हरियाणा की दिव्या तंवर (Divya Tanwar) ने UPSC सिविल सेवा परीक्षा (UPSC Civil Services Examination) को दो बार क्रैक (Crack) करके असाधारण इतिहास रचा है। उन्होंने पहली बार 2021 में ऑल इंडिया रैंक (AIR) 438 हासिल की थी। इस सफलता ने उन्हें 21 साल की उम्र में भारत की सबसे कम उम्र की IPS अधिकारी बना दिया था। इसके बाद, उन्होंने 2022 में AIR 105 प्राप्त करके IAS अधिकारी बनने का अपना सपना (Dream) पूरा किया।
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प्रारंभिक जीवन और संघर्षों से भरा बचपन
दिव्या तंवर का सफ़र हरियाणा के महेन्द्रगढ़ ज़िले (Mahendragarh District) के निम्बी गाँव (Nimbi Village) से शुरू हुआ। उन्होंने बहुत छोटी उम्र से ही काफ़ी संघर्षों (Hardships) का सामना किया। 2011 में, जब वह केवल 8 साल की थीं, तभी उनके पिता का निधन (Father’s Passing) हो गया था। इस त्रासदी (Tragedy) के बाद, उनकी माँ बबीता तंवर (Babita Tanwar) परिवार की एकमात्र रोज़ी-रोटी कमाने वाली (Sole Breadwinner) बन गईं। उनकी माँ ने खेतों में मज़दूर (Farm Laborer) और दर्ज़ी (Seamstress) के रूप में काम किया। उन्होंने दिव्या और उनके तीन भाई-बहनों (Three Siblings) की परवरिश की।
परिवार की गंभीर वित्तीय तंगी (Financial Constraints) के बावजूद, बबीता ने हमेशा शिक्षा (Education) को प्राथमिकता दी। दिव्या ने अपनी शैक्षणिक यात्रा (Academic Journey) सरकारी स्कूलों (Government Schools) से शुरू की। इसके बाद उन्हें महेन्द्रगढ़ के प्रतिष्ठित नवोदय विद्यालय (Navodaya Vidyalaya) में दाख़िला (Admission) मिला, जहाँ उनकी शैक्षणिक उत्कृष्टता (Academic Excellence) स्पष्ट रूप से सामने आई।
मज़बूत शैक्षिक नींव (Educational Foundation)
नवोदय विद्यालय से अपनी स्कूलिंग (Schooling) पूरी करने के बाद, दिव्या ने गवर्नमेंट वीमेन्स कॉलेज, महेन्द्रगढ़ (Government Women’s College, Mahendragarh) से बैचलर ऑफ़ साइंस (Bachelor of Science) की डिग्री (Degree) ली। इन वर्षों में उनका लगातार अच्छा शैक्षणिक प्रदर्शन उनकी भविष्य की सफलता की नींव (Foundation) बना। यह सफलता भारत की सबसे चुनौतीपूर्ण प्रतियोगी परीक्षाओं (Competitive Examinations) में से एक में हासिल की गई।
पहली UPSC सफलता: सबसे युवा IPS अधिकारी
ग्रेजुएशन (Graduation) के बाद, दिव्या ने खुद को पूरी तरह से UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में समर्पित कर दिया। कई एस्पिरेंट्स (Aspirants) के विपरीत, उन्होंने महंगे कोचिंग सेंटरों (Coaching Centers) पर निर्भर नहीं रहने का फ़ैसला किया। इसके बजाय, उन्होंने ऑनलाइन रिसोर्सेज़ (Online Resources), मॉक टेस्ट (Mock Tests) और सेल्फ़-स्टडी (Self-Study) पर भरोसा किया।
2021 में, केवल 21 साल की उम्र में, दिव्या ने पहली बार UPSC परीक्षा दी। उनकी अनुशासित तैयारी (Preparation) का शानदार परिणाम मिला। उन्होंने ऑल इंडिया रैंक 438 हासिल की। वह भारतीय इतिहास की सबसे कम उम्र की IPS अधिकारियों में से एक बनीं। इस प्रयास में, उन्होंने लिखित परीक्षा (Written Examination) में 751 अंक और पर्सनैलिटी टेस्ट (Personality Test) में 179 अंक प्राप्त किए। उनका कुल योग 930 अंक था।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि दिव्या ने यह परीक्षा हिंदी माध्यम (Hindi Medium) से हिंदी साहित्य (Hindi Literature) को अपने ऑप्शनल सब्जेक्ट (Optional Subject) के रूप में चुना। उन्होंने इस आम धारणा को चुनौती दी कि UPSC में केवल अंग्रेजी माध्यम (English Medium) के कैंडिडेट्स (Candidates) को ही एडवांटेज (Advantage) मिलता है।
IAS बनने का बड़ा सपना और दूसरी जीत
IPS अधिकारी के रूप में अपनी शानदार सफलता के बावजूद, दिव्या की अंतिम आकांक्षा इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (IAS) में शामिल होना था। IPS ट्रेनिंग (Training) के दौरान भी, उन्होंने UPSC परीक्षा के लिए एक और प्रयास की तैयारी जारी रखी। उन्होंने असाधारण दृढ़ संकल्प (Determination) और टाइम मैनेजमेंट स्किल्स (Time Management Skills) का प्रदर्शन किया।
2022 में, 22 साल की उम्र में, दिव्या ने दूसरी बार UPSC परीक्षा दी। उनके दृढ़ता और सुधरी हुई रणनीति (Strategy) ने और भी बेहतर परिणाम दिए। उन्होंने ऑल इंडिया रैंक 105 प्राप्त की, जिससे उन्हें IAS अधिकारी का प्रतिष्ठित पद मिला। इस प्रयास में, उन्होंने लिखित परीक्षा में 834 अंक और पर्सनैलिटी टेस्ट में 160 अंक प्राप्त किए। उनका कुल स्कोर 994 अंक रहा। यह उनके पहले प्रयास की तुलना में एक महत्वपूर्ण सुधार (Improvement) था।
वर्तमान पोस्टिंग और प्रेरणा
दिव्या तंवर वर्तमान में मणिपुर कैडर (Manipur Cadre) में IAS अधिकारी के रूप में सेवारत हैं। वह लोक प्रशासन (Public Administration) में सार्थक योगदान देना जारी रखे हुए हैं। हरियाणा के एक छोटे से गाँव से देश के एक शीर्ष सिविल सेवक (Civil Servant) बनने तक का उनका सफ़र हजारों UPSC एस्पिरेंट्स के लिए एक प्रेरणा बन गया है।
एक छोटे से गाँव से लेकर IAS अधिकारी के रूप में सत्ता के गलियारों तक का उनका सफ़र लाखों युवा भारतीयों के लिए आशा की किरण (Beacon of Hope) है। यह उन सभी को प्रेरित करता है जो सिविल सेवाओं के माध्यम से देश की सेवा करने की इच्छा रखते हैं। दिव्या की सफलता यह साबित करती है कि दृढ़ संकल्प, कड़ी मेहनत और अटूट फोकस (Focus) के साथ, सबसे चुनौतीपूर्ण लक्ष्य भी हासिल किए जा सकते हैं।



