मासूम युवतियों को एक विशेष प्रकार के हार्मोन का इंजेक्शन लगा कर समय से पहले ही उसे जवान बनाने के गोरखधंधा का चौकाने वाला खुलाशा हुआ है।
नेपाल से तस्करी करके भारत आई मासूम युवतियों ने जो खुलाशा किया है, दरअसल वह चौकाने वाला है। कम उम्र की इन लड़कियों की माने तो उन्हें जल्दी जवान करके देह व्यापार के दलदल में झोंकने के लिए तस्करो का एक अन्तर्राष्ट्रीय गैंग के शर्मनाक हरकत से पर्दा उठ गया है। गैंग के लोग गरीब परिवार के कम उम्र युवतियों को बेहतर भविष्य का झांसा देकर अपने कब्जे में लेते है और फिर उसको हार्मोन की दवा या इंजेक्शन लगा कर जबरन जवानी की दहलिज पर धकेल कर देह व्यापार की दलदल में झोंक कर पैस कमाते है।
ऐसे हुआ खुलाशा
सिर्फ़ आठ साल की उम्र में तस्करी करके नेपाल से भारत पहुंची एक नेपाली लड़की के इस खुलाशे से सुरक्षा एजेंसी सकतें में आ गएं है। लड़की ने बताया कि मुझे हर दिन लाल रंग की एक दवा दी जाती थी। वह कहती है कि उस दवा को खाने के बाद अक्सर उल्टी हो जाया करती थी। बावजूद इसके ज़बरदस्ती दवा खिलाया जाता था। मना करने पर पीटा जाता था और दवा के बदले इंजेक्शन लगा दिया जाता था। लड़की को कहा जाता था कि दवा खाने से वह जल्दी बड़ी हो जायेगी और तब उसे वापस उसके घर भेज दिया जायेगा।
ऐसे फांसते है मासूम को
उत्तरी नेपाल के एक परिवार की ये बच्ची आठ भाई-बहनों में सबसे बड़ी बेटी है। तफ्तीश के दौरान पुलिस को युवती ने बताया कि सबसे पहले एक महिला ने उसके परिवार से संपर्क किया और मां- बाप को बताया कि उनकी बेटी को अच्छी शिक्षा दिलवाएगी और वह खूब पैसे भी कमाएगी। महिला के झांसे में आक परिजन ने अपने बेटी को उस महिला के साथ काठमांडू जाने की इजाजत दे दी। सुवती बताती है कि काठमांडू में वह बहुत कम समय तक रही और उसे एक नेपाली परिवार के साथ भारत भेज दिया गया। यहां इस बच्ची से चार लोगों के परिवार के लिए घरेलू काम करवाया जाता। दो साल तक इस परिवार के साथ रहने के बाद उसे किसी और शहर भेज दिया गया।
देह की दलदल में फंसी मासूम
युवती की माने तो एक नेपाली परिवार के साथ क़रीब दो साल तक रहने के दौरान ही उसे जल्दी जवान बनाने के केलिए हार्मोन की दवा दिया जाने लगा। नतीजा, अप्राकृतिक रूप से उसके शरीर के अंग बड़े होने लगे। इसके बाद गिरोह में शामिल लोगो ने उसे कोठे पर लाकर मोटी रकम लेकर बेच दिया। इसके बाद उस मासूम के साथ जो कुछ हुआ वह मानवता को शर्मसार करने के लिए प्रयाप्त है। किंतु, मासूम की क़िस्मत अच्छी थी कि उस जगह पर पुलिस का छापा पड़ गया और छह महीने बाद ही वह देह की दुनिया से आज़ाद हो गई।
सीमा पर पुलिस ने बढ़ाई चौकसी
इस खुलाशे के बाद पुलिस और मानव तस्करी के खिलाफ काम कर रहे संगठनों ने भारत-नेपाल सीमा पर चौकसी बढ़ा दी है और कई जांच चौकियां भी स्थापित की गई हैं। तस्करी के खिलाफ काम कर रहे नेपाली संगठन मैती नेपाल के निदेशक बिश्वरम खड़का कहते हैं कि पुलिस के सक्रिय होने की वजह से अब मानव तस्करी के कारोबार में कमी के संकेत मिले हैं। खड़का के मुताबिक़, ऐसे तस्कर गरीब और पिछड़े इलाक़े की बच्चियों को आसानी से अपना निशाना बना लेते हैं। वह परिजनों को उनके बच्चियों की अच्छी शिक्षा का सपना दिखाकर बरगला लेते हैं। हालांकि, अब इन सभी इलाको पर नजर रखी जा रही है।