कर्नाटक। लैंगिक असमानता से जूझ रहे देश में जहां बेटी-बचाओ और बेटी पढ़ाओ अभियान चलाकर महिलाओं की संख्या बढ़ाने की बात की जा रही हैं। वहीं, एक ऐसा शहर भी है, जहां से करीब डेढ़ साल में 3,977 महिलाएं अचानक लापता हो गईं। महिलाओं की सुरक्षा को लेकर आए आंकड़ों में हैरान कर देने वाले खुलासे सामने आए हैं।
शहर के बहुत से पति और भाई, ऐसे मिल जाएंगे जो महीनों से अपनी पत्नियों और बहनों की तलाश में भटक रहे हैं। यह सनसनीखेज रिपोर्ट कर्नाटक के शहर बंगलूरू की है। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, उमेश मौर्या की कुछ दिन पहले ही सीमा कुशवाहा नाम की युवती से शादी हुई थी। सीमा कुछ महीनों के लिए लखनऊ पीएचडी करने गई और खुशी की बात ये, कि वह मई में वापस भी आ गई। लेकिन उमेश की यह खुशी ज्यादा दिन तक के लिए नहीं थी। लखनऊ से वापस आने के बाद उमेश ने सपना संजो रखा था वह अपनी पत्नी के साथ खुशनुमा जिंदगी गुजारेगा। दो दिन बाद ही उसका सपना चकनाचूर हो गया। दो दिन बाद सीमा शहर से गायब हो गई और महीनों तक उसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई।
एनसीआबी के आंकड़े बताते हैं कि उन महिलाओं की संख्या बहुत ही कम है, जिन्हें लापता होने के बाद ढूंढ़ने में सफलता मिली हो। आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2015 से मई 2016 तक शहर से 3,977 महिलाएं गायब हुई हैं। इन महिलाओं में से 2,027 महिलाएं ऐसी हैं जिनके बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं मिली है। वह जीवित हैं या मार दी गईं। दरअसल, इस तरह से महिलाओं के अचानक लापता हो जाना पुलिस के लिए भी अनसुलझी पहेली बन कर रह गया है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने लिखा है कि पिछले साल की तुलना में इस साल के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। पिछले साल 2,753 महिलाएं गायब हुई थी। जबकि इस साल 12,224 महिलाएं गायब हुई हैं। बड़ा सवाल ये, कि आखिर ये महिलाएं कहां चली जाती है? यदि गिरोह इन महिलाओं का अपहरण कर रहा है, तो फिर वह पकड़ में क्यों नही आता? लापता हुई महिलाओं को देह व्यापार में झोंका जाता है या यह मानव तस्करी का शिकार हो रही है? ऐसे और भी कई सवाल है, जिसका जवाब मिलना अभी बाकी है।
This post was published on मई 9, 2017 15:35
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