अंजुमन की इस रहस्यमयी यात्रा में आपका स्वागत है। एक सुनसान महल, सौ दरवाज़े, लेकिन एक ऐसा दरवाज़ा जिसे कोई नहीं खोलता… क्योंकि कहा जाता है, जो उसे खोलेगा… उसका अंत निश्चित है! लेकिन क्या ये दरवाज़ा सचमुच अभिशप्त था? या यह बस डर, भ्रम और अहंकार का प्रतीक था? ईशान नामक एक अजनबी सन्यासी जब उस दरवाज़े को खोलने निकला, तो उसने क्या पाया? इस कहानी में एक ऐसी रहस्य की परतें खुलती हैं, जो आत्मा के भीतर के द्वार की ओर ले जाती हैं – जहां दर्शन, ध्यान और आत्मबोध की दिव्यता छुपी है। ओशो के जीवन-दर्शन से जुड़ी यह कथा सिर्फ कहानी नहीं, एक आंतरिक यात्रा है। आइए, इस अनकही सच्चाई को समझें… जो आपकी आत्मा को छू सकती है।
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