समझौते से बैक फुट पर आ गया है चीन
नई दिल्ली। सिंगापुर भारतीय नौसेना के युद्धपोतों को अपने चांगी नौसैनिक अड्डे पर रुकने की अनुमति देगा। साथ ही जरूरत पड़ने पर भारतीय युद्धपोतों को आवश्यक रक्षा सामग्री भी प्रदान करेगा। दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते दखल के बीच भारत ने सिंगापुर के साथ अहम सामरिक समझौता किया है।
इस नए समझौते के तहत दोनों देश मलक्का जलडमरू मध्य और अंडमान सागर में अपनी गतिविधियां भी बढ़ाएंगे। इस करार को दक्षिण चीन सागर में चीन को रोकने की दिशा में बेहद अहम माना जा रहा है। सिंगापुर के रक्षा मंत्री ऐंग इंग हेंस इस वक्त भारत के दौरे पर हैं। उन्होंने रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बातचीत की। इसके बाद दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। हेंस ने कहा, हम भारतीय नौसैनिक पोतों की चांगी नौसैनिक अड्डे की यात्रा का समर्थन करते हैं। द्विपक्षीय नौसेना समझौते में सैन्य साजो सामान की आपूर्ति का भी प्रावधान है। समझौते के तहत दोनों देश मलक्का जलडमरू मध्य और अंडमान सागर में अपनी सैन्य गतिविधियां बढ़ाएंगे।
भारत ने मलक्का जलडमरू मध्य के पूर्व में स्थित किसी देश के साथ पहली बार सैन्य साजो-सामान संबंधी समझौता किया है। भारतीय नौसेना के युद्धपोत गत जून से ही मलक्का जलडमरू मध्य में गश्त लगा रहे हैं और यह क्षेत्र इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत का 35 प्रतिशत व्यापार दक्षिणी चीन सागर क्षेत्र के रास्ते ही होता है। बहरहाल, दोनों देशों ने सुरक्षा चुनौतियों विशेष रूप से वैश्विक आतंकवाद से मिलकर निपटने पर जोर दिया। रसायनिक, जैविक हमलों और विकिरणों के कारण उत्पन्न होने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए जानकारी साझा करने पर भी सहमति जताई।