KKN गुरुग्राम डेस्क | अयोध्या में राम मंदिर निर्माण कार्य तेज़ी से अपने अंतिम चरण में पहुँचता जा रहा है। सोमवार, 14 अप्रैल 2025 को, राम मंदिर के मुख्य शिखर पर विधि-विधान के साथ कलश की स्थापना की गई। यह कार्य मंदिर निर्माण में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है। इस पवित्र कलश स्थापना के साथ ही मंदिर की संरचनात्मक ऊँचाई का कार्य लगभग पूर्ण हो गया है। अब अगला चरण ध्वजदंड (Flagpole) की स्थापना का होगा।
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वैदिक रीति-रिवाजों के साथ हुआ कलश पूजन
कलश की स्थापना से पहले सुबह 9:15 बजे से लेकर 10:30 बजे तक मंदिर के मुख्य शिखर पर ब्राह्मणों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण और विधिवत पूजा-अर्चना की गई। यह शुभ अवसर बैसाखी पर्व और डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती जैसे पावन दिन पर हुआ, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ गया।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने जानकारी दी कि कलश स्थापना के बाद अब ध्वजदंड की स्थापना की तैयारी शुरू हो गई है। इसके साथ ही निर्माण कार्य में प्रयुक्त भारी मशीनों को भी हटाया जाने लगा है, जो यह दर्शाता है कि मंदिर का निर्माण कार्य अब समापन की ओर बढ़ रहा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दी शुभकामनाएं
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राम मंदिर के शिखर पर कलश स्थापना को “देश की आस्था और संस्कृति का प्रतीक” बताया। उन्होंने कहा कि यह कार्य भारत की सनातन परंपरा और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक है।
मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि अयोध्या को विश्व स्तरीय आध्यात्मिक और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसके लिए सड़क, रेल और हवाई संपर्क का विस्तार हो रहा है, जिससे करोड़ों श्रद्धालुओं को सुविधाएं मिलेंगी।
निर्माण कार्य में तेजी, सुरक्षा दीवार और जनसुविधाओं पर भी ध्यान
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने जानकारी दी कि मंदिर परिसर की सुरक्षा के लिए चार किलोमीटर लंबी सुरक्षा दीवार (Security Wall) का निर्माण किया जाएगा। यह कार्य इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड (EIL) के तहत होगा। मिट्टी की गुणवत्ता जांच के बाद दीवार निर्माण शुरू किया जाएगा।
सुरक्षा दीवार की ऊंचाई, मोटाई और डिजाइन पहले से तय कर ली गई है। यह दीवार राम मंदिर को किसी भी बाहरी हस्तक्षेप से सुरक्षित रखने के उद्देश्य से बनाई जा रही है।
इसके अलावा यात्रियों की सुविधा के लिए एक बड़ा पैसेंजर फैसिलिटी सेंटर भी बनाया जा रहा है। मंदिर परिसर में 10 एकड़ ज़मीन पर 62 काउंटरों वाला स्टोरेज एरिया विकसित किया जाएगा, जिससे तीर्थयात्रियों को सुविधाजनक व्यवस्था मिल सके।
कुबेर टीला और ध्यान स्थल के बीच होगा नया संपर्क
मंदिर परिसर में स्थित कुबेर टीला और ध्यान स्थल के बीच एक नया संपर्क मार्ग भी तैयार किया जा रहा है। इससे मंदिर में आने वाले श्रद्धालु एक दिव्य अनुभव प्राप्त कर सकेंगे और पूरे परिसर को एक आध्यात्मिक यात्रा के रूप में देख सकेंगे।
सप्त मंडल मंदिरों की मूर्तियां स्थापित
राम मंदिर परिसर में बनने वाले सप्त मंडल मंदिरों की सभी मूर्तियाँ अब अयोध्या पहुँच चुकी हैं। ये मूर्तियाँ जयपुर से लाई गई हैं और उन्हें संबंधित मंदिरों में स्थापित किया जा चुका है। मूर्तियों की स्थापना के बाद अब अगला चरण मंदिर की सजावट और आंतरिक निर्माण कार्य का होगा।
अक्षय तृतीया पर राम दरबार की स्थापना
मंदिर ट्रस्ट के अनुसार, अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर राम दरबार की स्थापना की जाएगी। रामलला के साथ माता सीता, लक्ष्मण, हनुमान और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियों को गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा। यह दिन धार्मिक रूप से अत्यंत शुभ माना जाता है और उसी दिन मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा भी संभव है।
कलश स्थापना का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
हिंदू वास्तुशास्त्र और मंदिर निर्माण की परंपरा में शिखर पर कलश की स्थापना अत्यंत शुभ मानी जाती है। यह न केवल मंदिर की पवित्रता को दर्शाता है, बल्कि ऊर्जा और दिव्यता का प्रतीक भी होता है। शिखर और कलश का संयोजन मंदिर को पूर्णता प्रदान करता है।
क्या है कलश?
कलश एक पवित्र पात्र होता है जिसे मंदिर के शिखर पर स्थापित किया जाता है। इसमें आमतौर पर सोना, तांबा या अन्य धातुओं से बनी संरचना होती है, जो मंदिर की ऊर्जा को केंद्रित करती है। कलश मंदिर की दिव्यता, शांति और श्रद्धा का प्रतीक होता है।
राम मंदिर: भारत की पहचान
राम मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं है, यह भारत की सांस्कृतिक विरासत, आस्था और संवेदनाओं का प्रतीक बन चुका है। लाखों हिंदुओं के वर्षों के संघर्ष के बाद यह सपना साकार हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद से यह स्थल भारत के सांस्कृतिक नक्शे में एक नए अध्याय के रूप में उभर कर सामने आया है।
अयोध्या में राम मंदिर का शिखर कार्य पूरा होना और कलश की स्थापना एक ऐतिहासिक क्षण है। यह भारत की आस्था, संस्कृति और आत्मगौरव का प्रतीक बन गया है। जैसे-जैसे मंदिर का उद्घाटन करीब आ रहा है, अयोध्या एक वैश्विक आध्यात्मिक नगरी के रूप में उभर रही है। आने वाले महीनों में राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा, ध्वजदंड की स्थापना और मंदिर परिसर का सौंदर्यीकरण इस महायोजना को पूर्णता की ओर ले जाएगा।
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