बांग्लादेश में आत्मनिर्भर हुई महिलाएं
KKN न्यूज ब्यूरो। वह 16 दिसंबर 1971 का दिन था, जब पाकिस्तान से अलग होकर पूर्वी पाकिस्तान को बांग्लादेश के रूप में आजादी मिल गई। उनदिनों बांग्लादेश का आर्थिक सूचकांक और पाकिस्तान से बहुत कम हुआ करता था। उनदिनों वर्तमान पाकिस्तान के लोगों की प्रति व्यक्ति आय बांग्लादेश के लोगों से करीब 32 प्रतिशत अधिक हुआ करती थी। लेकिन पिछले दो दशकों में बांग्लादेश में होने वाली आर्थिक प्रगति की वजह से अब बांग्लादेश की आर्थिक सूचकांक पाकिस्तान से बहुत बेहतर हो चुका है। बांग्लादेश ने पिछले 52 साल में आर्थिक क्षेत्र में पाकिस्तान से बेहतर प्रदर्शन किया है। अपने विदेशी व्यापार को बढ़ाया है। वहां ग़रीबी की दर में भी कमी आई है। महिलाओं का आर्थिक विकास हुआ है। जबकि, पाकिस्तान इन सभी क्षेत्र में लगातार पिछड़ता चला गया।
आतंकवाद के पोषण में डूबा पाकिस्तान
पाकिस्तान में पिछले कई साल से राजनीतिक अस्थिरता, आतंकवाद और शांति व्यवस्था की समस्या बनी हुई है। पाकिस्तान में औद्योगिक प्रगति का पहिया थम गया है। नतीजा, पाकिस्तान का विदेशी व्यापार, जीडीपी ग्रोथ और प्रति व्यक्ति आय में लगातार गिराबट जारी है। पाकिस्तान और बांग्लादेश की आर्थिक स्थिति की 52 साल बाद तुलना की जाए तो बांग्लादेश कुछ क्षेत्रों में पाकिस्तान से काफ़ी आगे निकल चुका है। इसमें विशेष तौर पर गारमेंट्स एक्सपोर्ट का क्षेत्र शामिल है। आपको बतातें चलें कि इस समय चीन के बाद बांग्लादेश दुनिया में सबसे अधिक वस्त्र निर्यात करने वाला देश बन चुका है। दूसरी ओर पाकिस्तान की गिनती गारमेंट्स एक्सपोर्ट करने वाले पहले पांच बड़े देशों में भी शामिल नहीं है। ताज्जुब की बात ये हैं कि बांग्लादेश में कपास की पैदावार नहीं होती है। जबकि, पाकिस्तान कपास के पैदावार का एक बड़ा हब है।
बांग्लादेश का विकास दर छह प्रतिशत
वर्ल्ड बैंक की वेबसाइट पर मौजूद आंकड़े के अनुसार 16 दिसंबर 1971 को अपनी स्थापना के बाद पहले एक साल में यानी 1972 तक बांग्लादेश की आर्थिक विकास दर माइनस 13 प्रतिशत दर्ज की गई थी। जबकि, उसी साल पाकिस्तान की विकास दर एक प्रतिशत हुआ करती थी। युद्ध की विभिषिका के बाद पाकिस्तान की आर्थिक विकास की दर अगले साल तेजी से बढ़ी और यह 7 प्रतिशत पर पहुंच गई। जबकि बांग्लादेश की विकास दर नकारात्मक अवस्था से बाहर निकलने की कोशिश में दम तोड़ती रही। जानकारी के मुताबिक 30 जून 2023 में ख़त्म होने वाले वित्तीय वर्ष के आर्थिक सर्वे के मुताबिक पाकिस्तान की विकास दर घट कर एक प्रतिशत से भी कम, यानी 0.29 प्रतिशत हो गई है। दूसरी और बांग्लादेश इकोनॉमिक रिव्यू के अनुसार इसी वित्तीय वर्ष में बांग्लादेश की आर्थिक विकास दर 6 प्रतिशत पर पहुंच चुकी है। यहां बतातें चलें कि बांग्लादेश और पाकिस्तान का वित्तीय वर्ष प्रत्येक साल पहली जुलाई को शुरू होता है और अगले साल 30 जून को ख़त्म हो जाता है।
बारह साल में आगे निकल गया बांग्लादेश
14 अगस्त 1947 के दिन ब्रितानी साम्राज्य से आज़ादी के बाद पाकिस्तान के पश्चिमी और पूर्वी भाग ने आज़ादी का सफ़र एक साथ शुरू किया लेकिन दोनों हिस्सों के बीच अगले दस- बारह साल में सामाजिक और आर्थिक अंतर बहुत अधिक बढ़ गया। इस बारे में जी डब्ल्यू चौधरी अपनी पुस्तक ‘लास्ट डेज़ ऑफ़ यूनाइटेड पाकिस्तान’ में लिखते हैं कि 1960 में पश्चिमी पाकिस्तान की प्रति व्यक्ति आमदनी पूर्वी पाकिस्तान के लोगों की प्रति व्यक्ति आमदनी से 32 प्रतिशत अधिक थी और अगले दस साल में यह अंतर 81 प्रतिशत तक चला गया। जी डब्ल्यू चौधरी पाकिस्तान में जनरल याह्या ख़ान की सरकार में मंत्री हुआ करते थे। यह स्पष्ट रहे कि बांग्लादेश की आर्थिक विकास की दर लगातार बारह- तेरह वर्षों से 6 प्रतिशत से अधिक पर रह रही है। दूसरी और पाकिस्तान की आर्थिक विकास दर पिछले दस- बारह सालों में तीन से चार प्रतिशत के बीच ठहर चुकी है। इस समय बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था का आकार करीब 454 अरब डॉलर है। जबकि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का आकार 340 अरब डॉलर का है।
प्रति व्यक्ति आय में बांग्लादेश आगे
पाकिस्तान और बांग्लादेश में प्रति व्यक्ति आय में भी पिछले 52 साल में बहुत अंतर आया है। विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति आय 1972 में 90 डॉलर हुआ करती थी। जबकि इसकी तुलना में पाकिस्तान की प्रति व्यक्ति आय 150 डॉलर थी। जाहिर है बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति आय का ग्राफ़ लगातार ऊपर गया है। जबकि पाकिस्तान की प्रति व्यक्ति आय का ग्राफ़ इस दौरान ऊपर नीचे होता रहा है। पाकिस्तान के आर्थिक सर्वे के मुताबिक पिछले वित्तीय वर्ष के अंत में पाकिस्तानियों की प्रति व्यक्ति आय 1568 डॉलर रही। इसकी तुलना में बांग्लादेश के इकोनॉमिक रिव्यू के मुताबिक उसके नागरिकों की प्रति व्यक्ति आय 2687 डॉलर रही।
निर्यात के क्षेत्र में भी फिसड्डी रहा पाकिस्तान
विश्व बैंक के मुताबिक 1972 में बांग्लादेश का निर्यात 35 करोड़ डॉलर था। जबकि उस साल पाकिस्तान का निर्यात बांग्लादेश की तुलना में लगभग दोगुना यानी 67.5 करोड़ डॉलर हुआ करता था। पिछले 52 वर्षो में बांग्लादेश का निर्यात के क्षेत्र में प्रगति आश्चर्यजनक है। विशेष कर पिछले बीस साल में उसका विकास बहुत तेजी से हुआ है। बांग्लादेश का निर्यात पिछले वित्तीय वर्ष में वस्तु एवं सेवा के क्षेत्र में 64 अरब डॉलर रहा। जिनमें 55 अरब डॉलर वस्तु और 9 अरब डॉलर की सेवा निर्यात की गई है। इसकी तुलना में पाकिस्तान का पिछले वित्तीय वर्ष में कुल निर्यात 35 अरब डॉलर रहा। जिनमें 27 अरब डॉलर के वस्तु और 8 अरब डॉलर की सेवा का निर्यात रहा। पाकिस्तान और बांग्लादेश में ग़रीबी की दर की तुलना की जाए तो पिछले 52 साल में इसमें बदलाव देखा गया है। वर्ल्ड बैंक के मुताबिक बांग्लादेश में ग़रीबी की दर 2016 में 13.47 प्रतिशत थी और इसकी दर 2022 में 10.44 प्रतिशत तक गिर गई है। पाकिस्तान में पिछले वित्तीय वर्ष में ग़रीबी की दर 39.4 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है जबकि 2018 में पाकिस्तान में ग़रीबी की दर 22 प्रतिशत हुआ करती थी।
संभ्रत वर्ग का सोच बना बड़ा कारण
आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ और ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के शिक्षक रहे अदील मलिक ने मीडिया को बताया कि वर्तमान सदी में बांग्लादेश के विकास और पाकिस्तान के पीछे रह जाने की वजहों का जायज़ा लिया जाए तो इसमें जो सबसे बड़ी वजह नज़र आती है, वह दोनों देशों में मौजूद संभ्रांत वर्ग की सोच और दूरदृष्टि का अंतर है। बांग्लादेश का संभ्रांत वर्ग, राजनीति दल और बिज़नेस मैन देश में उद्योग को बढ़ावा देकर निर्यात को बढ़ाने पर लगभग सहमत है। दूसरी और पाकिस्तान में राजनीतिक दल, सैनिक और संभ्रांत वर्ग का पूरा फोकस रीयल इस्टेट पर है। पूर्व राष्ट्रपति और आर्मी चीफ़ परवेज़ मुशर्रफ़ के दौर में पाकिस्तान में अथाह विदेशी पैसा आया। लेकिन सारा रीयल इस्टेट की भेंट चढ़ गया। जबिक, इसी दौरान बांग्लादेश ने उत्पादन के क्षेत्र पर ध्यान दिया और पाकिस्तान से आगे निकल गया। पाकिस्तान में इस समय करीब 2.20 करोड़ बच्चे स्कूल नहीं जाते है। जबकि बांग्लादेश में ऐसे बच्चों की संख्या केवल 72 हज़ार के लगभग है। इसके अतिरिक्त बांग्लादेश में राजनीतिक स्थिरता है और शांति व्यवस्था की स्थिति बेहतर है। जिसकी वजह से बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था में विकास संभव हुआ है। दूसरी ओर पाकिस्तान लगातार तीन-चार दशकों से राजनीतिक अस्थिरता, आतंकवाद और शांति व्यवस्था की समस्याओं का शिकार बना हुआ है।