धर्म नहीं सिखाता आपस में बैर रखना

संजय कुमार सिंह

दुनिया में वैसी कोई धर्म नहीं बनी जो दुसरे धर्म से वैमनश्यता का बोध कराती हो बस हमें जरूरत उनकी सही अध्ययन कर सौहार्द वातावरण में सभी को साथ लेकर आगे बढ़ें। ये बातें आस्था फाउन्डेशन(ए.एफ़) के तत्वावधान में प्रधान कार्यालय संस्कार ए किड्स गार्डेन अमरख में रविवार को आयोजित विचारगोष्ठी सह कविगोष्ठी कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए साहित्य कार .नाज ओजैर ने कही।
कार्यक्रम की शुरूआत शम्भू प्रसाद गुप्ता के द्वारा सर्वधर्म प्रार्थना से शुरू की गई। कार्यक्रम के प्रथम पाली में विचारगोष्ठी का आयोजन किया गया। विचारगोष्ठी का मुख्य विषय साम्प्रदायिकता की भावना को दूर करने में शिक्षा की अहम भूमिका थी। डॉ.उमेश कुमार यादव ने कहा कि यदि शुरु से वास्तविक शिक्षा पर ध्यान दिया जाए तो बच्चे के अन्दर साम्प्रदायिकता की भावना नहीं आएगी। साथ ही उर्दू के महान साहित्यकार ई.नाज़ ओजैर ने कहा कि साम्प्रदायिकता की भावना को ख़त्म करने के लिए धर्म की सही व्याख्या आवश्यक है। क्योंकि दुनिया का कोई धर्म आपस में बैर करना नहीं सिखाता है।
कार्यक्रम की दूसरी पाली में कविगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें ई.नाज़ ओजैर की कविता माँ तुझे कहाँ से लाऊं सुनकर श्रोताओं की आँखे नम हो गई । वहीँ कवि वैकुण्ठ ठाकुर की कविता मत इसमें फँसना पाँचो विषय है दुखदायी सुनकर श्रोता हँसते-हँसते लोट-पोट हो गए। कवि गरीबनाथ सुमन की देवी गीत सुनकर भी श्रोता ख़ूब झूमे। कवि कमलेश कुमार कणक की कविता भी सराही गई। कार्यक्रम के आयोजक ट्रस्ट संस्थापक सह राजद नेता नवेन्दु नवीन ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि समाज में राष्ट्रीय एकता और अखंडता लाने के लिए साहित्य का सहारा हमेशा लेता रहूँगा। मंच का संचालन कवि कमलेश कुमार शर्मा एवं शम्भू प्रसाद गुप्ता ने संयुक्त रूप से किया।
कार्यक्रम में कई श्रोता भी उपस्थित हुए जिनमें प्रभान्शु कुमार, सुजीत कुमार, शशिकांत श्यामल, अतुल अधिराज, मृकांक कुमार, आयुष कुमार, आस्था पुष्कर, आर्या पुष्कर, जया पुष्कर इत्यादि उपस्थित थे।

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