घटना का पूरा विवरण
मुठभेड़ कैसे शुरू हुई?
मुठभेड़ 19 जनवरी 2025 की रात को शुरू हुई, जब खुफिया सूत्रों से जानकारी मिली कि छत्तीसगढ़ के कुलारीघाट रिजर्व फॉरेस्ट में माओवादी छिपे हुए हैं। यह स्थान ओडिशा के नुआपाड़ा जिले की सीमा से मात्र 5 किमी दूर है।
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सुरक्षा बलों ने इलाके में घेराबंदी शुरू की। सोमवार को दो महिला माओवादी मारे गए, और मंगलवार सुबह तक मुठभेड़ जारी रही, जिसमें 12 और माओवादी मारे गए।
संयुक्त ऑपरेशन में कौन-कौन शामिल थे?
इस ऑपरेशन में छत्तीसगढ़ और ओडिशा पुलिस बलों के साथ केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) और कोबरा (CoBRA) बटालियन ने भाग लिया।
- जिला रिजर्व गार्ड (DRG)
- सीआरपीएफ (CRPF)
- कोबरा (CoBRA)
- ओडिशा का विशेष अभियान समूह (SOG)
सभी टीमों ने मिलकर यह कार्रवाई की, जिससे माओवादियों को भारी नुकसान पहुंचा।
हथियारों का जखीरा बरामद
मुठभेड़ स्थल से बड़ी संख्या में हथियार और विस्फोटक बरामद किए गए, जिनमें शामिल हैं:
- सेल्फ-लोडिंग राइफल (SLR)
- गोला-बारूद
- आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस)
बरामदगी से पता चलता है कि माओवादी किसी बड़े हमले की योजना बना रहे थे।
अमित शाह का बयान: नक्सलवाद के अंत की दिशा में एक और कदम
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा:
“नक्सलवाद को एक और करारा जवाब। हमारी सुरक्षा बलों ने नक्सल-मुक्त भारत की दिशा में एक बड़ी सफलता हासिल की है। छत्तीसगढ़ पुलिस, ओडिशा SOG और CRPF ने 14 नक्सलियों को ढेर कर दिया। हमारी प्रतिबद्धता से नक्सलवाद अब अपने अंतिम दिनों में है।”
यह मुठभेड़ केंद्र सरकार के 2026 तक नक्सलवाद को खत्म करने के वादे का हिस्सा है।
नक्सलवाद के खिलाफ चल रहा है कड़ा अभियान
हाल ही में नक्सल हमले और उनके जवाब
6 जनवरी 2025: बीजापुर हमला
नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में एक IED विस्फोट के जरिए DRG (जिला रिजर्व गार्ड) के आठ जवानों और एक ड्राइवर की जान ले ली। यह हमला बेदरे-कुटरू रोड पर हुआ था और इसे हाल के वर्षों का सबसे बड़ा नक्सली हमला माना गया।
अप्रैल 2023: दंतेवाड़ा हमला
2023 में दंतेवाड़ा जिले में नक्सलियों ने सुरक्षा बलों के एक काफिले पर हमला किया, जिसमें 10 पुलिसकर्मी और एक ड्राइवर मारे गए। यह घटना नक्सलियों की क्रूरता का एक और उदाहरण थी।
कुलारीघाट मुठभेड़ की प्रमुख बातें
ऑपरेशन की चुनौतियां
कुलारीघाट का घना जंगल और ओडिशा सीमा के पास का दुर्गम इलाका माओवादियों के लिए एक सुरक्षित ठिकाना था। सुरक्षा बलों के लिए इस क्षेत्र में कार्रवाई करना एक बड़ी चुनौती थी।
ऑपरेशन की उपलब्धियां
- 14 माओवादियों को मार गिराना, जिसमें एक करोड़ रुपये के इनामी माओवादी का खात्मा भी शामिल है।
- माओवादी संगठन के हथियार और विस्फोटक बरामद करना, जो उनकी आगामी योजनाओं को विफल करता है।
मुठभेड़ पर जनता और विशेषज्ञों की प्रतिक्रियाएं
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
सुरक्षा बलों की इस कार्रवाई की हर तरफ से सराहना हो रही है। अमित शाह के बयान ने यह स्पष्ट कर दिया कि नक्सलवाद के खात्मे के लिए सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का मानना है कि माओवादियों के शीर्ष नेतृत्व को निशाना बनाना उनके संगठन को कमजोर करेगा। इससे उनके हमलों की क्षमता पर सीधा असर पड़ेगा।
नक्सलवाद का मानवता पर प्रभाव
माओवादी हिंसा ने पिछले कुछ दशकों में हजारों लोगों की जान ली है, जिसमें सुरक्षा बलों, निर्दोष नागरिकों और माओवादियों के समर्थक भी शामिल हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि नक्सलवाद का अंत केवल सैन्य कार्रवाई से नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक विकास के जरिए संभव है।
नक्सलवाद खत्म करने की सरकारी रणनीति
केंद्र सरकार ने नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए एक बहुआयामी रणनीति अपनाई है:
- बेहतर खुफिया तंत्र: माओवादी गतिविधियों का पता लगाने के लिए एजेंसियों के बीच समन्वय।
- सुरक्षा बलों का आधुनिकीकरण: उन्नत हथियार, ड्रोन और निगरानी उपकरणों की तैनाती।
- विकास कार्यों पर जोर: सड़कों, स्कूलों और अस्पतालों के निर्माण से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास लाना।
छत्तीसगढ़ के कुलारीघाट में हुई यह मुठभेड़ नक्सलवाद के खिलाफ चल रहे अभियान की एक बड़ी सफलता है। यह दिखाता है कि सुरक्षा बल न केवल माओवादी नेटवर्क को कमजोर कर रहे हैं, बल्कि उनके खतरे को खत्म करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
हालांकि, नक्सलवाद के खात्मे के लिए केवल सैन्य कार्रवाई पर्याप्त नहीं है। सरकार को प्रभावित क्षेत्रों में शिक्षा, रोजगार और बुनियादी सुविधाओं के माध्यम से विकास को गति देनी होगी।
नक्सलवाद को खत्म करने की दिशा में यह मुठभेड़ एक बड़ा कदम है, लेकिन यह लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक भारत पूरी तरह से नक्सल-मुक्त नहीं हो जाता।
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