वैशाली जिले के चेहराकलां ब्लॉक के सुमेरगंज गांव में एक युवा किसान की सोच ने खेती के पारंपरिक तरीके को बदल दिया है। किसान Arun Kumar ने Hydroponic Farming यानी बिना मिट्टी की खेती को अपनाकर दिखाया है कि किस तरह सिर्फ पानी और प्राकृतिक पोषक तत्वों के सहारे भरपूर फसल उगाई जा सकती है। उनकी यह नवाचारपूर्ण पहल न केवल उनकी खेती की दिशा बदल रही है बल्कि बिहार के अन्य किसानों को भी नई प्रेरणा दे रही है।
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क्या है Hydroponic Farming
Hydroponic Farming एक आधुनिक तकनीक है जिसमें पौधों को मिट्टी में नहीं, बल्कि पोषक तत्वों से भरे पानी में उगाया जाता है। इस पद्धति में पौधों की जड़ों को सीधे ऐसे पानी में रखा जाता है जिसमें आवश्यक खनिज और ऑक्सीजन मौजूद रहते हैं। यह प्रणाली मिट्टी पर निर्भरता खत्म कर देती है, जिससे फसलें तेजी से और स्वस्थ तरीके से बढ़ती हैं।
यह तकनीक पारंपरिक खेती की तुलना में कई फायदे देती है — कम जगह में अधिक उत्पादन, कम पानी की जरूरत और मिट्टीजनित बीमारियों से पूरी तरह सुरक्षा। जहां खेती की जमीन कम हो रही है, वहां यह पद्धति किसानों के लिए उम्मीद की नई किरण बनकर उभर रही है।
मोबाइल वीडियो से शुरू हुआ विचार
Arun Kumar की इस यात्रा की शुरुआत दो साल पहले हुई जब उन्होंने अपने मोबाइल फोन पर एक वीडियो देखा। उस वीडियो में मनी प्लांट को केवल पानी में पनपते हुए दिखाया गया था। तभी उनके मन में विचार आया — “अगर मनी प्लांट बिना मिट्टी के बढ़ सकता है तो सब्जियां क्यों नहीं?”
उन्होंने एक छोटा-सा प्रयोग किया। एक PVC पाइप लिया, उसमें कुछ छेद किए और 4 से 5 सब्जियों के पौधे लगाए। पानी और खाद के सही प्रबंधन से कुछ ही हफ्तों में पौधे तेजी से बढ़े और फल देने लगे। इस छोटे प्रयोग ने Arun के आत्मविश्वास को बढ़ाया और उन्होंने इंटरनेट पर Advanced Hydroponic Systems के बारे में जानकारी जुटानी शुरू की। उन्होंने Israeli Farming Techniques के बारे में भी सीखा और धीरे-धीरे अपने प्रयोग को आगे बढ़ाया।
PVC पाइप और मोटर सिस्टम से बनी स्मार्ट खेती
Arun Kumar ने अपनी खुद की Hydroponic Setup तैयार की है। इसमें 8 से 10 इंच मोटी PVC पाइपें लगाई गई हैं, जिनमें 2 इंच चौड़े छेद बनाए गए हैं। हर छेद में एक छोटा प्लास्टिक कप रखा गया है जिसमें पौधा लगाया जाता है। कप के नीचे एक कपास की बाती (Cotton Wick) रखी जाती है जो लगातार पौधों की जड़ों तक नमी और पोषक तत्व पहुंचाती है।
इन पाइपों को एक छोटे मोटर सिस्टम से जोड़ा गया है जो पानी को लगातार सर्कुलेट करता रहता है। इससे पौधों को बराबर मात्रा में ऑक्सीजन और पोषक तत्व मिलते रहते हैं। यह सिस्टम बहुत कम जगह में लगाया जा सकता है और इसके रखरखाव में भी ज्यादा खर्च नहीं आता।
जैविक खाद की ओर रुख
शुरुआत में Arun Kumar ने रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल किया, लेकिन जल्द ही उन्होंने जैविक तरीकों की ओर रुख किया। पिछले एक साल से वे हल्दी पाउडर और सरसों की खली (Mustard Cake) को प्राकृतिक खाद के रूप में उपयोग कर रहे हैं।
Arun बताते हैं, “ऑर्गेनिक खाद से पौधे ज्यादा स्वस्थ रहते हैं, उनकी पत्तियां हरी रहती हैं और सब्जियों का स्वाद भी बेहतर होता है।” जैविक खाद के उपयोग से न केवल मिट्टी और पर्यावरण को नुकसान नहीं होता बल्कि फसलों की गुणवत्ता भी बढ़ती है।
छत पर सालभर उगती हैं दर्जनों सब्जियां
आज Arun Kumar अपनी छत पर सालभर सब्जियां उगाते हैं। Hydroponic Farming के जरिए वे बैंगन, पालक, मिर्च, खीरा, पत्तागोभी, सेम, टमाटर, चना, मटर और धनिया जैसी सब्जियां उगा रहे हैं।
उनका कहना है, “इस तकनीक की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसे कहीं भी अपनाया जा सकता है। जहां खेती की जमीन नहीं है, वहां भी छत या बालकनी में ताजी सब्जियां उगाई जा सकती हैं।”
उनका Rooftop Hydroponic Garden अब कई लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है। इस सिस्टम में पानी की खपत भी बहुत कम होती है और हर पौधे को जरूरत के हिसाब से पोषक तत्व मिलते हैं।
प्रेरणा बन रहे हैं Arun Kumar
Arun Kumar की सफलता की कहानी अब पूरे वैशाली जिले और आसपास के गांवों में चर्चा का विषय बन गई है। कई किसान उनके पास आकर Hydroponic Cultivation सीख रहे हैं। उन्होंने अन्य किसानों को प्रशिक्षित करने के लिए अनौपचारिक प्रशिक्षण सत्र भी शुरू किए हैं।
Arun बताते हैं, “जब मैंने यह विचार कृषि विभाग के अधिकारियों को बताया तो उन्होंने कहा कि बिहार में यह संभव नहीं है। लेकिन मैंने ठान लिया था कि बिना मिट्टी की खेती को सफल बनाकर दिखाऊंगा।”
आज वही अधिकारी उनकी सफलता की मिसाल दे रहे हैं। Arun के नवाचार ने यह साबित कर दिया है कि ज्ञान और तकनीक से खेती में कुछ भी असंभव नहीं है।
ग्रामीण चुनौतियों के बीच सफलता
बिना मिट्टी की खेती को ग्रामीण क्षेत्र में अपनाना आसान नहीं था। शुरुआत में Arun को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा — संसाधनों की कमी, तकनीकी जानकारी का अभाव और लोगों का संदेह।
कई लोग यह मानने को तैयार नहीं थे कि मिट्टी के बिना भी पौधे उग सकते हैं। लेकिन जब उन्होंने Arun के पौधों को तेजी से बढ़ते और फलते देखा, तो उनकी सोच बदल गई। अब कई स्थानीय किसान अपनी छतों और छोटे खेतों में यह तकनीक अपनाने की तैयारी कर रहे हैं।
Arun का मानना है कि यदि सरकार ऐसे नवाचारों को बढ़ावा दे, तो बिहार में कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव संभव है।
बिहार की कृषि के लिए उम्मीद की नई दिशा
बढ़ती आबादी और शहरीकरण के कारण खेती की जमीन लगातार घट रही है। ऐसे में Hydroponic Farming जैसी तकनीकें भविष्य की खेती के लिए जरूरी बनती जा रही हैं।
Arun Kumar ने दिखा दिया है कि कम जगह, कम पानी और बिना मिट्टी के भी खेती संभव है। यह तकनीक मिट्टी की उर्वरता पर निर्भर नहीं करती और पानी की खपत भी लगभग 70 प्रतिशत तक कम कर देती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर राज्य सरकार इस तकनीक को बढ़ावा दे और किसानों को प्रशिक्षण उपलब्ध कराए, तो बिहार कृषि नवाचार का केंद्र बन सकता है।
आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ
Hydroponic Farming न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी लाभदायक है। इस तकनीक से किसान सालभर सब्जियां उगा सकते हैं, जिससे उनकी आय में निरंतरता बनी रहती है।
क्योंकि पौधे तेजी से बढ़ते हैं, इसलिए कम समय में कई फसलें ली जा सकती हैं। इससे उत्पादन लागत घटती है और मुनाफा बढ़ता है। साथ ही, चूंकि इसमें रासायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं होता, इसलिए पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है।
शहरी परिवारों के लिए भी यह तकनीक उपयोगी है, क्योंकि वे अपने घर की छत या बालकनी में ताजी और ऑर्गेनिक सब्जियां उगा सकते हैं।
भविष्य की योजना और Arun का सपना
Arun Kumar अब इस तकनीक को बिहार के अन्य गांवों में फैलाना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि अधिक से अधिक किसान Hydroponic Farming सीखें और इसे अपनाएं।
उनका सपना है, “हर किसान के पास यह तकनीक पहुंचे ताकि वे कम जगह में ज्यादा उत्पादन कर सकें। खेती अब सिर्फ मिट्टी पर नहीं, बल्कि ज्ञान और तकनीक पर निर्भर होनी चाहिए।”
Arun का मानना है कि बिहार के युवाओं में क्षमता है कि वे तकनीक की मदद से कृषि को एक नए स्तर पर ले जाएं।
वैशाली के किसान Arun Kumar की कहानी बिहार की कृषि के लिए नई दिशा दिखाती है। उन्होंने साबित किया है कि मेहनत, जिज्ञासा और आधुनिक तकनीक के सही उपयोग से खेती में क्रांति लाई जा सकती है।
जैसे-जैसे जमीन और पानी के संसाधन घट रहे हैं, Hydroponic Farming भविष्य की जरूरत बनती जा रही है। Arun का यह मॉडल न केवल खेती का आधुनिक तरीका है बल्कि पर्यावरण संरक्षण और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मजबूत कदम भी है।
उनकी कहानी यह संदेश देती है कि खेती की परिभाषा बदल रही है — अब यह मिट्टी से नहीं, सोच और तकनीक से जुड़ी है।



