भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India – ECI) ने बिहार में दो-फेज में चुनाव कराने की घोषणा कर दी है। इसके साथ ही राज्य में हाई-स्टेक पॉलिटिकल बैटल की आधिकारिक शुरुआत हो गई है। पोलिंग डेट्स 6 नवंबर और 11 नवंबर तय की गई हैं। वोटों की गिनती 14 नवंबर को होगी। यह घोषणा बिहार के पॉलिटिकल स्टेज को पूरी तरह से सेट करती है।
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चुनाव आयोग का ऐलान: 6 नवंबर और 11 नवंबर को वोटिंग
न्यूज दिल्ली और पटना से मिल रही जानकारी के अनुसार, ECI ने सोमवार को 2025 बिहार विधानसभा चुनाव का पूरा शेड्यूल जारी किया। मुख्य चुनाव आयुक्त Gyanesh Kumar ने न्यूज दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। उन्होंने बताया कि वोटिंग दो चरणों में होगी। रिजल्ट 14 नवंबर को घोषित किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि संपूर्ण इलेक्टोरल प्रोसेस 16 नवंबर तक पूरी हो जाएगी। इस घोषणा के साथ ही चुनाव शेड्यूल को लेकर चल रही अटकलों पर विराम लग गया है।
Gyanesh Kumar ने बिहार चुनाव को “मदर ऑफ ऑल इलेक्शंस” कहा। उन्होंने कहा कि यह चुनाव बिहार की गहरी लोकतांत्रिक परंपराओं और आधुनिक, वोटर-फ्रेंडली इनोवेशन का मेल होगा। डेट्स के ऐलान के तुरंत बाद मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट लागू हो गया है। इसने राजनीति से भरे इस राज्य में इलेक्टोरल बैटल की शुरुआत का औपचारिक संकेत दे दिया है।
दो फेज, 243 सीटें और 7.43 करोड़ मतदाता
बिहार विधानसभा की 243 सीटों पर उम्मीदवारों का फेट 7.43 करोड़ से अधिक मतदाता तय करेंगे। इनमें से दो सीटें अनुसूचित जाति (Scheduled Castes) और दो सीटें अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribes) के लिए रिजर्व हैं। चुनाव आयोग के अनुसार, बिहार की वोटर रोल में 39.2 मिलियन पुरुष, 35 मिलियन महिलाएँ, और 1,725 ट्रांसजेंडर मतदाता शामिल हैं। राज्य में 1.4 मिलियन फर्स्ट-टाइम वोटर्स हैं। इसके अलावा 450,000 बुजुर्ग मतदाता भी हैं जो इस चुनाव में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करेंगे।
वोटिंग के लिए 90,712 पोलिंग स्टेशन स्थापित किए जाएंगे। प्रत्येक पोलिंग स्टेशन पर अधिकतम 1,200 मतदाता ही वोट डाल सकेंगे। रूरल एरिया में 76,801 बूथ और अर्बन सेंटर में 13,911 बूथ बनाए गए हैं। ECI ने समावेशिता (इनक्लूसिविटी) के अपने प्रयासों के तहत 1,044 ऑल-वीमेन-मैनेज्ड पोलिंग बूथ की घोषणा की है। साथ ही 1,350 मॉडल बूथ भी स्थापित किए जाएँगे।
आधुनिक चुनाव के लिए नई पहल
मुख्य चुनाव आयुक्त ने घोषणा की कि बिहार चुनाव में 17 नई प्रथाएँ (न्यू प्रैक्टिसेज) शुरू की जाएंगी। इनमें से कई को बाद में राष्ट्रव्यापी (नेशनवाइड) अपनाया जा सकता है। सबसे उल्लेखनीय बदलावों में से एक है मोबाइल फोन जमा करने के लिए डेजिग्नेटेड स्पेस का इंट्रोडक्शन। यह प्राइवेसी और ट्रांसपेरेंसी बनाए रखने का एक प्रयास है।
वोटर-फ्रेंडली इनोवेशन
अन्य सुधारों में प्रत्येक बूथ पर पोलिंग वॉलंटियर्स, हेल्प डेस्क, और वोटर फैसिलिटेशन सेंटर शामिल हैं। दिव्यांगों के लिए रैंप, व्हीलचेयर, और पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग रेस्ट रूम भी प्रदान किए जाएंगे। Gyanesh Kumar ने कहा कि “वे वोटर्स जो उम्र या विकलांगता के कारण पोलिंग स्टेशन नहीं जा सकते, वे अब फॉर्म 12डी भरकर वोट फ्रॉम होम की सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि सभी पोलिंग स्टेशनों पर पीने का पानी, बिजली, और सैनिटेशन फैसिलिटीज की व्यवस्था होगी।
राजनीतिक दाँव ऊँचे, गठबंधन अभी भी सीट-शेयरिंग में व्यस्त
एक ओर ECI की घोषणा ने बिहार के राजनीतिक माहौल में करंट दौड़ा दिया है। वहीं, प्रमुख गठबंधन (एलायंसेज) अभी भी अपने सीट-शेयरिंग फॉर्मूला पर नेगोशिएट कर रहे हैं। मुख्यमंत्री Nitish Kumar की जनता दल (यूनाइटेड) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाला सत्ताधारी NDA गठबंधन अभी तक उम्मीदवारों की घोषणा नहीं कर पाया है। यूनियन मिनिस्टर Dharmendra Pradhan सहित सीनियर BJP लीडर्स पटना में आंतरिक रिव्यू और मीटिंग्स कर रहे हैं।
दूसरी तरफ, विपक्षी महागठबंधन (Grand Alliance) भी सीटों के डिस्ट्रीब्यूशन को अंतिम रूप नहीं दे सका है। इस महागठबंधन में RJD, Congress, और VIP पार्टी शामिल हैं। RJD लीडर Tejashwi Yadav गठबंधन के संभावित मुख्यमंत्री फेस बने हुए हैं। Prashant Kishor का जन सुराज खुद को एक पारंपरिक पॉलिटिकल फ्रंट के बजाय “पीपुल्स मूवमेंट” के रूप में पेश कर रहा है। यह जन सुराज स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने की योजना बना रहा है।
लोकतंत्र और परंपरा का मिलन
चुनाव का समय छठ पूजा के ठीक एक पखवाड़े बाद है। यह बिहार का सबसे पवित्र फेस्टिवल है। इस टाइमिंग का प्रतीकात्मक और लॉजिस्टिकल दोनों ही महत्व है। सूर्य और आस्था का यह त्योहार, लोकतंत्र के उत्सव में बदल जाएगा। लाखों नागरिक राज्य के राजनीतिक भाग्य का फैसला करेंगे।
चुनाव आयोग के लिए बिहार के चुनाव हमेशा से ही लोकतांत्रिक इनोवेशन की टेस्टिंग ग्राउंड रहे हैं। इस साल डिजिटली मैप्ड पोलिंग स्टेशन, बढ़ी हुई एक्सेसिबिलिटी, और सख्त ओवरसाइट के साथ आयोग इस प्रोसेस को और अधिक स्मूथ और इनक्लूसिव बनाने की उम्मीद कर रहा है।
जैसे ही बिहार एक और हाई-स्टेक इलेक्टोरल शोडाउन की ओर बढ़ रहा है, आने वाले हफ्तों में नैरेटिव और नंबर्स की जबरदस्त कॉन्टेस्ट देखने को मिलेगी। यह विरासत और सुधार, पावर और प्रॉमिस, और सबसे ऊपर आशा और इतिहास के बीच की लड़ाई होगी।



