अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की संभावित टैरिफ नीति को लेकर दुनिया भर के बाजारों में हड़कंप मच गया है। खबरों के मुताबिक, ट्रम्प सोमवार को लगभग 12 देशों पर भारी-भरकम आयात शुल्क (टैरिफ) लगाने की घोषणा कर सकते हैं। इसका सीधा असर एशियाई शेयर बाजारों पर पड़ा है, और भारतीय बाजार से भी 1421 करोड़ रुपये की विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) की भारी बिकवाली दर्ज की गई है।
ट्रम्प के इस संभावित निर्णय ने दुनिया भर में एक नए व्यापार युद्ध (Trade War 2.0) की आशंका को जन्म दे दिया है।
किन देशों पर लग सकते हैं टैरिफ?
खबरों के अनुसार, ट्रम्प प्रशासन चीन, भारत, वियतनाम, जापान, जर्मनी, मैक्सिको, थाईलैंड, बांग्लादेश, मलेशिया, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया और ताइवान जैसे देशों पर 10% से लेकर 60% तक के नए आयात शुल्क लगाने पर विचार कर रहा है।
यह कदम उन देशों के खिलाफ है जिन्हें अमेरिका अपने व्यापार घाटे के लिए जिम्मेदार मानता है। अगर ट्रम्प दोबारा राष्ट्रपति बने, तो यह उनकी पिछली नीतियों की तरह एक बार फिर वैश्विक व्यापार प्रणाली को झटका दे सकता है।
एशियाई बाजारों में गिरावट
ट्रम्प की इस धमकी का असर एशियाई शेयर बाजारों में साफ देखा गया:
-
जापान का निक्केई 225,
-
हांगकांग का हैंग सेंग,
-
दक्षिण कोरिया का KOSPI
सभी प्रमुख सूचकांक गिरावट के साथ खुले।
भारत का भी सेंसेक्स 511 अंक और निफ्टी 146 अंक गिरकर बंद हुआ। इसके अलावा रुपया भी अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 18 पैसे कमजोर हुआ।
विदेशी निवेशकों की बिकवाली: जून की तेजी पर ब्रेक
अवधि | FPI निवेश (₹ करोड़ में) |
---|---|
जून 2025 | +25,131 |
7 जुलाई 2025 | –1,421 |
जहां जून महीने में विदेशी निवेशकों ने भारी मात्रा में भारतीय बाजार में पूंजी लगाई थी, वहीं जुलाई की शुरुआत में ही FPI निवेशकों ने भारी बिकवाली शुरू कर दी है। बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, यह बदलाव वैश्विक व्यापार जोखिमों के चलते हुआ है।
कौन-कौन से सेक्टर होंगे प्रभावित?
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रम्प की टैरिफ नीति का सबसे अधिक प्रभाव निर्यात आधारित क्षेत्रों (Export-Oriented Sectors) पर पड़ेगा:
प्रमुख जोखिम वाले क्षेत्र:
-
टेक्सटाइल और परिधान: भारत का अमेरिका को बड़ा निर्यात है।
-
फार्मास्युटिकल्स: जेनेरिक दवाओं पर अमेरिकी प्रतिबंध संभव।
-
आईटी सेवाएं: आउटसोर्सिंग नीतियों में सख्ती आ सकती है।
इसके अलावा, मेक इन इंडिया पहल और भारत की वैश्विक विनिर्माण हब बनने की योजना पर भी असर पड़ सकता है।
घरेलू निवेशकों पर असर
ट्रम्प की खबर से भारतीय शेयर बाजार में सोमवार को भारी गिरावट देखने को मिली:
-
सेंसेक्स: 511 अंक गिरा
-
निफ्टी: 146 अंक नीचे
-
रुपया: 18 पैसे कमजोर
ऑटोमोबाइल, FMCG और बैंकिंग सेक्टर में सबसे ज्यादा दबाव देखा गया। निवेशक अब सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की नीति पर नजर बनाए हुए हैं।
वैश्विक व्यापार युद्ध की आहट
ट्रम्प की संभावित टैरिफ नीति से वैश्विक स्तर पर कई गंभीर नतीजे हो सकते हैं:
-
प्रतिशोधात्मक शुल्क (Retaliatory Tariffs)
-
वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बाधा
-
विश्व व्यापार संगठन (WTO) पर दबाव
-
कंपनियों की वैश्विक रणनीति में बदलाव
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम दुनिया की अर्थव्यवस्था में अस्थिरता को और बढ़ा सकता है, खासकर ऐसे समय में जब दुनिया पहले ही जलवायु परिवर्तन, युद्ध और मंदी जैसे संकटों से जूझ रही है।
विशेषज्ञों की राय
“भारत को निर्यात बाजारों में विविधता लानी होगी”
“अमेरिका और यूरोपीय बाजारों पर निर्भरता को कम करना होगा और एशिया, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका जैसे क्षेत्रों में निर्यात बढ़ाना चाहिए,” – अंजलि मेहरा, वरिष्ठ अर्थशास्त्री, CII
“नीतिगत सहायता की ज़रूरत”
“सरकार को FPI बिकवाली को रोकने के लिए टैक्स राहत, व्यापारिक प्रोत्साहन जैसी नीतियां लानी चाहिए,” – विवेक शर्मा, वित्तीय विश्लेषक
डोनाल्ड ट्रम्प के संभावित टैरिफ बम ने दुनिया भर के वित्तीय बाजारों को हिला दिया है। भारत में इसका पहला असर 1421 करोड़ रुपये की FPI बिकवाली और शेयर बाजार में गिरावट के रूप में दिखा। अगर यह रुझान जारी रहा, तो सरकार और निवेशकों—दोनों के लिए नीतिगत और रणनीतिक तैयारियां जरूरी होंगी।
आने वाले हफ्तों में वैश्विक घटनाक्रम तेजी से बदल सकते हैं, और भारत को गंभीर आर्थिक कूटनीति और घरेलू स्थिरता दोनों पर ध्यान देना होगा।
देश-विदेश की आर्थिक खबरों, बाजार विश्लेषण और व्यापार अपडेट के लिए जुड़े रहें KKNLive.com के साथ।
Discover more from
Subscribe to get the latest posts sent to your email.