यूक्रेन आज भारत से मदद की गुहार लगा रहा है। जबकि, अन्तर्राष्ट्रीय मोर्चे पर यूक्रेन ने भारत का कभी साथ नहीं दिया। यूक्रेन हमेशा से भारत का विरोध करता रहा है। यूक्रेन ने भारत के परमाणु कार्यक्रम का विरोध किया। सुरक्षा परिषद में भारत के कदम की कड़ी निंदा कर चुका है। कश्मीर के मुद्दे पर युक्रेन मुखर विरोध करता रहा है। भारत में आतंकवाद के मुद्दे पर यूक्रेन हमेशा से पाकिस्तान की सुर में बोलता रहा है। भारत के खिलाफ पाकिस्तान को हथियार मुहैय्या करता है। ऐसे में बड़ा सवाल ये कि आज वह भारत से मदद की उम्मीद क्यों रखता है?
KKN न्यूज ब्यूरो। यूक्रेन हमेशा से भारत का मुखर विरोध करता रहा है। वर्ष 1998 में जब भारत ने परमाणु परीक्षण किया था तो यूक्रेन ने सुरक्षा परिषद में भारत का कड़ा विरोध किया था। यूक्रेन ने भारत से परमाणु कार्यक्रमों को रोकने की मांग कर चुका है। परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइलों के विकास और उत्पादन पर भी रोक लगाने की मांग की सुरक्षा परिषद में 25 देशो के साथ मिल कर यूक्रेन ने भारत के खिलाफ प्रस्ताव लाया था। यूक्रेन की अगुवाई में 25 देशो ने संयुक्त राष्ट्र के मंच से भारत के परमाणु कार्यक्रम को बन्द करने का प्रस्ताव लाया गया था। यूक्रेन ही वह देश है जिसने भारत पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाने और भारत को दुनिया से अलग-थलग कर देने की मांग की थी। इसलिए आज जब ये बात कही जा रही है कि भारत को यूक्रेन का समर्थन करना चाहिए, तब ये बात आपको याद रखनी चाहिए कि यूक्रेन ने भारत के साथ क्या किया था?
यूक्रेन ने कश्मीर के मुद्दे पर शुरू से भारत का विरोध करता रहा है। आतंकवाद के मुद्दे पर यूक्रेन की सरकार भारत को नसीहत देता है। जबकि, रूस ने हर मुश्किल वक्त में भारत का साथ दिया है। सुरक्षा परिषद में रूस ने भारत के लिए वीटो पावर का इस्तेमाल कर चुका है। वर्ष 1971 के भारत पाक युद्ध में पाकिस्तान की कहने पर जब अमेरिका ने अपना सातवां बेड़ा भारत के खिलाफ उतारा था। उस वक्त रूस ने ही उसको भारत पहुंचने से रोका था। भारत की सेना आज भी सर्वाधिक रूस का हथियार इस्तेमाल करती है। कश्मीर से लेकर आतंकवाद तक, करीब-करीब सभी मुद्दे पर रूस का सहयोग भारत को मिलता रहा है।
यूक्रेन, पिछले तीन दशकों से पाकिस्तान को हथियार बेचने वाला सबसे बड़ा देश है। पिछले 30 वर्षों में पाकिस्तान को यूक्रेन से 12 हजार करोड़ रुपये के हथियार मिल चुका है। आज पाकिस्तान के पास जो 400 टैंक हैं। गौर करने वाली बात ये है कि यह सभी टैंक यूक्रेन ने पाकिस्तान को बेचे है। इसके अतिरिक्त यूक्रेन इस समय पाकिस्तान को फाइटर जेट की टेक्नोलॉजी और स्पेस रिसर्च में भी मदद कर रहा है। यानी भविष्य में पाकिस्तान यदि स्पेस में विस्तार करता है, तो इसमें यूक्रेन की बड़ी भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता है।
सोचिए, जो देश, भारत विरोधी प्रस्ताव लाता है। पाकिस्तान का सबसे बड़ा हमदर्द है। यूक्रेन हमेशा पाकिस्तान का वफादार है। वह कभी नहीं चाहेगा कि पाकिस्तान किसी भी वजह से उससे हथियार खरीदने बन्द कर दे। क्या भारत को ये सबकुछ भूल कर यूक्रेन की मदद करना चाहिए? बेशक, यूक्रेन के नागरिकों के साथ सहानुभूति से इनकार नहीं है। क्योंकि, इस युद्ध में यूक्रेन के नागरिको की कोई गलती नहीं है। लेकिन, यह भी याद रखना चाहिए कि नाटो में शामिल होने की जिद ने आज यूक्रेन को युद्ध के मैदान में ला खड़ा किया है। जबकि, नाटो ने युद्ध में खुल कर यूक्रेन को साथ देने से हाथ खींच लिया है और मुश्किल वक्त में यूक्रेन को अकेला छोड़ दिया है। इसके लिए स्वयं यूक्रेन और वहां के राष्ट्रपति जलेंस्की जिम्मेदार है। हमे यूक्रेन का भारत विरोधी रुख याद रखना चाहिए। यूक्रेन एक ऐसा देश है, जिसने कभी भारत का साथ नहीं दिया।
This post was published on फ़रवरी 28, 2022 21:15
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