गृह प्रबन्धन: गृहिणी की एक चुनौती

राज किशोर प्रसाद
आज की आधुनिक परिवेश में गृह प्रबन्धन गृहणियों की एक चुनौती बन गई है। परिवार चाहे एकल हो या संयुक्त गृहिणियों को अपने गृह व परिवार को समुचित प्रबन्धन की कसौटी पर खड़ा करना गृहिणी की दक्षता कुशलता व विवेक पर निर्भर करता है। आज के परिवेश में भाग दौड़ की जिंदगी सीमित संसाधन भारी व बड़ी जिम्मेदारियो के बीच कुशल प्रबन्धन चुनौतियों से भरी पड़ी है।
प्राचीन  काल से भारतीय परिवारो में गृह प्रबन्ध का बड़ा महत्व रहा है। वर्तमान समय में समुचित गृह प्रबन्ध पर ही परिवार का भविष्य निर्भर करता था। सामान्य रूप से गृह प्रबन्धन समुचित व्यवस्थापन से है जिसके माध्यम से परिवार अपने निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करता है। गृह प्रबन्ध वह मानक है जो परिवार की खुशियां सुख समृद्धि स्वास्थ्य और परिवार के सभी सदस्यों के उज्ज्वल भविष्य को तय करती है। इसके लिये यह जरूरी है कि गृहणी से लेकर गृह के सभी सदस्यों को हर क्षेत्र में प्रत्येक स्तर पर अपने दायित्वों का निर्वहन ईमानदारी से करे।
पारिवारिक व घरेलू संसाधनो का सदुपयोग गृहणी की सूझ बुझ पर भी निर्भर करता है। मानवीय और अमानवीय उपलब्ध संसाधनो  का सही नियोजन और नियंत्रण गृहणी की दक्षता व कुशलता की कील पर घूर्णन करती है। सफलता कील  की मजबूती पर निर्भर करती है। सफल गृह प्रबन्धन का उद्देश्य उपलब्ध संसाधनो से  उपयोग कर पारिवारिक लक्ष्य की प्राप्ति करना है। इसके लिये जीवन निर्वहन एक नियोजित शैली में होनी चाहिये। समय शक्ति ऊर्जा धन भौतिक वस्तुओ के साथ साथ परिवार के सदस्यों की मनोवृति रुचियों कार्यकुशलता दक्षता ज्ञान सामुदायिक सुविधा के महत्व को समझते हुये संसाधनों में क्रमबद्धता स्थापित करना गृहणी के लिये बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य है।

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