आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25: भारतीय अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाएँ

Economic Survey 2024-25: Key Insights on India’s Economic Growth and Future Projections

KKN गुरुग्राम डेस्क |  वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 पेश करने जा रही हैं। इससे पहले, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू संसद के वित्त वर्ष 2025-26 के बजट सत्र का उद्घाटन करेंगी और दोनों सदनों को संबोधित करेंगी।

आर्थिक सर्वेक्षण, जो कि मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी. अनंता नागेश्वरन और उनकी टीम द्वारा तैयार किया गया है, भारत की आर्थिक प्रगति, जीडीपी वृद्धि, वित्तीय नीतियों, मुद्रास्फीति, रोजगार दर और निवेश जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं का विश्लेषण करेगा।

भारत की आर्थिक विकास दर और भविष्य की संभावनाएँ

2024 की शुरुआत में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7% रहने का अनुमान था, जिससे यह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हुआ। भारत के 2024-25 में 4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने और 2027 तक विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की उम्मीद जताई गई थी।

हालांकि, हालिया अनुमानों के अनुसार, 2024-25 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.4% के आसपास रहने की संभावना है, जो पिछले चार वर्षों में सबसे कम होगी। इसका प्रमुख कारण निर्माण क्षेत्र में सुस्ती और निवेश में कमी को माना जा रहा है।

आर्थिक सर्वेक्षण 2025-26 के लिए 6.3% से 6.8% की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान व्यक्त किया गया है, जो कि निजी खपत, बुनियादी ढांचे में निवेश और सरकारी नीतियों पर निर्भर करेगा।

आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के प्रमुख बिंदु

  1. जीडीपी विकास दर का अनुमान:
    • 2024-256.4%, जो कि पिछले वर्ष के 6.5-7% के अनुमान से कम है।
    • 2025-266.3% से 6.8% की अनुमानित वृद्धि दर।
  2. आर्थिक वृद्धि के प्रमुख कारक:
    • निजी खपत और निवेश में मजबूती
    • बुनियादी ढांचे और विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकारी नीतियाँ
    • डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत योजनाओं का समर्थन
    • आईटी, ई-कॉमर्स और वित्तीय सेवाओं में तेजी
  3. आर्थिक चुनौतियाँ:
    • विनिर्माण क्षेत्र की धीमी रिकवरी, जिससे रोजगार और निर्यात प्रभावित हो सकता है।
    • वैश्विक आर्थिक अस्थिरता, जिससे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रभावित हो सकता है।
    • मुद्रास्फीति और रुपये में गिरावट, जो हाल ही में 3 पैसे कमजोर होकर 86.65 प्रति डॉलर के स्तर पर पहुँच गया।

भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय स्थिति

भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि दक्षिण एशिया की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद कर रही है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण एशिया की आर्थिक वृद्धि मुख्य रूप से भारत के मजबूत प्रदर्शन पर निर्भर है।

हालांकि, आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए सरकार को निम्नलिखित उपायों पर ध्यान देना होगा:

  • मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना, जो कि खाद्य और ऊर्जा कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण बढ़ सकती है।
  • निर्यात को बढ़ावा देना, विशेष रूप से विनिर्माण और तकनीकी क्षेत्रों में।
  • विदेशी निवेश को आकर्षित करना, जिससे आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी।
  • रुपये की मजबूती बनाए रखना, ताकि डॉलर के मुकाबले और अधिक गिरावट न हो।

भारत का 4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य

इस आर्थिक सर्वेक्षण से यह भी उम्मीद की जा रही है कि इसमें भारत को 2024-25 में 4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए आवश्यक रणनीति पर चर्चा की जाएगी। सरकार निम्नलिखित उपायों पर ध्यान केंद्रित कर सकती है:

  • डिजिटल और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना, जैसे UPI विस्तार, फिनटेक नवाचार और डिजिटल बैंकिंग
  • उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देना, विशेष रूप से Production-Linked Incentive (PLI) योजनाओं के माध्यम से
  • बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ाना, जैसे स्मार्ट सिटी, रेलवे और हाईवे परियोजनाएँ
  • MSME और स्टार्टअप सेक्टर को मजबूत करना, जिससे नौकरियों के अवसर बढ़ेंगे और आर्थिक वृद्धि को गति मिलेगी।

वैश्विक परिदृश्य में भारत की स्थिति

भारत की अनुमानित 6.4-6.8% जीडीपी वृद्धि दर कई विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में काफी बेहतर है, जो कि मंदी का सामना कर रही हैं।

  • अमेरिका और यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्था 2025 में 2% से भी कम बढ़ने की संभावना है।
  • चीन की विकास दर 4-5% के बीच रहने की संभावना है, जिससे भारत को एक प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिलेगा।
  • पूरे दक्षिण एशिया की आर्थिक वृद्धि मुख्य रूप से भारत की मजबूत मांग और नीतिगत सुधारों पर निर्भर रहेगी।

शेयर बाजार और निवेशकों की नजरें बजट 2025-26 पर

आर्थिक सर्वेक्षण के निष्कर्षों के बाद, निवेशकों की निगाहें 1 फरवरी 2025 को प्रस्तुत होने वाले केंद्रीय बजट 2025-26 पर टिकी हुई हैं। निवेशक विशेष रूप से निम्नलिखित क्षेत्रों पर ध्यान देंगे:

  • बुनियादी ढांचे और सामाजिक कल्याण पर सरकारी खर्च
  • कर सुधार और संभावित जीएसटी संशोधन
  • विदेशी निवेश को बढ़ाने और व्यापार को सुगम बनाने के उपाय

सेंसेक्स और निफ्टी आर्थिक सर्वेक्षण की प्रमुख घोषणाओं पर प्रतिक्रिया देंगे, विशेष रूप से वित्तीय घाटे और विनिर्माण क्षेत्र को पुनर्जीवित करने की योजनाओं पर।

आगे क्या? केंद्रीय बजट 2025-26 पर नजर

आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के निष्कर्षों के बाद अब सभी की नजरें 1 फरवरी 2025 को प्रस्तुत होने वाले केंद्रीय बजट 2025-26 पर होंगी। उम्मीद है कि बजट में निम्नलिखित पहलुओं पर ध्यान दिया जाएगा:

  • मध्यम वर्ग के लिए कर राहत
  • आईटी, विनिर्माण और स्वास्थ्य क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों को बढ़ावा
  • भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था और फिनटेक पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना
  • रक्षा और बुनियादी ढांचे पर सरकारी व्यय में वृद्धि

आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 भारत की आर्थिक स्थिति का व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत करता है और भविष्य की नीतियों की रूपरेखा तय करता है। हालाँकि, नीतिगत सुधार और निवेश को प्रोत्साहित करने वाले उपाय भारत की $4 ट्रिलियन जीडीपी के लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

अब सभी की निगाहें बजट 2025-26 पर टिकी हुई हैं, जिससे देश के नागरिकों और कारोबारियों को आर्थिक स्थिरता, रोजगार वृद्धि और जीवन स्तर में सुधार की उम्मीदें हैं।

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