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डोनाल्ड ट्रंप ने 47वें अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली: वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती ताकत की झलक

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  गुरुग्राम डेस्क | डोनाल्ड ट्रंप ने संयुक्त राज्य अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण कर एक नई शुरुआत की है। इस ऐतिहासिक शपथ ग्रहण समारोह में दुनियाभर के कई दिग्गज नेता शामिल हुए। भारत की ओर से विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस समारोह में हिस्सा लिया, जहां उनकी उपस्थिति ने वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती ताकत और महत्व को दर्शाया।

डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण में भारत का प्रभावशाली प्रतिनिधित्व

अमेरिकी राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण जैसे उच्च-प्रोफ़ाइल कार्यक्रम में, भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर को पहली पंक्ति में स्थान दिया गया। उनके साथ इक्वाडोर के राष्ट्रपति डेनियल नोबोआ भी मौजूद थे। यह प्रोटोकॉल भारत की अंतरराष्ट्रीय राजनीति में बढ़ती ताकत को दर्शाता है।
इसके विपरीत, जापान के विदेश मंत्री ताकेशी इवाया को पीछे की पंक्ति में बैठाया गया, जिसने भारत के महत्व और कूटनीतिक स्थान को और अधिक रेखांकित किया।

जयशंकर की पहली पंक्ति में उपस्थिति ने न केवल अमेरिका और भारत के बीच मजबूत संबंधों का संकेत दिया, बल्कि यह भी दिखाया कि भारत वैश्विक राजनीति में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रंप को दी बधाई

डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर उन्हें बधाई दी। उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा:
“मेरे प्रिय मित्र डोनाल्ड ट्रंप को 47वें अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण पर बधाई। मैं एक बार फिर साथ मिलकर काम करने, दोनों देशों को लाभ पहुंचाने और दुनिया के बेहतर भविष्य को आकार देने के लिए उत्सुक हूं। आपके आगामी कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं।”

यह संदेश न केवल मोदी और ट्रंप के बीच व्यक्तिगत संबंधों को दर्शाता है, बल्कि भारत-अमेरिका संबंधों के मजबूत और स्थिर होने का भी संकेत देता है।

वाशिंगटन में भारत-जापान द्विपक्षीय वार्ता

अपने वाशिंगटन दौरे के दौरान, एस जयशंकर ने जापान के विदेश मंत्री ताकेशी इवाया से मुलाकात की। इस बैठक का उद्देश्य भारत और जापान के बीच तकनीक, व्यापार और सुरक्षा के क्षेत्रों में सहयोग को और मजबूत करना था।

बैठक की मुख्य बातें:

  1. भारत-जापान विज्ञान और प्रौद्योगिकी वर्ष -26:
    दोनों मंत्रियों ने 2025-26 को “भारत-जापान विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार का वर्ष” घोषित किया। यह पहल अनुसंधान और नवाचार में साझेदारी को गहरा करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
  2. आर्थिक संबंधों को मजबूत करना:
    बैठक के दौरान व्यापारिक संबंधों को बेहतर बनाने और तकनीकी हस्तांतरण और संयुक्त आर्थिक परियोजनाओं पर चर्चा हुई।
  3. क्षेत्रीय स्थिरता के लिए प्रतिबद्धता:
    दोनों देशों ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के अपने साझा लक्ष्यों को दोहराया।

इस बैठक के दौरान एस जयशंकर ने जापानी विदेश मंत्री को भारत आने का निमंत्रण भी दिया। इससे दोनों देशों के बीच उच्च-स्तरीय संवाद और सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।

भारत-जापान संबंध: स्थायी मित्रता की ओर

जयशंकर और इवाया के बीच हुई बातचीत ने भारत और जापान के बीच लंबे समय से चले आ रहे मित्रतापूर्ण संबंधों को और मजबूत किया। इस बातचीत के महत्वपूर्ण बिंदु निम्नलिखित हैं:

  • सुरक्षा सहयोग:
    इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में उभरते खतरों, जैसे समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद का सामना करने के लिए दोनों देशों ने मिलकर काम करने पर जोर दिया।
  • तकनीकी साझेदारी:
    आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स और नवीकरणीय ऊर्जा में सहयोग के माध्यम से दोनों देशों ने एक स्थायी भविष्य की दिशा में कदम बढ़ाने का संकल्प लिया।
  • जनता से जनता का संपर्क:
    सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देकर दोनों देशों ने आपसी समझ और सहयोग को गहरा करने की दिशा में काम किया।

यह बैठक दोनों देशों के बीच साझा मूल्यों और स्थिरता की प्रतिबद्धता पर आधारित थी।

वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती ताकत

डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में एस जयशंकर की उपस्थिति भारत की बढ़ती कूटनीतिक ताकत का स्पष्ट संकेत है। यह कई पहलुओं को उजागर करता है:

  1. भारत-अमेरिका संबंधों में मजबूती:
    भारत और अमेरिका के बीच पिछले कुछ वर्षों में व्यापार, रक्षा और तकनीक के क्षेत्रों में गहरा सहयोग हुआ है। जयशंकर की इस समारोह में उपस्थिति ने इस रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत किया।
  2. अंतरराष्ट्रीय नेतृत्व में भारत की पहचान:
    वैश्विक नेताओं के साथ पहली पंक्ति में एस जयशंकर की मौजूदगी इस बात का प्रमाण है कि भारत आज की दुनिया में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
  3. वैश्विक नीतियों को आकार देने में योगदान:
    भारत जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य और तकनीकी नवाचार जैसे वैश्विक मुद्दों पर सक्रिय भूमिका निभा रहा है। यह उसके कूटनीतिक कौशल और नेतृत्व क्षमता का परिचायक है।

प्रधानमंत्री मोदी का दृष्टिकोण: भारत-अमेरिका साझेदारी

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा डोनाल्ड ट्रंप को दी गई बधाई भारत-अमेरिका संबंधों के भविष्य की दिशा को दर्शाती है। इन संबंधों के कुछ प्रमुख क्षेत्र इस प्रकार हैं:

  • व्यापार और निवेश:
    दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देना और तकनीक, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों में निवेश के अवसर पैदा करना।
  • रक्षा सहयोग:
    सैन्य अभ्यास और उन्नत तकनीकों के आदान-प्रदान पर ध्यान केंद्रित करते हुए रक्षा संबंधों को और मजबूत करना।
  • वैश्विक नेतृत्व:
    आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा सुरक्षा जैसे वैश्विक मुद्दों पर मिलकर काम करना।

डोनाल्ड ट्रंप का राष्ट्रपति कार्यकाल: वैश्विक राजनीति पर प्रभाव

डोनाल्ड ट्रंप के फिर से व्हाइट हाउस में लौटने का वैश्विक राजनीति पर बड़ा असर होगा। उनके “अमेरिका फर्स्ट” नीतियों के तहत, कुछ मुख्य बिंदु जो देखने को मिल सकते हैं:

  • व्यापार समझौतों की पुनः समीक्षा:
    ट्रंप की सरकार निष्पक्ष व्यापार नीतियों पर जोर देते हुए अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौतों पर फिर से विचार कर सकती है।
  • सुरक्षा पर ध्यान:
    अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा खतरों, विशेष रूप से साइबर सुरक्षा और आतंकवाद, को प्राथमिकता दी जा सकती है।
  • राजनयिक संबंधों को मजबूत करना:
    अपने सहयोगियों के साथ साझेदारी को मजबूत करते हुए उभरते शक्तिशाली देशों जैसे भारत के साथ रिश्तों को नया रूप देना।

डोनाल्ड ट्रंप का 47वें अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण केवल अमेरिका के लिए ऐतिहासिक नहीं है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय संबंधों के बदलते समीकरण का भी प्रतीक है। एस जयशंकर की इस समारोह में उपस्थिति और उनकी सक्रिय कूटनीति भारत के उभरते नेतृत्व और प्रभाव को दर्शाती है।

भारत की भूमिका अब केवल एक भागीदार की नहीं है, बल्कि वह वैश्विक मंच पर एक निर्णायक खिलाड़ी बन गया है। भारत-अमेरिका और भारत-जापान जैसे संबंध यह सुनिश्चित करते हैं कि आने वाले वर्षों में भारत वैश्विक नीतियों और साझेदारियों को आकार देने में अग्रणी रहेगा।


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