को एक “भावनात्मक राष्ट्रवाद का संदेश” बताया।

 कविता की शिक्षाएं और वर्तमान प्रासंगिकता

हरिवंश राय बच्चन की कविता एक मूलभूत सत्य को उजागर करती है:
“वीरता प्रचार नहीं, प्रदर्शन से सिद्ध होती है।”

आज जब भारत सीमा पर और आतंरिक सुरक्षा के मोर्चों पर चुनौतियों का सामना कर रहा है, ऐसे में यह संदेश और भी उत्कृष्ट और सामयिक हो जाता है।

अमिताभ बच्चन का यह ट्वीट सिर्फ एक श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि एक गहरी चेतना का संचार है। यह एक ऐसी कविता की याद दिलाता है, जिसने न केवल अतीत में देश का हौसला बढ़ाया, बल्कि आज के संकट में भी प्रेरणा देने का कार्य कर रही है

हरिवंश राय बच्चन के शब्द आज भी भारतीय आत्मा का प्रतिबिंब हैं — शांति में धैर्य, युद्ध में पराक्रम और हर समय में कर्मशीलता।


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