नई दिल्ली। भारत को आने वाले दिनो में जबरदस्त जल संकट का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल, देश के 91 प्रमुख जलाशयों में 23 नवम्बर को समाप्त सप्ताह के दौरान 101.077 बीसीएम जल संग्रहण आंका गया। बतातें चलें कि यह इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का मात्र 64 प्रतिशत है। इसके पहले 16 नवम्बर को समाप्त सप्ताह के दौरान यह 66 प्रतिशत था। ताजा जल संग्रहण स्तर पिछले वर्ष की इसी अवधि के कुल संग्रहण का 96 प्रतिशत तथा पिछले दस वर्षों के औसत जल संग्रहण का 95 प्रतिशत बताया जा रहा है।
बतातें चलें कि इन 91 जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता 157.799 बीसीएम है, जो देश की अनुमानित कुल जल संग्रहण क्षमता 253.388 बीसीएम का लगभग 62 प्रतिशत है। इन 91 जलाशयों में से 37 जलाशय ऐसे हैं, जो 60 मेगावाट से अधिक की स्थापित क्षमता के साथ पनबिजली भी पैदा करते हैं।
हिमाचल प्रदेश, पंजाब तथा राजस्थान में 18.01 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले छह जलाशय हैं, जो केन्द्रीय जल आयोग की निगरानी में हैं। इनमें कुल उपलब्ध संग्रहण 12.18 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 68 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 60 प्रतिशत थी।
इसी प्रकार पूर्वी क्षेत्र झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल एवं त्रिपुरा में 18.83 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 15 जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 14.43 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 77 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 82 प्रतिशत थी।
वही, पश्चिमी क्षेत्र गुजरात तथा महाराष्ट्र में सीडब्ल्यूसी की निगरानी में 27.07 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 27 जलाशय हैं, जिनमें कुल उपलब्ध संग्रहण 19.63 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 73 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 80 प्रतिशत थी
इसी तरह मध्य क्षेत्र के उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ में 42.30 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 12 जलाशय हैं, जिनमें कुल उपलब्ध संग्रहण 24.58 बीसीएम है, जो कुल संग्रहण क्षमता का 58 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 84 प्रतिशत थी।
दक्षिणी क्षेत्र के आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, एपी एवं कनार्टक, केरल एवं तमिलनाडु में 51.59 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 31 जलाशय हैं, जिनमें कुल उपलब्ध संग्रहण 30.27 बीसीएम है, जो इनकी कुल संग्रहण क्षमता का 59 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 42 प्रतिशत थी।
पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में जिन राज्यों में जल संग्रहण बेहतर है, उनमें हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, उत्तराखंड, एपी एवं आंध्र प्रदेश, कनार्टक, केरल और तमिलनाडु शामिल हैं। पिछले वर्ष की इसी अवधि में समान संग्रहण करने वाले राज्यों में पंजाब और महाराष्ट्र है। पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में कम संग्रहण वाले राज्यों में राजस्थान, झारखंड, ओडिशा, गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना शामिल हैं।
This post was published on नवम्बर 25, 2017 19:16
मौर्य साम्राज्य के पतन की कहानी, सम्राट अशोक के धम्म नीति से शुरू होकर सम्राट… Read More
सम्राट अशोक की कलिंग विजय के बाद उनका जीवन पूरी तरह से बदल गया। एक… Read More
KKN लाइव के इस विशेष सेगमेंट में, कौशलेन्द्र झा मौर्यवंश के दूसरे शासक बिन्दुसार की… Read More
322 ईसा पूर्व का काल जब मगध का राजा धनानंद भोग-विलास में लिप्त था और… Read More
नाग और सांप में फर्क जानने का समय आ गया है! हममें से अधिकांश लोग… Read More
नंदवंश के शासकों ने प्राचीन भारत के इतिहास में अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाया। इस एपिसोड… Read More