औरंगजेब की क्रूरता की शुरुआत
KKN ब्यूरो। मुगल बादशाह औरंगजेब (Aurangzeb) की क्रूरता के चर्चे उसके बादशाह बनने से पहले ही शुरू हो गए थे। सत्ता के लालच में उसने अपने ही परिवार पर जुल्म किए। फिल्म ‘छावा’ (Chhava) में दिखाए गए उसके किरदार ने इन किस्सों को फिर से ताजा कर दिया है।
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सत्ता के लिए पिता और भाई पर अत्याचार
औरंगजेब ने सत्ता पाने के लिए अपने पिता शाहजहां को जेल भेजा। उसने अपने भाई दारा शिकोह का सिर कलम कर जेल में कैद पिता के सामने परोसा। उसकी सत्ता की भूख यहीं नहीं रुकी, उसने अपने अन्य भाइयों को भी अपने रास्ते से हटा दिया।
छत्रपति संभाजी महाराज पर जुल्म
औरंगजेब और मराठाओं की दुश्मनी छत्रपति शिवाजी के समय से थी। शिवाजी महाराज के देहांत के बाद, उनके बेटे छत्रपति संभाजी (Chhatrapati Sambhaji) को षड्यंत्र रचकर गिरफ्तार किया गया। संभाजी महाराज को यातनाएं दी गईं, उनकी आंखें निकालीं, जुबान काट दी और सिर धड़ से अलग करवा दिया।
गुरु तेग बहादुर का बलिदान
सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर (Guru Tegh Bahadur) को भी औरंगजेब की क्रूरता का सामना करना पड़ा। उन्होंने इस्लाम कबूल करने से इनकार कर दिया, जिसके बाद उन्हें शहीद कर दिया गया। गुरुद्वारा शीश गंज साहिब और गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब उनकी शहादत की याद दिलाते हैं।
औरंगजेब की क्रूरता का ऐतिहासिक प्रभाव
औरंगजेब की नीतियों और क्रूरता के कारण मुगल साम्राज्य की नींव कमजोर हो गई। उसकी मृत्यु के बाद मुगल साम्राज्य में सत्ता का संघर्ष और गिरावट का दौर शुरू हो गया।
इस प्रकार, औरंगजेब की क्रूरता और उसकी नीतियों का इतिहास पर गहरा प्रभाव पड़ा, जो आज भी चर्चाओं में बना हुआ है।
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