प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 जुलाई 2025 को मालदीव की राजधानी माले में कदम रखा, जो भारत और मालदीव के बीच रिश्तों को नई दिशा देने के रूप में देखा जा रहा है। यह दौरा दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे कूटनीतिक और आर्थिक सहयोग को और मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम साबित हो सकता है। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने इस अवसर पर कहा कि भारत और मालदीव के रिश्ते समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं और यह यात्रा रिश्तों को और भी प्रगाढ़ करने के लिए महत्वपूर्ण है।
Article Contents
मालदीव में हाल ही में उत्पन्न तनाव पर प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री मोदी की मालदीव यात्रा के संदर्भ में विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने हाल ही में एक सवाल का जवाब दिया। सवाल मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू के करीबी रिश्तेदार और धार्मिक संगठन सलफ़ जमीअत के अध्यक्ष अब्दुल्लाह बिन मोहम्मद इब्राहिम द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर की गई एक कथित टिप्पणी के बारे में था। इस टिप्पणी में प्रधानमंत्री मोदी को मुस्लिम विरोधी बताया गया था, हालांकि बाद में इसे डिलीट कर दिया गया।
विक्रम मिसरी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत और मालदीव ने पहले भी ऐसी टिप्पणियों को नज़रअंदाज किया है। उनका कहना था कि भारत और मालदीव के रिश्ते इस समय जिस मुकाम पर हैं, वह खासकर राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू की भारत यात्रा के बाद बहुत बेहतर हुए हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि भविष्य में भारत और मालदीव के रिश्तों में और सुधार होगा।
भारत-मालदीव के रिश्तों में बिगाड़ और सुधार की कहानी
भारत और मालदीव के रिश्तों में कुछ समय पहले तक तनाव था। मुइज़्ज़ू के सत्ता में आने के बाद से मालदीव के चीन समर्थक रुख ने भारत के साथ रिश्तों को प्रभावित किया था। 2023 में जब मुइज़्ज़ू ने “इंडिया आउट” अभियान का समर्थन किया, तो इससे भारत और मालदीव के रिश्तों में खटास आ गई थी। इस अभियान का उद्देश्य मालदीव से भारतीय सेना के जवानों को बाहर करना था, और इसके बाद कुछ मंत्रियों ने प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना करते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट किए थे।
इसके परिणामस्वरूप भारतीय पर्यटकों ने मालदीव का बहिष्कार करने की अपील की थी, जो कि मालदीव की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा झटका था। हालांकि, मालदीव की आर्थिक स्थिति में आ रही समस्याओं ने उसे भारत से रिश्ते सुधारने की आवश्यकता का एहसास कराया।
मालदीव की आर्थिक स्थिति और भारत से समर्थन
मालदीव की आर्थिक स्थिति लगातार चुनौतीपूर्ण बनी रही, खासकर भारत से संबंधों में खटास के बाद। भारत ने मालदीव की मदद के लिए कई कदम उठाए। भारत ने मालदीव के कर्ज की अदायगी की शर्तों को आसान किया और इसे सालाना पांच करोड़ डॉलर से घटाकर 2.9 करोड़ डॉलर कर दिया, जिससे मालदीव को आर्थिक राहत मिली। इसके अलावा, भारत ने मालदीव को आर्थिक सहायता देने के लिए 4850 करोड़ रुपये का कर्ज देने की पेशकश की।
भारत और मालदीव के संबंधों में सुधार की दिशा में प्रधानमंत्री मोदी का प्रयास
प्रधानमंत्री मोदी का मालदीव दौरा दोनों देशों के रिश्तों में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। 2024 तक दोनों देशों के बीच रिश्तों में जो खटास थी, उसे पार कर मालदीव ने भारत के साथ फिर से राजनयिक संवाद शुरू किया। मुइज़्ज़ू ने 2024 के अंत में भारत का दौरा किया, जिसके बाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूती देने की दिशा में कई अहम समझौतों पर चर्चा हुई।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर कहा, “भारत और मालदीव के संबंध इतिहास से भी पुराने हैं और समंदर जितने गहरे हैं। भारत, मालदीव का सबसे निकटतम पड़ोसी है। मालदीव, भारत की ‘पड़ोसी पहले’ नीति और ‘विज़न महासागर’ दोनों में अहम स्थान रखता है। भारत को गर्व है कि वह मालदीव का सबसे भरोसेमंद दोस्त है।” इस बयान ने भारत और मालदीव के रिश्तों में एक नई गर्माहट का संकेत दिया है।
समझौतों की एक नई लहर
प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान, दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। भारत ने मालदीव को 4850 करोड़ रुपये का कर्ज देने का प्रस्ताव दिया और दोनों देशों के बीच एक फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया शुरू की। इन समझौतों के जरिए, दोनों देशों के बीच आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को और मजबूत किया जाएगा।
इसके अलावा, भारत ने मालदीव के लिए एक नई पहल शुरू की, जिसमें भारतीय यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) को मालदीव में लॉन्च किया जाएगा। यह कदम दोनों देशों के बीच डिजिटल भुगतान और ट्रांजैक्शन को और आसान बनाएगा, खासकर उन भारतीय पर्यटकों के लिए जो मालदीव यात्रा करते हैं।
भारत और मालदीव के लिए सामरिक महत्व
मालदीव का सामरिक महत्व भी भारत के लिए बहुत बड़ा है। हिंद महासागर में स्थित होने के कारण, मालदीव वैश्विक व्यापार के प्रमुख समुद्री रास्तों पर स्थित है। इन समुद्री मार्गों से ही भारत को ऊर्जा आपूर्ति होती है। यह भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है कि मालदीव के साथ अच्छे रिश्ते बने रहें, खासकर जब चीन का प्रभाव इस क्षेत्र में बढ़ रहा है।
मालदीव की स्थिति और भारत के लिए इसका रणनीतिक महत्व
मालदीव छोटे-छोटे द्वीपों का समूह है और इसकी कुल आबादी 5.21 लाख है। लेकिन इसके सामरिक महत्व के कारण भारत के लिए यह एक महत्वपूर्ण पड़ोसी है। मालदीव में भारतीय पर्यटकों की बड़ी संख्या और रणनीतिक स्थान इसे भारत के लिए बेहद अहम बनाता है। इस लिहाज से, दोनों देशों के बीच संबंधों में स्थिरता और सहयोग भारत के लिए जरूरी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मालदीव यात्रा के दौरान दोनों देशों के रिश्तों में सुधार के संकेत मिले हैं। भारत और मालदीव के बीच कई अहम समझौतों और सहयोग की शुरुआत हुई है, जो भविष्य में दोनों देशों के बीच सामरिक, आर्थिक और राजनीतिक रिश्तों को और मजबूत करेंगे।
भारत और मालदीव के बीच संबंधों का भविष्य अब और भी उज्जवल नजर आ रहा है। दोनों देशों ने अपने साझा हितों को ध्यान में रखते हुए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इन रिश्तों में और भी प्रगति की उम्मीद जताई जा रही है, जिससे दोनों देशों के नागरिकों को लाभ होगा।
Read this article in
KKN लाइव WhatsApp पर भी उपलब्ध है, खबरों की खबर के लिए यहां क्लिक करके आप हमारे चैनल को सब्सक्राइब कर सकते हैं।
Share this:
- Click to share on Facebook (Opens in new window) Facebook
- Click to share on X (Opens in new window) X
- More
- Click to share on LinkedIn (Opens in new window) LinkedIn
- Click to share on Tumblr (Opens in new window) Tumblr
- Click to share on Pinterest (Opens in new window) Pinterest
- Click to share on Telegram (Opens in new window) Telegram
- Click to share on Threads (Opens in new window) Threads
- Click to share on WhatsApp (Opens in new window) WhatsApp
Related
Discover more from KKN Live
Subscribe to get the latest posts sent to your email.