पायलट और सिंधिया
KKN न्यूज ब्यूरो। कॉग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने बिग्रेड के दो युवा नेता सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश का कमान क्यों नहीं दिया? यह एक यक्ष प्रश्न हैँ। पर, इसके बड़े मायने भी है। हालांकि, भविष्य में इसका असर क्या होगा? इस बात को लेकर फिलहाल मंथन शुरू हो गया है।
राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में परचम लहराने में कॉग्रेस ब्रिग्रेड के दो युवा नेता सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जबरदस्त काम किया था और कॉग्रेस को इसका लाभ भी मिला। किंतु, कांग्रेस अध्यक्ष ने 72 वर्षिय कमलनाथ और 67 वर्षिय अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बना कर बड़ा दाव खेला है। इसमे कोई दो राय नहीं कि यह दोनो दिग्गज नेता है और आज भी लोकप्रिय है।
भाजपा का हिन्दी पट्टी में हारने का एक बड़ा कारण यह भी रहा है कि जनता पुराने नेताओं को एक दशक से ज़्यादा समय से सत्ता में देख रही थी। बदलाव की हवा ने भाजपा को सत्ता विहीन कर दिया। इस हिसाब से गहलोत और कमलनाथ दोनों कुछ अलग नहीं हैं। कॉग्रेस के 47 वर्षिय ज्योतिरादित्य सिंधिया और 41 वर्षिय सचिन पायलट के रूप में राहुल गांधी के पास सक्षम और सम्पन्न नेतृत्व मौजूद था। इन दोनों नेताओं ने चुनाव अभियान के दौरान किसी भी वरिष्ठ नेता के बराबर मेहनत की और उसका नतीजा सबके सामने है।
अगर राहुल युवा नेताओं को आगे करके कमान सौंपते तो उससे पार्टी एक नए अंदाज़, सोच और बदलाव का संदेश भेजती। इससे कांग्रेस को नरेन्द्र मोदी की युवाओं के बीच लोकप्रियता को हिन्दी पट्टी मे विभाजित करने का मौका भी मिलता। समाजवादी पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश को मुख्यमंत्री 2012 में बनाया और आज वह उत्तर प्रदेश के सबसे लोकप्रिय युवा नेताओं में से एक हैं। वह 2017 का चुनाव भले ही हार गए हों लेकिन प्रदेश मे भाजपा को चुनौती देने वाले वह अब अकेले युवा नेता हैं।
This post was published on दिसम्बर 15, 2018 19:14
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