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ToggleKKN गुरुग्राम डेस्क | लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार की मेक इन इंडिया योजना पर कड़ी आलोचना की और भारत के उद्योग क्षेत्र की कमजोरी को देश की सुरक्षा और सामाजिक असंतुलन के लिए जिम्मेदार ठहराया। अपने भाषण में राहुल गांधी ने भारत की निर्माण प्रणाली को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि यदि भारत का उत्पादन क्षेत्र मजबूत होता, तो चीन जैसी ताकतों को भारत के क्षेत्रीय दावों पर हमला करने का साहस नहीं होता। इसके अलावा, उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के उपयोग को लेकर भी सरकार को चेतावनी दी और कहा कि AI का सही उपयोग भारत की आर्थिक स्थिति और सामाजिक समावेश को सशक्त बना सकता है।
चीन की आक्रामकता और भारत के कमजोर उत्पादन प्रणाली की आलोचना
राहुल गांधी ने अपने भाषण की शुरुआत चीन द्वारा भारतीय सीमा पर बढ़ती आक्रामकता के मुद्दे को उठाते हुए की। उन्होंने कहा कि चीन की आक्रामकता का कारण भारत की निर्माण क्षमता का कमजोर होना है। गांधी के अनुसार, चीन के पास एक बहुत मजबूत और बड़ा औद्योगिक तंत्र है, जिससे उसे भारत की सीमाओं में घुसने का आत्मविश्वास मिला है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस दावे पर सवाल उठाए कि भारत ने चीनी सैनिकों को अपनी सीमा में घुसने का मौका नहीं दिया, और इसके विपरीत भारतीय सेना के अधिकारी लगातार इस बात का खुलासा कर रहे हैं कि चीनी सैनिक भारत की सीमा में घुस चुके हैं।
राहुल गांधी ने कहा, “चीन के पास इतना आत्मविश्वास है कि वह हमारे देश के अंदर घुसने की हिम्मत रखता है क्योंकि उनका औद्योगिक तंत्र हमारे से कहीं मजबूत और बड़ा है। यही कारण है कि चीन हमारे देश के अंदर बैठा है।” गांधी ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का मेक इन इंडिया योजना एक अच्छा विचार था, लेकिन यह पूरी तरह से विफल साबित हुई है।
मेक इन इंडिया: एक विफल योजना
राहुल गांधी ने अपने भाषण में मेक इन इंडिया योजना की आलोचना की और कहा कि इस योजना के बावजूद भारत की निर्माण क्षेत्र का योगदान GDP में लगातार घटता जा रहा है। उन्होंने कहा कि 2014 में भारत की निर्माण क्षमता का हिस्सा 15.3% था, जो अब घटकर 12.6% रह गया है, जो पिछले 60 वर्षों में सबसे कम है। गांधी ने यह स्वीकार किया कि प्रधानमंत्री मोदी ने इस योजना पर काम किया, लेकिन यह साफ है कि मेक इन इंडिया योजना अपेक्षित परिणाम देने में विफल रही है।
गांधी ने कहा, “हमारे पास बहुत अच्छे कंपनियां हैं जैसे महिंद्रा, बजाज और टाटा, जो उत्पादन को व्यवस्थित करने का प्रयास कर रही हैं, लेकिन हमारे देश का उत्पादन व्यवस्था बहुत ही दयनीय है। और इसने हमें चीन के हाथों में उत्पादन व्यवस्था सौंपने पर मजबूर कर दिया है।”
उत्पादन और सामाजिक समावेश पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता
राहुल गांधी ने अपने भाषण में इस बात पर जोर दिया कि यदि भारत को सामाजिक अशांति से बचना है और बेहतर रोजगार के अवसर उत्पन्न करने हैं, तो उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि यदि हम केवल उपभोग पर ध्यान देंगे, तो इससे आर्थिक घाटा, आर्थिक विषमता और बेरोजगारी जैसी समस्याएं बढ़ेंगी, जो पहले से ही एक गंभीर चुनौती बन चुकी हैं।
गांधी ने कहा, “अगर हम सिर्फ उपभोग पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो हम भारी घाटे में जाएंगे, असमानता बढ़ेगी और बेरोजगारी की गंभीर समस्या का सामना करेंगे।”
AI और सामाजिक क्रांति: एक नया दृष्टिकोण
राहुल गांधी ने आगे कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल केवल उत्पादन को बढ़ाने के लिए ही नहीं, बल्कि सामाजिक समावेश और समानता सुनिश्चित करने के लिए किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगर हम जाति जनगणना के डेटा को AI के माध्यम से चलाएं, तो हम दलितों, ओबीसी, और आदिवासियों को समान अधिकार और समान अवसर दे सकते हैं। गांधी ने कहा कि इस डेटा का इस्तेमाल करके हम भारत में सामाजिक क्रांति लाने में सक्षम होंगे।
उन्होंने कहा, “कल कल्पना करें कि अगर हम AI का इस्तेमाल जाति जनगणना के डेटा पर करें, तो हम न केवल चीन को चुनौती दे सकते हैं, बल्कि हम बैटरियों, सौर पैनल और इलेक्ट्रिक मोटर्स जैसी तकनीकी क्रांति में भी चीन को पीछे छोड़ सकते हैं।”
अमेरिका के साथ भारत के संबंध और उत्पादन प्रणाली की सुदृढ़ता
राहुल गांधी ने भारत की संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ साझेदारी को लेकर भी विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच सामरिक संबंध को मजबूत करते हुए, भारत को एक मजबूत उद्योग तंत्र बनाने की दिशा में काम करना चाहिए। गांधी ने कहा, “भारत उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि अमेरिका, क्योंकि अमेरिका अपना औद्योगिक तंत्र भारत के बिना नहीं बना सकता। उनका लागत संरचना हमारी तुलना में कहीं अधिक महंगा है। हम वह चीजें बना सकते हैं जो अमेरिका कभी कल्पना भी नहीं कर सकता। भारत यह कर सकता है।”
उन्होंने कहा कि भारत के पास जो उत्पादन प्रणाली है, वह मेक इन इंडिया योजना से कहीं बेहतर हो सकती है, यदि हम AI और तकनीकी सहयोग पर ध्यान दें। “यदि हमारे पास एक मजबूत उत्पादन प्रणाली होती और हम इन तकनीकों पर काम कर रहे होते, तो अमेरिकी राष्ट्रपति हमारे प्रधानमंत्री को आमंत्रित करने के लिए यहां आते,” राहुल गांधी ने कहा।
महाराष्ट्र चुनावों पर सवाल और निर्वाचन प्रक्रिया की आलोचना
राहुल गांधी ने महाराष्ट्र चुनावों पर भी चिंता व्यक्त की और आरोप लगाया कि चुनावी सूची में 70 लाख नए मतदाता जोड़े गए हैं, जो कि एक गंभीर प्रश्न उठाता है। गांधी ने निर्वाचन आयोग से इस मामले की पूरी जानकारी साझा करने की मांग की। उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग को यह आंकड़े सार्वजनिक करने चाहिए कि महाराष्ट्र में विधानसभा और लोकसभा चुनावों के दौरान किस तरह से 70 लाख नए मतदाता जोड़े गए।”
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि निर्वाचन आयुक्त के चयन में प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और मुख्य न्यायाधीश को मिलाकर एक समिति बनाई जाती थी, लेकिन मुख्य न्यायाधीश को इस प्रक्रिया से हटा दिया गया। गांधी ने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के लिए खतरा बताया।
राहुल गांधी का भाषण भारत के वर्तमान आर्थिक और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य पर गहरी टिप्पणी करता है, जिसमें मेक इन इंडिया की विफलता, बेरोजगारी की चुनौती, और सामाजिक समावेश की आवश्यकता को प्रमुख रूप से उठाया गया। उन्होंने AI-आधारित सुधारों, उद्योग तंत्र को सशक्त बनाने और मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन स्थापित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। इसके अलावा, उन्होंने संविधान, जाति जनगणना और निर्वाचन प्रक्रिया के संदर्भ में अपने विचार व्यक्त किए, जो भारत के भविष्य के विकास के लिए अहम हो सकते हैं।
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