भोजपुर में भाजपा नेता राकेश विशेश्वर ओझा पर जानलेवा हमला, कार पर चलीं गोलियां

Shooting Incident in Bhagalpur: Two Nephews of Union Minister Nityanand Rai Involved, One Dead, Another Injured

KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार के भोजपुर जिले के शाहपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले भरौली गांव में मंगलवार की देर शाम एक सनसनीखेज घटना घटी। भाजपा युवा नेता राकेश विशेश्वर ओझा पर शादी समारोह से लौटते समय गोलीबारी की गई। यह हमला उस समय हुआ जब राकेश अपनी गाड़ी से गोपीबाबा मंदिर के पास से गुजर रहे थे।

हालांकि, इस हमले में कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन यह घटना क्षेत्र में राजनीतिक तनाव और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर रही है। इस मामले में तीन नामजद और कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।

घटना का विवरण

सूत्रों के अनुसार, भाजपा नेता राकेश ओझा एक शादी समारोह में भाग लेकर लौट रहे थे, तभी भरौली गांव के पास उनकी कार पर अचानक ताबड़तोड़ फायरिंग की गई। यह हमला उस वक्त हुआ जब वे गोपीबाबा मंदिर के समीप पहुंचे।

स्थानीय लोगों ने बताया कि लगातार गोलियों की आवाज सुनकर इलाके में अफरातफरी मच गई। हालांकि, राकेश ओझा और उनके साथी किसी तरह से गाड़ी लेकर भागने में सफल रहे, जिससे उनकी जान बच गई।

 एफआईआर दर्ज, तीन नामजद आरोपी

घटना के तुरंत बाद भाजपा नेता राकेश ओझा ने शाहपुर थाना में जाकर एफआईआर दर्ज कराई। प्राथमिकी में उन्होंने तीन लोगों को नामजद करते हुए कई अज्ञात हमलावरों के शामिल होने की आशंका जताई है।

नामजद आरोपी:

  1. शिवाजीत मिश्र – निवासी: सोनबर्षा गांव

  2. किशुन मिश्र – निवासी: सोनबर्षा गांव

  3. संत मिश्र – भरौली गांव निवासी और पूर्व पैक्स अध्यक्ष

प्राथमिकी में हत्या के प्रयास, आपराधिक साजिश और अवैध हथियार के प्रयोग जैसी धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

 पुलिस जांच जारी

शाहपुर थानाध्यक्ष कुमार रजनीकांत ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि जांच शुरू कर दी गई है। पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर साक्ष्य जुटाने, गवाहों के बयान लेने और इलाके की तलाशी का काम शुरू कर दिया है।

पुलिस यह भी जांच कर रही है कि कहीं इस हमले का सीधा संबंध वर्ष 2016 में हुए भाजपा नेता विशेश्वर ओझा की हत्या से तो नहीं है, जो राकेश ओझा के पिता थे।

थानाध्यक्ष का बयान:
“घटना गंभीर है। नामजद आरोपियों की तलाश की जा रही है और अन्य संदिग्धों की पहचान के प्रयास भी जारी हैं।”

 क्या यह पुरानी रंजिश का परिणाम है?

इस हमले को लेकर क्षेत्र में यह चर्चा जोरों पर है कि यह पुरानी राजनीतिक रंजिश का ही हिस्सा हो सकता है। बता दें कि राकेश ओझा के पिता, वरिष्ठ भाजपा नेता विशेश्वर ओझा की 2016 में हत्या कर दी गई थी। उस हत्याकांड ने राज्यभर में राजनीति को हिला कर रख दिया था।

स्थानीय राजनीतिक जानकारों का मानना है कि पुरानी दुश्मनी और पंचायत व सहकारिता राजनीति में वर्चस्व की लड़ाई इस हमले की वजह हो सकती है।

 राजनीतिक हलकों में हलचल

यह घटना ऐसे समय पर घटी है जब बिहार में राजनीतिक माहौल लोकसभा चुनावों के कारण पहले से ही गर्म है। भाजपा नेतृत्व इस हमले को गंभीर चुनौती मान रहा है और पार्टी इसे लेकर:

  • जिला प्रशासन से रिपोर्ट की मांग कर सकती है

  • आरोपियों की शीघ्र गिरफ्तारी की मांग करेगी

  • राज्य सरकार की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाएगी

भाजपा कार्यकर्ताओं ने शाहपुर और आरा में प्रदर्शन करने की तैयारी शुरू कर दी है। कई भाजपा नेता इस हमले को पार्टी पर हमला करार दे रहे हैं।

 विशेश्वर ओझा हत्याकांड: एक पृष्ठभूमि

  • विशेश्वर ओझा, भाजपा के प्रभावशाली नेता और भोजपुर क्षेत्र में मजबूत पकड़ रखने वाले राजनेता थे।

  • उनकी 2016 में हत्या उस समय हुई थी जब वे राजनीति में तेजी से उभर रहे थे।

  • हत्या के पीछे राजनीतिक और भूमि विवादों को प्रमुख कारण माना गया था।

  • राकेश ओझा ने पिता की मौत के बाद राजनीति में प्रवेश किया था।

अब यह हमला इस पुराने हत्याकांड से संबंधित बदले की भावना के तौर पर देखा जा रहा है।

 स्थानीय जनता में भय का माहौल

भरौली और आसपास के ग्रामीण इलाकों में इस घटना के बाद भय और असुरक्षा का माहौल बना हुआ है। ग्रामीणों ने इलाके में सुरक्षा बढ़ाने, रात में गश्त बढ़ाने और सीसीटीवी कैमरे लगाने की मांग की है।

स्थानीय समाजिक संगठनों ने प्रशासन से मांग की है कि:

  • जल्द से जल्द आरोपियों की गिरफ्तारी हो

  • नेताओं को सुरक्षा मुहैया कराई जाए

  • पुलिस की मौजूदगी बढ़ाई जाए

भोजपुर जिले में भाजपा नेता राकेश ओझा पर हुआ जानलेवा हमला केवल एक अपराध की घटना नहीं, बल्कि बिहार में राजनीति और अपराध के गहरे संबंध का एक और उदाहरण है। यह घटना दर्शाती है कि राज्य में अब भी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता की हदें हिंसा तक जाती हैं।

अब यह देखना अहम होगा कि पुलिस और प्रशासन इस मामले को कितनी तेजी और निष्पक्षता से सुलझा पाते हैं। साथ ही, भाजपा की प्रतिक्रिया और जनता का दबाव इस केस की दिशा तय करेगा।

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