संजय कुमार सिंह
मुजफ्फरपुर। मुजफ्फरपुर हो या पटना या फिर भागलपुर हो या गया। यहाँ से गुजरने वाली एक्सप्रेस ट्रेन हो या जनसाधारण, गरीबों के लिए सुविधा विहिन जनरल बोगी में सफर करने वालों की वही हाल है, जो भारत में बिहार को समझा जाता है। आखिर इसके लिए कौन जिम्मेदार है? यहाँ की व्यवस्था या प्रदेश की जनता? शनिवार को मुजफ्फरपुर जंक्शन पर कुछ यही नजारा देखने को मिला।
रक्शौल से लोकमान्य तिलक जाने वाली जनसाधारण एक्सप्रेस प्लेट फार्म संख्या दो पर अपने नियत समय से आधे घंटे विलंब से पहुंची और दो घंटे बीस मिनट जंक्शन पर रूकने के पश्चात रात्री दस बजकर तीस मिनट पर रवाना हुई। यात्री को ट्रेन में खड़े होने की जगह नहीं, बाथरूम में लॉक नही और बदबू ऐसी की बोगी में रहना मुश्किल हो रहा था। ऐसे में किन्नड़ो की झुंड पहुँचने पर सभी यात्री में अफरा तफरी और अव्यावहारिक भाषाओं का प्रयोग के डर से एक बोगी से पांच सौ रूपय से अधिक की वसुली करके किन्नड़ो की झुंड निकल जाती है। सभी मजदूर व मध्यम वर्गीय लोग मुम्बई में रोजगार करते है या रोजगार के तलाश में जाते है। जब यात्रियों से पुछा तो बताया यह तो हम लोगों के जीवन में अक्सर देखने को मिलता है। देश के अन्य प्रदेश में इस तरह की व्यवस्था नहीं है। किन्तु यहाँ कम ट्रेन होने के कारण साप्ताहिक जनसाधारण ट्रेन में सफर करना भी मुश्किल है।
This post was published on जुलाई 8, 2017 23:30
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