प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने दिल्ली में ऐतिहासिक जीत दर्ज की है, जिससे 27 साल बाद पार्टी को राष्ट्रीय राजधानी में सरकार बनाने का मौका मिला है। चुनाव आयोग (ECI) के अनुसार, BJP ने 70 विधानसभा सीटों में से 48 सीटों पर जीत दर्ज की या बढ़त बनाई, जबकि Aam Aadmi Party (AAP) केवल 22 सीटों पर आगे रही। दिल्ली में बहुमत के लिए 35 सीटों की जरूरत होती है, जिसे BJP ने भारी अंतर से पार कर लिया।
सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस जीत को “विकास की जीत और सुशासन की जीत” बताया और कहा कि उनकी पार्टी “दिल्ली के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।”
AAP के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने वीडियो संदेश जारी कर BJP को जीत की बधाई दी। उन्होंने कहा, “हम जनता के फैसले को विनम्रता से स्वीकार करते हैं। मुझे उम्मीद है कि BJP जनता की उम्मीदों पर खरी उतरेगी।”
यह चुनाव BJP और AAP दोनों के लिए गौरव की लड़ाई था, क्योंकि दिल्ली सिर्फ राजधानी ही नहीं, बल्कि राजनीतिक रूप से अहम क्षेत्र भी है। AAP पिछले 10 साल से दिल्ली की सत्ता में थी, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों और पार्टी के कई नेताओं की गिरफ्तारी ने AAP की छवि को गहरा नुकसान पहुंचाया।
BJP के लिए दिल्ली में जीत सिर्फ चुनावी सफलता नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय राजधानी में फिर से मजबूत पकड़ बनाने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है। पार्टी ने इस चुनाव के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने खुद रैलियां कीं और प्रचार किया।
राष्ट्रीय स्तर पर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस इस चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाई। कांग्रेस ने 1998 से 2013 तक दिल्ली पर शासन किया था, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते जनता ने AAP को चुना था। इसके बाद से कांग्रेस लगातार कमजोर होती गई और इस चुनाव में भी अपनी स्थिति सुधार नहीं पाई।
इस चुनाव में 60% से अधिक मतदान दर्ज किया गया, जो बताता है कि जनता में उत्साह था। ज्यादातर एग्जिट पोल ने BJP की जीत की भविष्यवाणी की थी, और इस बार यह सटीक साबित हुई।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दिल्ली में BJP की जीत से मोदी की लोकप्रियता को और मजबूती मिलेगी, खासकर पिछले साल के लोकसभा चुनाव में पार्टी को बहुमत खोने के बाद।
AAP के लिए यह हार बहुत बड़ा झटका है। पार्टी ने अपने शुरुआती कार्यकाल में शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधारों के लिए सराहना पाई थी। लेकिन इस बार चुनावों में हार ने पार्टी के भविष्य पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
AAP की लोकप्रियता बीते वर्षों में लगातार घटती गई, खासतौर पर मध्यवर्गीय वोटर्स के बीच, जो कभी केजरीवाल के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का समर्थन करते थे। हाल के वर्षों में, AAP ने गरीब और श्रमिक वर्ग को ध्यान में रखकर नीतियां बनाईं, लेकिन चुनाव नतीजे बताते हैं कि इस वर्ग ने भी पार्टी से मुंह मोड़ लिया।
AAP की चुनावी हार के पीछे कई कारण हैं, लेकिन सबसे बड़ा कारण रहा भ्रष्टाचार के आरोप और पार्टी के प्रमुख नेताओं की गिरफ्तारी।
अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी, साथ ही AAP के कई अन्य नेताओं पर लगे आरोपों से पार्टी की छवि को भारी नुकसान हुआ।
BJP ने इस मौके को भुनाया और अपनी “डबल इंजन सरकार” की रणनीति पर चुनाव लड़ा, जिसमें यह बताया गया कि अगर केंद्र और राज्य में एक ही पार्टी की सरकार होगी, तो विकास तेजी से होगा।
BJP को करीब 30 साल बाद दिल्ली में पूर्ण बहुमत मिला है। पार्टी ने अपने “परिवर्तन” (Change) कैंपेन से जनता का भरोसा जीतने में सफलता पाई। इसके अलावा, BJP की मजबूत चुनावी रणनीति और आर्थिक संसाधनों ने भी जीत में अहम भूमिका निभाई।
हरियाणा और महाराष्ट्र में जीत के बाद, दिल्ली की जीत BJP की लगातार बढ़ती ताकत को दर्शाती है। वहीं, विपक्ष पूरी तरह बिखरा हुआ नजर आ रहा है।
इस चुनाव में सबसे बड़े झटके में AAP के शीर्ष नेता अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया अपनी-अपनी सीटें हार गए। यहां तक कि दिल्ली की मौजूदा मुख्यमंत्री आतिशी भी कलकाजी सीट से बहुत कम अंतर से जीत पाईं।
दिल्ली की प्रशासनिक व्यवस्था जटिल है। सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और भूमि से जुड़े निर्णय केंद्र सरकार के नियुक्त लेफ्टिनेंट गवर्नर (LG) के हाथ में होते हैं। वहीं, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य लोक सेवाओं से जुड़े फैसले राज्य सरकार लेती है।
BJP और AAP दोनों ने इस चुनाव में लोक कल्याणकारी नीतियों को प्रमुखता से रखा।
BJP और AAP दोनों ने बेहतर स्कूल, मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं और महिलाओं के लिए नकद सहायता योजनाओं की घोषणा की थी। इसके अलावा, BJP को हाल ही में पेश किए गए केंद्रीय बजट से फायदा मिला, जिसमें मध्यवर्ग के लिए टैक्स कटौती की गई थी।
दिल्ली में वायु प्रदूषण एक बड़ा मुद्दा है, लेकिन इस चुनाव में यह विषय राजनीतिक बहस का हिस्सा नहीं बन पाया।
BJP ने वादा किया था कि अगर वह सत्ता में आई, तो 2030 तक दिल्ली का Air Quality Index (AQI) आधा कर देगी। अन्य पार्टियों ने भी अपने घोषणापत्र में प्रदूषण को लेकर कुछ योजनाएं शामिल की थीं, लेकिन चुनावी प्रचार में इस मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई।
BJP के लिए दिल्ली में जीत सिर्फ एक चुनावी उपलब्धि नहीं, बल्कि एक नया राजनीतिक युग शुरू करने जैसा है।
वहीं, AAP के सामने कई चुनौतियां हैं। पार्टी को अब अपनी गिरती लोकप्रियता, भ्रष्टाचार के आरोपों और नेतृत्व संकट से जूझना होगा।
BJP की यह जीत भारतीय राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ती है। मजबूत चुनावी रणनीति और कमजोर विपक्ष ने पार्टी को बड़ी बढ़त दिलाई।
वहीं, AAP के लिए यह हार भविष्य के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकती है। क्या पार्टी अपनी छवि सुधार पाएगी और दोबारा जनता का भरोसा जीत पाएगी? यह तो आने वाले चुनाव ही बताएंगे।
फिलहाल, दिल्ली के मतदाताओं ने बदलाव को चुना, और अब राजधानी की कमान BJP के हाथ में है।
This post was published on फ़रवरी 9, 2025 01:44
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