अधिकारी के हत्या की तार घोटाले से जुड़ी

मिलर की भूमिका संदेह के दायरे में

बिहार। मिलर के द्वारा खरीद की गई धान का रिसीविंग लेने गए प्रसार पदाधिकारी की हत्या के पांच वर्ष बाद अब नए खुलाशे सामने आये है। जांच दल ने मिलर की भूमिका को संदेहास्पद बताया है। दरअसल, धान के बदले चावल की आपूर्ति में हुए घोटाले में हुई फर्जीवाड़ा अब परत दर परत खुलने लगा है। घोटाले को दबाने के लिए हत्या का भी खेल खेला गया। मिलर ने धान तो ले लिया, लेकिन रिसीविंग लेने गए प्रसार पदाधिकारी जिंदा नहीं लौटे। रास्ते में ही उनकी हत्या हो गई। हैरत की बात है कि घटना को पांच वर्ष हो गए लेकिन मौत की गुत्थी को जिला पुलिस अब तक नहीं सुलझा पाई।
इस बीच धान घोटाले की जांच कर रही एसआईटी जब मामले की तह में पहुंची तो प्रसार पदाधिकारी की मौत की गुत्थी घोटाले से जुड़ती नजर आने लगी। मामला औरंगाबाद के फेसर थाना का है। वर्ष 2012 में औरंगाबाद के प्रसार पदाधिकारी नंदकिशोर गुप्ता धान क्रय केन्द्र पर प्रतिनियुक्त थे। सूत्रों के मुताबिक उच्चाधिकारियों के कहने पर उन्होंने औरंगाबाद के ही एक राइस मिल को 9,783 क्विंटल धान दिया था। हालांकि धान के आवंटन के एवज में नंदकिशोर गुप्ता को एक हजार क्विंटल कम की रिसीविंग मिली। वह बार-बार एक हजार क्विंटल की रिसीविंग मांग रहे थे। जांच में यह बात सामने आई है कि नंदकिशोर गुप्ता को रिसीविंग के लिए बुलाया गया, लेकिन इसके बाद वह जिंदा नहीं लौटे। औरंगाबाद के फेसर थाना क्षेत्र में 20 सितम्बर, 2012 को उनका शव मिला। इस बाबत अज्ञात के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया था। जो, आज भी लम्बित है।

KKN लाइव WhatsApp पर भी उपलब्ध है, खबरों की खबर के लिए यहां क्लिक करके आप हमारे चैनल को सब्सक्राइब कर सकते हैं।

KKN Public Correspondent Initiative


Discover more from

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Reply