बिहार में एनडीए के घटक दलो के बीच सीटो का बंटबारा भले हो गया। पर, लोकसभा क्षेत्र के चयन को लेकर मशक्कत अभी बाकी है। किस दल को कौन सी सीट मिलेगी? इसे लेकर अभी एक लंबी कसरत होनी बाकी है।
राजनीति के जानकार मानतें हैं कि सीटों के चयन की प्रक्रिया के बाद तस्वीर में बड़े बदलाव होने की संभावना है और इसका सर्वाधिक खामियाजा बीजेपी को ही भुगतना पड़ेगा। बीजेपी के कई दिग्गज सांसदों की सीट दूसरे के हिस्से में जाना लगभग तय हो गया है। बड़ी बात ये कि जदयू 2009 के फार्मूले को सीटों के चयन में आधार बनाने पर जोर दे सकता है और ऐसा हुआ तो बीजेपी के सामने और भी बड़ी चुनौती आ खड़ी होगी।
सूत्रों की माने तो बीजेपी, जेडीयू तथा लोजपा में सीटें तय करने के लिए जल्द ही बैठकों का दौर शुरू हो सकता है। पिछले दिनों तय हुए फार्मूले के तहत बीजेपी और जेडीयू 17-17 और लोजपा के लिए चार सीटें तय हुई थी। रालोसपा के हिस्से की दो सीटें भी लोजपा को मिलना अब तय माना जा रहा है। जेडीयू चाहता है कि अब सीटें भी तय हो जाएं, ताकि समय रहते बाकी की तैयारियां शुरू की जा सकें।
स्मरण रहें कि 2014 का लोकसभा चुनाव जेडीयू और बीजेपी ने अलग-अलग लड़ा था। इस चुनाव में बीजेपी ने 22 सीटें जीती थीं। बदले हालात में अब दोनो पार्टी एक साथ आ गई है। लिहाजा, सीटों का बंटवारा इतना आसान नहीं होने वाला है। दरअसल, जेडीयू इनमें से कई सीटों पर खुद को मजबूत स्थिति में पाता है। जिसमें सामाजिक समीकरणों का आधार भी है। इसलिए सभी सीटों को सामने रखकर तीनों दलों में नए सिरे बंटवारा होने की संभावना है और यही बंटबारा बीजेपी की राह को मुश्किल करने वाला है। फिलहाल, जेडीयू 2009 के लोकसभा चुनाव के फार्मूले को आधार बनाने के पक्ष में है।
This post was published on दिसम्बर 18, 2018 17:07
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