नई दिल्ली। एक बार में तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत को केन्द्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है। लिहाजा, अब यह गैरकानूनी एवं अमान्य हो गया है। ऐसा करने वाले पति को तीन साल जेल की सजा का प्रावधान किया गया है। दरअसल, मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक पर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विचार किया और अपनी मंजूरी दी।
गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाले अंतर-मंत्रालयी समूह ने विधेयक का मसौदा तैयार किया था। इस समूह में वित्त मंत्री अरूण जेटली, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और कानून राज्य मंत्री पी पी चौधरी शामिल थे।
बतातें चलें कि प्रस्तावित कानून सिर्फ एक बार में तीन तलाक के मामले में लागू होगा और इससे पीड़िता को अधिकार मिलेगा। यह गैरजमानती अपराध होगा। इसके साथ ही वह अपने बच्चे की कस्टडी की मांग भी कर सकती है। यह कानून केवल एक साथ तीन तलाक देने पर लागू होगा। नए नियम के तहत वह उचित गुजारा भत्ते की मांग करते हुए मजिस्ट्रेट से संपर्क कर सकेगी। बतादें कि बीते 22 अगस्त को उच्चतम न्यायालय ने एक बार में तीन तलाक को गैरकानूनी और असंवैधानिक करार दिया था।
स्मरण रहें कि सुप्रीम कोर्ट ने हालही में तीन तलाक के मुद्दे पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए इसे खत्म कर दिया था। पांच जजों की बेंच में से तीन जजों ने तीन तलाक को असंवैधानिक बताया था। इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार से तीन तलाक से संबंधित कानून बनाने को कहा था। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए उम्मीद जताई थी कि केंद्र जो कानून बनाएगा उसमें मुस्लिम संगठनों और शरिया कानून संबंधी चिंताओं का खयाल रखा जाएगा।
This post was published on दिसम्बर 15, 2017 18:24
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