बचपन के हेमा की किशोरावस्था में कदम रखने से पहले ही लता मंगेशकर बनने की कहानी बड़ा ही दिलचस्प है। लता मंगेशकर के गायकी की इस हुनर को सबसे पहले पहचाना उस्ताद गुलाम हैदर साहेब ने। कहतें हैं कि मात्र ग्यारह साल की लता मंगेशकर को सुरो में गुनगुनाते हुए सुन कर उस्ताद गुलाम हैदर साहेब इतने सम्मोहित हो गए कि उन्होंने एक रोज लता को बुलाया और उसको अपने साथ लेकर फिल्म निर्माता एस. मुखर्जी के पास पहुंच गए। एस. मुखर्जी को लता की आवाज पसंद नहीं आई और उन्होंने लता को अपनी फिल्म में लेने से इंकार कर दिया। कहतें है कि 60 की दशक में मराठी फिल्मो में एक म्यूजिक डायरेक्टर आनंदघन का नाम तेजी से उभरा था। करीब चार मराठी फिल्मो के लिए आनंदघन ने संगीत का निर्देशन किया। इसमें से एक मराठी फ़िल्म को सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशन का पुरस्कार भी मिला था। कहतें है कि आनंदघन और लता मंगेशकर के बीच बड़ा ही दिलचस्प रिश्ता था। यह रिश्ता क्या था? देखिए, इस रिपोर्ट में…
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