कश्मीरी युवक को जीप से बांधकर भारतीय सेना ने किया अमानवीय काम, मैं सेना की निंदा करती हूँ। टीवी एंकर बर्खा दत्त की इस समाचार प्रस्तुति से राष्ट्रभक्तो में आक्रोश है। लोग कहने लगे है कि जब सैनिको को अपमानित किया जा रहा था, उनको लात मुक्का मारा जा रहा था। तब तमाम सेक्युलर लोग चुप क्यों थे। मानवधिकारों के पक्षधर वामपंथी लोग भी चुप थे। कोई सैनिको के मानवाधिकारों की बात करना जरूरी नही समझ रहा था। जैसे ही जिहादियों पर सेना ने कोई कारवाही करी, तड़पने लगे गद्दार, तड़प उठे मुस्लिम नेता, तड़प उठे सेक्युलर और वामपंथी तत्व।
प्रेस्सया बरखा दत्त ने भारतीय सेना के खिलाफ एक बार फिर जहर उगला है। यह वही बरखा दत्त है जिसके सन्दर्भ में पूर्व पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ भी सकारात्मक बयान दे चुके है कि कारगिल युद्ध के समय किस तरह से बरखा दत्त ने पाकिस्तान को मदद करी थी। जब कश्मीर में पत्थरबाज लागातार पत्थरबाजी कर रहे थे बरख चुप्पी साधे हुई थी। उप चुनाव जब समाप्त हुआ तब EVM लेकर वापस आने के क्रम में पत्थरबाजों ने सैनिकों को लात, घूसों से पीटने का काम किया, बरखा उफ तक नही की। वही सैनिक जब एक्शन मोड में आया और उस जिहादी पत्थरबाज को पकड़ कर जीप के आगे बांध दिया, जिसके बाद एक भी पत्थर सेना पर जिहादियों ने नहीं फेंका।
तब बरखा दत्त के पेट में दर्द शुरू हो गया। बरखा दत्त ने कहा की भारतीय सेना ने कश्मीरी युवक को जीप के आगे बांधकर अमानवीय काम किया है मैं सेना की निंदा करती हूँ। साथ ही साथ बरखा दत्त ने मांग करि है की जिन सैनिको ने ये काम किया है उनके खिलाफ जल्द केस दर्ज कर कारवाही किया जाना चाहिए। यहां पर एक सवाल यह खड़ा हो जाता है कि क्या जिहादियों द्वारा किया जा रहा हर काम मानवीय तरीके से निपटाया जाता है और सैनिकों द्वारा किया जा रहा काम अमानवीय हो जाता है? पता नही क्यों बरखा यह बात हमेशा भूल जाती है कि लोग अब बेवकूफ नही है जो किसी को भी को सिर पर बैठाने का भूल करेगा। सैनिक समाज सुधारक नही होते उनका काम देश का रक्षा करना होता है। इसके लिए कई बार जाने लेनी पड़ती है और जाने देनी भी पड़ती है।
बतादें की कुछ दिनों पहले जब कश्मीरी जिहादी हमारे निर्दोष सैनिको को लात और मुक्का से मार रहे थे, तब दिल्ली में ऐश की जिंदगी जीने वाली ये बरखा दत्त एक ट्वीट भी नहीं कर सकी। पर सेना ने जिहादियों के खिलाफ कारवाही की तो मैडम का दर्द छलक पड़ना और इनको मानवता की दुहाई देना, समझ से पड़े हो गया है।
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