इस साल, तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब में दिवाली का उत्सव एक खास तरीके से मनाया जाएगा। यह एक ऐसा पवित्र स्थान है जो सिखों के लिए अत्यंत श्रद्धेय है। इस दिवाली पर गुरुद्वारा परिसर 11,000 मिट्टी के दीपों से रोशन होगा, जिससे एक खूबसूरत और शांतिपूर्ण माहौल बनेगा। प्रबंध समिति ने इस वर्ष पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए एक इको-फ्रेंडली दिवाली मनाने का निर्णय लिया है। उत्सव की भव्य तैयारी जोर-शोर से चल रही है, और भक्तों में इस अनोखी रोशनी के त्योहार में भाग लेने के लिए खासा उत्साह है।
तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब में दिवाली: एक इको-फ्रेंडली उत्सव
इस वर्ष की दिवाली विशेष रूप से पर्यावरण के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मनाई जाएगी। प्रबंध समिति ने निर्णय लिया है कि गुरुद्वारा परिसर को पारंपरिक दीपों, फूलों और लाइट्स से सजाया जाएगा, जिससे एक सुखद और शांति से भरा वातावरण बने। इस बार उत्सव में भजन, कीर्तन और विशेष उपदेशों के साथ-साथ भक्तों के लिए लंगर भी आयोजित किया जाएगा, जो विभिन्न राज्यों से आए भक्तों के लिए एक स्वागत योग्य आयोजन होगा।
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समिति के अध्यक्ष सरदार जगजोत सिंह सोही और महासचिव सरदार इंदरजीत सिंह ने बताया कि गुरुद्वारा परिसर को इस बार विशेष रूप से सजाया जाएगा, और इसके साथ ही दीयों की रोशनी और प्राकृतिक सजावट से इस इको-फ्रेंडली दिवाली की भावना को बढ़ावा दिया जाएगा। इस तरह की दिवाली मनाने का उद्देश्य न केवल परंपरा को बनाए रखना है, बल्कि यह संदेश भी देना है कि हमें अपने पर्यावरण का ध्यान रखना चाहिए और त्योहारों के दौरान भी इसका ध्यान रखना चाहिए।
गुरुद्वारा परिसर में महिलाओं द्वारा दीप जलाना और श्रद्धा का प्रतीक
प्रत्येक वर्ष, आसपास के क्षेत्रों की सिख महिलाएं गुरुद्वारा परिसर में दीये और मोमबत्तियां जलाकर प्रार्थनाएं अर्पित करती हैं। इस वर्ष, प्रबंध समिति ने इस परंपरा को और भी खास बनाने का निर्णय लिया है, ताकि यह उत्सव न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण हो, बल्कि पर्यावरण के प्रति जागरूकता को भी बढ़ावा दे। जत्थेदार भाई बलदेव सिंह ने कहा कि इस बार समिति ने दिवाली को विशेष बनाने के लिए इस पहल को जोड़ा है, ताकि लोग यह समझ सकें कि हमें अपने पर्यावरण की सुरक्षा के बारे में भी सोचना चाहिए।
प्रबंधक सरदार दलजीत सिंह ने बताया कि पटना साहिब में दिवाली का बहुत खास स्थान है, क्योंकि यह गुरु गोविंद सिंह जी का जन्मस्थल है। यहां हर साल पंजाब, दिल्ली, हरियाणा और अन्य राज्यों से लोग दिवाली मनाने आते हैं। यहां के लोग गुरु ग्रंथ साहिब से verses का पाठ करते हैं, अपने घरों को रंगोली से सजाते हैं, और दीप जलाकर सुख, शांति और आस्था का प्रतीक मानते हैं। उनका कहना था कि इस तरह की परंपराएं न केवल सिख धर्म के मूल्यों को जोड़ती हैं, बल्कि यह भी संदेश देती हैं कि हम सबको एकजुट होकर और प्रेम के साथ रहना चाहिए।
दिवाली का ऐतिहासिक महत्व: बंदी छोर दिवस का संबंध
पटना साहिब में दिवाली का उत्सव गुरु हरगोबिंद साहिब जी की बंदी छोर दिवस के साथ जुड़ा हुआ है, जो सिखों के इतिहास का एक महत्वपूर्ण दिन है। सरदार गुरविंदर सिंह, प्रबंध समिति के उपाध्यक्ष ने बताया कि गुरु हरगोबिंद साहिब को मुग़ल सम्राट जहांगीर ने ग्वालियर किले में बंदी बना लिया था। हालांकि, गुरु साहिब ने यह शर्त रखी कि वह तब तक किला नहीं छोड़ेंगे जब तक उनके साथ बंदी बनाए गए 52 अन्य राजाओं को भी मुक्त नहीं किया जाता। गुरु साहिब ने 52 टसरों वाली एक विशेष चोगा बनवाया था, जिसमें प्रत्येक राजा एक टसर पकड़ कर उनके साथ बाहर निकला।
जब गुरु हरगोबिंद साहिब अपने साथ 52 अन्य राजाओं को लेकर किले से बाहर आए, तो लोग आनंदित हो उठे। वह दिन था जब लोग अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के चारों ओर दीप जलाकर गुरु साहिब के घर लौटने का उत्सव मनाने लगे। तब से लेकर आज तक, सिख दुनिया भर में बंदी छोर दिवस मनाते हैं और गुरुद्वारों तथा घरों में दीप जलाकर गुरु हरगोबिंद साहिब की मुक्तिओं को याद करते हैं।
दीपों का महत्व: श्रद्धा और आशीर्वाद का प्रतीक
पटना साहिब में इस दिवाली की विशेष परंपरा है। इस दिन, आसपास के घरों से लोग अपने घरों से दीप लेकर गुरुद्वारा आते हैं, जहां उन्हें पवित्र ज्योति से दीप जलाए जाते हैं। इसके बाद, भक्त उस ज्योति को अपने घर वापस ले जाते हैं, और मानते हैं कि यह प्रकाश उनके घरों में सुख, शांति और आशीर्वाद लाता है। यह परंपरा गुरु गोविंद सिंह जी की दिव्य रोशनी और उनके उपदेशों की याद दिलाती है।
इस वर्ष, 11,000 दीपों के साथ तख्त श्री हरिमंदिर जी फिर से अपनी दिव्यता और श्रद्धा से जगमगाएगा। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा की दिशा में भी एक कदम है। इस इको-फ्रेंडली दिवाली का आयोजन यह दिखाता है कि सिख समुदाय न केवल अपने धार्मिक कर्तव्यों को निभाता है, बल्कि पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भी समझता है।
इस साल तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब में दिवाली का उत्सव न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह पर्यावरण जागरूकता का भी प्रतीक है। 11,000 दीपों की रोशनी से परिसर को सजाने और इको-फ्रेंडली उपायों को बढ़ावा देने का यह कदम यह दर्शाता है कि हम धार्मिक परंपराओं के साथ-साथ अपने पर्यावरण का भी ख्याल रख सकते हैं। इस दिवाली में भाग लेने आने वाले भक्त न केवल दीपों की रौशनी का आनंद लेंगे, बल्कि वे सिख धर्म के उन महान सिद्धांतों को भी महसूस करेंगे, जो एकता, प्रेम और पर्यावरण की रक्षा के संदेश को फैलाते हैं।
यह आयोजन न केवल धार्मिक अनुष्ठानों के लिए है, बल्कि यह एक उदाहरण है कि कैसे आधुनिक चुनौतियों का सामना करते हुए हम अपनी परंपराओं को संजो सकते हैं, और उनका संरक्षण करते हुए समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा सकते हैं।
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