बिहार में पंचायत चुनाव पूरे सबाब पर है। कर्तव्य परायण, इमानदार और स्वच्छ छवि वालों की आवाजाही से गांव की गलियां गुलजार है। विकास अपने नए तलेवर के साथ चौपाल में चर्चा बटोर रही है। गांव में समाज सेवा करने वालों की इतनी बड़ी टोली को देख कर यकीन हो गया है कि अब सभी कुछ ठीक ही होगा। गांव का नए सिरे से कायाकल्प होगा और समाजिक समरसता फिर से बहाल हो जायेगा। दरअसल, भारतीय समाज की गौरवशाली परंपरा रही है। इस परंपरा में पंचायत की भूमिका के प्रचीन इतिहास से किसी को इनकार नहीं है। गुलामी की दौर में कई बार हमारे इस प्रचीन परंपरा को नुकसान पहुंचाया गया। सवाल उठता है कि ऐसा किसने, कब और क्यों किया। देखिए, इस रिपोर्ट में…
This post was published on नवम्बर 5, 2021 17:00
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