संतोष कुमार गुप्ता
मीनापुर। “मासूम सी कली है खिलने ना पा रही है, पैदा नही हुइ है दुनिया से जा रही है” । यह गीत मीनापुर के गलियो मे सुनाई दे तो जरूर यह आवाज सादिया परवीन और आफरीन खातून की है। नेउरा बाजार से सटे खानेजादपुर गांव के मो तस्लीम की दोनो बेटिया गांव ही नही देश के कोने कोने मे “सेव गर्ल” के लिए नजीर बन गयी है। दोनो बहनो के भ्रूण हत्या के खिलाफ अभियान से मुजफ्फरपुर जिले का
लिंगानुपात सुधर कर 1059 हो गया है। सादिया और आफरीन कोख मे पल रहे बच्चो को नया जीवन दे रही है। गरीबी से जूझ रहे मो तस्लीम की दोनो बेटियो ने इस अभियान से समाज को नयी दिशा दी है। वर्ष-2012 से पहले पिता तस्लीम की कुछ कहानियो ने दोनो बेटियो को झकझोर कर रख दिया था। पिता ने बताया था कि अब भी उनके समाज मे कैसे बेटियो को नीच दृष्टी से देखा जाता है। कई घरो के बारे मे उन्होने बताया कि वहां बेटी को दुनिया मे आने से पहले ही कोख मे मार दिया जाता था। बेटियो को अच्छी शिक्षा नही दिया जाता था। वर्ष 2012 मे दोनो बहने अपने मौसी के घर जमालाबाद गयी थी। समीप के घर मे ही एक महिला तीन से चार माह की गर्भवती थी। उसको कई बेटी पहले से था। आब्र्सन कराने की चुपके से तैयारी चल रही थी। जब दोनो बहनो को पता चला तो वह उसके यहां धमक गयी। उसने उस महिला को काफी समझाया। उसने महिला को यह कविता “औलाद खुदा की दी हुई अमानत है,जिसको जी ला देकर रौशन नही किया तो
This post was published on जनवरी 4, 2018 12:38
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