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KKN गुरुग्राम डेस्क | जैसे-जैसे दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) विवाद एक बार फिर से चर्चा में आ गया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने ईवीएम में गड़बड़ी की आशंका जताते हुए दावा किया कि भाजपा चुनाव में 10% वोटों में हेरफेर कर सकती है। उन्होंने मतदाताओं से अपील की कि वे भारी संख्या में झाड़ू के पक्ष में मतदान करें, ताकि किसी भी संभावित धांधली का असर बेअसर हो जाए।
केजरीवाल के इस बयान पर केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने तीखी प्रतिक्रिया दी और इस दावे को पूरी तरह से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि केजरीवाल हार की आशंका से पहले ही बहाने बना रहे हैं। साथ ही, उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विपक्ष केवल तब ही ईवीएम पर सवाल उठाता है जब वह चुनाव हार जाता है, लेकिन जब वह जीतता है, तो ईवीएम में कोई गड़बड़ी नहीं दिखाई देती।
यह ईवीएम विवाद अब एक बड़े राजनीतिक मुद्दे में तब्दील हो गया है, जिससे आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच सियासी घमासान तेज हो गया है।
ईवीएम में गड़बड़ी के केजरीवाल के आरोप
अरविंद केजरीवाल ने दावा किया कि उन्हें सूत्रों से जानकारी मिली है कि भाजपा ईवीएम के जरिए 10% वोटों में गड़बड़ी कर सकती है। उन्होंने कहा कि अगर आम आदमी पार्टी को बड़ी संख्या में वोट मिलते हैं, तो कोई भी गड़बड़ी चुनाव के नतीजों को प्रभावित नहीं कर सकेगी।
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने मतदाताओं से अपील करते हुए कहा कि अगर वे दिल्ली में सच्चा बदलाव चाहते हैं, तो उन्हें भारी संख्या में मतदान करना होगा, ताकि किसी भी तरह की धांधली से बचा जा सके।
हालांकि, केजरीवाल ने अपने आरोपों के समर्थन में कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया, जिससे उनके विरोधियों और चुनाव आयोग ने उनकी बात को निराधार बताया।
ललन सिंह का पलटवार: AAP को हार का डर?
केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने केजरीवाल के आरोपों पर जवाब देते हुए कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री चुनाव से पहले ही हार की भूमिका तैयार कर रहे हैं।
“अरविंद केजरीवाल जी को लग रहा है कि वह और उनके सहयोगी मनीष सिसोदिया चुनाव हार रहे हैं। इसी कारण से वह अब ईवीएम पर सवाल उठाकर अपनी हार को सही ठहराने की रणनीति अपना रहे हैं,” ललन सिंह ने कहा।
उन्होंने यह भी कहा कि आम आदमी पार्टी केवल अपनी हार के डर से ईवीएम पर सवाल उठा रही है। सिंह ने केजरीवाल और विपक्षी दलों की दोहरी नीति पर सवाल उठाते हुए कहा:
“अगर AAP पंजाब, बंगाल या तेलंगाना में जीतती है, तो ईवीएम सही होती है। लेकिन जब भाजपा हरियाणा या महाराष्ट्र में जीतती है, तो ईवीएम में गड़बड़ी होने का दावा किया जाता है? आखिर यह दोहरा मापदंड क्यों?”
ललन सिंह ने आगे कहा कि ईवीएम को भारत में कांग्रेस पार्टी ने ही लाया था, लेकिन अब वही विपक्षी पार्टियां इसे बदनाम करने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने इन आरोपों को लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने का प्रयास बताया।
भारत में ईवीएम पर लगातार उठते सवाल
यह पहली बार नहीं है जब भारतीय चुनावों में ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठे हैं। पिछले कुछ वर्षों में, कई विपक्षी दलों जैसे कि कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (TMC) और आम आदमी पार्टी (AAP) ने ईवीएम पर संदेह जताया है, खासकर तब जब वे महत्वपूर्ण चुनाव हारते हैं।
हालांकि, भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने बार-बार यह दावा किया है कि ईवीएम पूरी तरह सुरक्षित और छेड़छाड़ मुक्त हैं। 2000 से भारतीय चुनावों में ईवीएम का उपयोग किया जा रहा है और चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता बढ़ाने के लिए वीवीपैट (VVPAT – Voter Verified Paper Audit Trail) को भी जोड़ा गया है, जिससे मतदाता यह देख सकते हैं कि उनका वोट सही उम्मीदवार को गया है या नहीं।
फिर भी, कुछ विपक्षी नेता मानते हैं कि ईवीएम के सॉफ़्टवेयर की पारदर्शिता को लेकर संदेह बना हुआ है, और वे पेपर बैलट की वापसी की मांग कर रहे हैं, जिससे चुनाव प्रणाली में लोगों का भरोसा और मजबूत हो सके।
दिल्ली चुनाव 2025 के नजदीक आने के साथ, यह विवाद और गहरा सकता है और चुनावी पारदर्शिता को एक बड़ा मुद्दा बनाया जा सकता है।
दिल्ली चुनाव 2025 पर ईवीएम विवाद का असर
ईवीएम विवाद का दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। आम आदमी पार्टी और भाजपा दोनों ही इस मुद्दे का इस्तेमाल अपने-अपने फायदे के लिए कर रही हैं।
AAP की चुनावी रणनीति पर असर:
- मतदाताओं को संगठित करना – ईवीएम पर सवाल उठाकर AAP अपने समर्थकों को भारी संख्या में मतदान करने के लिए प्रेरित कर रही है।
- बहाना बनाने की रणनीति – अगर चुनाव में हार होती है, तो AAP इस मुद्दे को उठाकर ईवीएम को दोष दे सकती है।
- जनता की सहानुभूति पाना – पार्टी खुद को राजनीतिक साजिश का शिकार बताने की कोशिश कर रही है, जिससे उसे जनता की सहानुभूति मिल सकती है।
BJP की चुनावी रणनीति पर असर:
- AAP की बयानबाजी को उजागर करना – भाजपा AAP की पिछली चुनावी जीत को सामने रखकर यह दिखा रही है कि पार्टी केवल हार की स्थिति में ईवीएम को दोष देती है।
- केजरीवाल की विश्वसनीयता पर हमला – भाजपा, केजरीवाल को एक ऐसे नेता के रूप में दिखा रही है जो हार की आशंका से बेतुके आरोप लगा रहे हैं।
- चुनाव प्रक्रिया में विश्वास बनाए रखना – भाजपा यह बताने की कोशिश कर रही है कि ईवीएम विवाद सिर्फ एक चुनावी हथकंडा है और भारत में चुनाव पूरी तरह पारदर्शी हैं।
जैसे-जैसे दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे ईवीएम विवाद राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है।
अब सवाल यह उठता है कि क्या दिल्ली के मतदाता इस बहस से प्रभावित होंगे या वे केवल विकास, शासन और नेतृत्व की गुणवत्ता के आधार पर मतदान करेंगे?
दिल्ली में चुनावी माहौल गरमाता जा रहा है, और अगले कुछ हफ्तों में ईवीएम, पारदर्शिता और चुनाव प्रक्रिया को लेकर आरोप-प्रत्यारोप और तेज हो सकते हैं। चुनाव आयोग और राजनीतिक दलों को अब यह तय करना होगा कि वे जनता के विश्वास को कैसे मजबूत रखते हैं।
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