KKN ब्यूरो। बिहार में शिक्षकों के ट्रांसफर को लेकर एक नया विवाद सामने आया है। राज्य सरकार की नई ट्रांसफर पॉलिसी के तहत, शिक्षकों को अपने गृह जिले या ससुराल में पोस्टिंग का विकल्प नहीं दिया जा रहा है। इससे सक्षमता पास शिक्षकों में भारी नाराजगी है। खासकर महिला शिक्षक, जो शादी के बाद ससुराल या मायके के पास पोस्टिंग चाहती थीं, अब खुद को असमंजस में पा रही हैं।
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नई ट्रांसफर पॉलिसी में क्या समस्या है?
शिक्षकों के स्थानांतरण आवेदन प्रक्रिया को लेकर कई नए नियम लागू किए गए हैं, जो शिक्षकों के लिए नए सिरदर्द बन गए हैं।
- गृह जिला और ससुराल में पोस्टिंग नहीं – शिक्षक अब अपने मूल जिले या ससुराल के जिले में ट्रांसफर नहीं ले सकते हैं।
- पुरुषों और महिलाओं के लिए समान नियम – महिलाओं को पति के गृह जिले में पोस्टिंग का विकल्प नहीं मिलेगा, वहीं पुरुष शिक्षक भी पत्नी के गृह अनुमंडल में नहीं जा सकते।
- सीमित विकल्प – शिक्षकों को 10 पंचायतों का विकल्प दिया गया है, लेकिन अगर इनमें जगह खाली नहीं हुई तो विभाग अपने हिसाब से पोस्टिंग करेगा।
- वर्तमान पंचायत में ट्रांसफर का विकल्प नहीं – शिक्षकों को जहां वे वर्तमान में कार्यरत हैं, वहीं रहने का विकल्प भी नहीं दिया जा रहा।
शिक्षकों की नाराजगी क्यों बढ़ रही है?
बिहार में करीब 7,000 से अधिक सक्षमता पास शिक्षक इस पॉलिसी से प्रभावित हो रहे हैं। महिला शिक्षकों की परेशानी सबसे ज्यादा बढ़ गई है, क्योंकि वे मायके या ससुराल में पोस्टिंग चाहती थीं, लेकिन सरकार ने इसे रोक दिया है।
महिला शिक्षकों की समस्या
- कई शिक्षिकाएं शादी से पहले मायके के पास कार्यरत थीं, लेकिन अब उन्हें दूसरी जगह जाना होगा।
- शादीशुदा महिलाएं ससुराल के पास पोस्टिंग चाहती थीं, लेकिन यह भी संभव नहीं है।
- बच्चों की पढ़ाई और घर-परिवार की जिम्मेदारियों को देखते हुए, यह पॉलिसी कई परिवारों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रही है।
पुरुष शिक्षकों को भी हो रही परेशानी
- पुरुष शिक्षकों को भी गृह अनुमंडल से दूर पोस्टिंग मिलेगी।
- पत्नी के गृह अनुमंडल में भी ट्रांसफर की अनुमति नहीं।
- परिवार से दूर जाने के कारण रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित होगी।
शिक्षक संघ ने जताई नाराजगी, सरकार से की अपील
बिहार शिक्षक संघ ने इस ट्रांसफर पॉलिसी का विरोध किया है और सरकार से इसे बदलने की मांग की है। शिक्षक संघ का कहना है कि:
- सरकार ने शिक्षकों की समस्याओं को ध्यान में रखे बिना यह नीति बनाई है।
- शिक्षकों को उनके परिवार से दूर करना मानसिक तनाव बढ़ाएगा।
- अगर पॉलिसी में बदलाव नहीं हुआ तो टीचर सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
सरकार का क्या कहना है?
बिहार सरकार के शिक्षा विभाग का कहना है कि:
- नई ट्रांसफर पॉलिसी का उद्देश्य शिक्षकों का सही ढंग से वितरण करना है।
- शिक्षकों को ऐसे स्कूलों में भेजा जाएगा, जहां अधिक जरूरत हो।
- गृह जिला और ससुराल में पोस्टिंग की अनुमति देने से अनियमितता बढ़ सकती थी।
क्या इस ट्रांसफर पॉलिसी में बदलाव होगा?
अभी तक सरकार ने इस पॉलिसी में बदलाव के संकेत नहीं दिए हैं। हालांकि, शिक्षकों के लगातार विरोध और शिक्षक संघ के दबाव के कारण, सरकार को इस मामले में संशोधन करना पड़ सकता है।
शिक्षकों के लिए ट्रांसफर बना सिरदर्द
बिहार में नई शिक्षक ट्रांसफर पॉलिसी शिक्षकों के लिए फायदे से ज्यादा नुकसान लेकर आई है। इस नीति के चलते महिला शिक्षिकाओं को मायके और ससुराल से दूर जाना पड़ सकता है, जिससे उनके परिवारिक जीवन पर असर पड़ेगा। वहीं, पुरुष शिक्षकों को भी अपनी पसंद के स्थान पर पोस्टिंग नहीं मिलेगी। अब देखना होगा कि सरकार इस विरोध को कैसे संभालती है और क्या इस पॉलिसी में संशोधन होता है या नहीं।
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