संतोष कुमार गुप्ता
बूंदी। वर्तमान दौर मे अब हर व्यक्ति चाहता है कि उसके सिर पर छत हो। आलीशान मकान हो। सपनो का महल हो। आज के बदलते दौर में
राजस्थान के बूंदी जिले के साथेली, बथवाड़ा, अंथड़ा और लीलेड़ा व्यवसान गांवों में ऐसी ही एक मान्यता है। यहां के लोगों का मानना है कि लोक देवता भैरुजी के प्रति हमारी गहरी आस्था है। हमें बचपन से ही भगवान भैरुजी के चमत्कारों के बारे में बताया गया है, इसलिए इन चार गांवों का कोई भी निवासी इन मान्यताओं को तोड़ना नहीं चाहता और अपने घर पर पक्की छत नहीं डलवाता।
आपको बता दें कि इन गांवों में रहने वाले लोग अपने घरों की दीवारें तो पक्की बना लेते हैं पर छत पर पटि्टयां नहीं डाली जाती। छत पर पट्टियां डालना या फिर पक्की छत डालना ये लोग एक अभिषाप मानते हैं। इनके अनुसार यदि किसी ने भूलवश अथवा नजरअंदाज करते हुए अपने घर पर पटि्टयां डाल दी तो उसके परिवार के साथ कोई न कोई अनहोनी होनी तय मानी जाती है। ऐसे कुछ मामले गांव में देखने को मिले हैं।
इतना ही नहीं इन गांवों की महिलाएं पांवों में पायजेब या घुंघरु भी पहनती क्योंकि इसे भी यहां अभिशाप ही माना जाता है। यहां की महिलाएं कहती है कि इस अभिषाप या मान्यता के चलते पांवों में घुंघरु या पायल पहनने पर मनाही है।
आपको बता दें कि उक्त गांवों में दो आईएएस, दो आयकर अधिकारी, एक जज सहित दर्जनों शिक्षकों के भी घर हैं। इन पढ़ें लिखें लोगों के घरों पर भी पक्की छतें नहीं हैं। इन लोगों ने मान्यता के चलते घरों पर पक्की छत डालने के बजाय शहर की ओर पलायन करना ही उचित समझा।
यहां के लोगों के अनुसार ऐसा नहीं है कि गांन में सभी लोग लोग गरीब हैं। लेकिन लोकदेवता भैरुजी द्वारा की गई मनाई के चलते कोई भी ऐसा नहीं करना चाहता। इन लोगों ने बताया कि कुछ वर्षों पहले एक सरकारी स्कूल पर पटि्टयां (पक्की छत) डाली गई थी लेकिन अज्ञात कारणों के चलते वह भी गिर गईं।
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