चतरा। विकासवाद बदलाव का प्रतीक माना जाता है। लिहाजा, बदलते परिवेश में अब धीरे-धीरे पुरानी परंपराएं भी बदलने लगी है। यह बदलाव सिर्फ शहर व नगर में ही नहीं, बल्कि अब धीरे-धीरे गांव में भी देखने को मिल रहा है। कुछ दिन पूर्व तक शव यात्रा में महिलाओं के भाग लेने पर मुक्कमल रोक होता था। परंतु, अब इस मिथक को खुद महिलाओं ने तोड़ना शुरू कर दिया है।
चतरा के गिद्धौर प्रखंड के पेक्सा गांव इसका मिशाल बन चुका है। गांव के 110 वर्षीय नारायण महतो का निधन मंगलवार देर शाम को हो गया। शव यात्रा में महिलाओं ने ना सिर्फ भाग लिया, बल्कि इनकी तीन पुत्रवधूओं ने शव को कंधा देकर एक नई परंपरा की शुरुआत भी की।
हालांकि नारायण महतो के 3 पुत्र हैं। इसके बावजूद भी पुत्रवधू अनोखा देवी, यशोदा देवी, मेवा देवी ने अपने ससुर के शव को कंधा देकर कुछ दूर तक शव यात्रा में भाग लिया। उसके बाद पुरुषों ने कंधा देकर स्थानीय नदी स्थित श्मशान घाट तक पहुंचाया। श्मशान घाट पर बड़े पुत्र मोती दांगी ने हिन्दू रीति-रिवाज के साथ मुखाग्नि दी।
This post was published on दिसम्बर 20, 2017 23:01
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