तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और द्रविड़ मुन्नेत्र कज़गम के प्रमुख करुणानिधि का निधन हो गया है। ग्यारह रोज तक चेन्नई के कावेरी अस्पताल में इलाज के बाद आज मंगलवार को उन्होंने अस्पताल में ही आखरी सांस ली। चिकित्सको के मुताबिक करुणानाधि के रक्तचाप में तेजी से गिरावट के बाद उन्हें उनके गोपालपुरम आवास से अस्पताल में भर्ती कराया गया था। करुणानिधि के निधन से देश की राजनीति को गहरा धक्का लगा है। सियासी गलियारों में मातम पसर गया है।
रराजनीति में करुणानिधि का अमूल्य योगदान
भारत की राजनीति में करुणानिधि और उनकी पार्टी का बहुमूल्य योगदान रहा है। करुणानिधि के निधन पर सभी पार्टी के नेताओं ने गहरा दुख जताया है। करुणनिधि के निधन की खबर फैलते ही उनके चाहने वालों और तमाम दलों के नेताओं की भीड़ उनके आवास पर जुटने लगी है। अस्पताल के बाहर हजारों की संख्या में गमगीन समर्थक अपने कद्दावर नेता की अंतिम झलक पाने के लिए टकटकी लगाए हुए हैं।
चुनाव जीतने का बनाया रिकार्ड
वह 94 वर्ष के थे। आज से 50 साल पहले उन्होंने 26 जुलाई को ही उन्होंने डीएमके की कमान अपने हाथ में ली थी। राजनीति में इतने लोकप्रिय हुए कि कभी भी चुनाव नहीं हारे। करुणानिधि के नाम अपनी सीट कभी नही हारने का रिकॉर्ड भी है। वह पांच बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और 12 बार विधानसभा सदस्य रहे और संसदीय राजनीति में हमेशा चुनाव जीतने का रिकार्ड भी उन्हीं के नाम पर है।
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